मंगलवार, 8 मई 2012

रोज़ एक शायर में आज- दिलकश बदायूँनी


एक संजीदा तबियत को हँसाने के लिये।
मुस्कुरा भी दो किसी के मुस्कुराने के लिये।
आप खँजर तोलिये, गर्दन उड़ाने के लिये,
दिल की रग-रग है परेशां ख़ूँ बहाने के लिये।
इत्तफ़ाक़न आ गयी थी, मेरे होंटों पर हँसी,
इक ज़माना चाहिए फिर मुस्कुराने के लिये।
दोस्ती ही, ख़ूने-नाहक़ के लिये काफ़ी नहीं,
आस्तीं भी चाहिए खँजर छुपाने के लिये।
दिल मंे गुंजाइश हो तो दुनिया सिमट आये,
दिल में गुंजाइश भी है? दुनिया बसाने के लिये।
दौरे-हाजि़र में तो कुछ चेहरों पे शादाबी भी है,
लोग तरसेंगे कभी, ख़ुशियाँ मनाने के लिये।
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ज़ख़्म सब खिलने लगे, दिल ने दुखन महसूस की।
रूह ने सीने के अन्दर, इक घुटन महसूस की।
फिर तुम्हारी यादों के काँटों ने लीं अँगड़ाइया,
फिर मेरे दिल ने कोई गहरी चुभन महसूस की।
बामों-दर करती हुई रोशन मकाने-फि़क्र के,
दिल के आँगन में उतरती इक किरन महसूस की।
हमने ज़ौके़-शायरी से मुन्सलिक हर वारदात,
इक उरूसे-शब, नवेली इक दुल्हन महसूस की।
दो घड़ी को लब से लब, बाहों से बाहें मिल गयीं,
दो घड़ी को साँसों ने, साँसों की तपन महसूस की।
रुक गये हम उनकी यादों के शजर की छाँव में,
इश्क़ के सहरा में ‘‘दिलकश’’ जब थकन महसूस की।
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अच्छी किसी के दर्द से वाबस्तगी हुई।
इक मुस्तकि़ल अज़ाब मेरी जि़न्दगी हुई।
कुछ तो तुम्हारी याद का तूफ़ान घट सका,
सैलाबे-बहरे दर्द में कुछ तो कमी हुई।
वो दोस्त नागवार है जिनको मेरा वजूद,
कहते हैं हमको आपसे मिलकर ख़ुशी हुई।
दुनिया बदल ही जायेगी मेरे नसीब की,
जिस वक़्त भी निगाहे-करम आपकी हुई।
अब तक मेरे ख़्याल की दुनिया जवान है,
अब तक तुम्हारी याद है, दिल से लगी हुई।
या रब! न इस चमन को किसी की नज़र लगे,
मैं चाहता हूँ, इसमें बहारें सजी हुई।
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जि़न्दगी के मसअले जितने कोई सुलझाये है।
जि़न्दगी कुछ और पेचीदा-सी होती जाये है।
अपनी इक महदूद हस्ती, में भी ला महदूद हूँ,
वुसअते-दुनिया मेरी बाहों में सिमटी आये है।
जि़न्दगी बे-कैफ़ सी है राहतों-ग़म के बग़ैर,
राहतों ग़म में अजब आहँग पाया जाये है।
याद करके कूचये-जाना की वह सरगर्मियाँ,
ख़ुद ही अपने हाल पर अब तो हँसी आ जाये है।
रंजो-ग़म की रोशनी से कीजियेगा रूशनास,
ऐश की तारीकियों से जी मेरा घबराये है।

मोबाइल नंबरः 09411217139

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