रविवार, 28 नवंबर 2021

गुफ़्तगू ने किया गंभीर और वास्तविक कार्य : केशरीनाथ त्रिपाठी

इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, केशरी नाथ त्रिपाठी, सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी और क़मरुल हसन सिद्दीक़ीकेशरी नाथ त्रिपाठी




कुवैत की नाज़नीज समेत सात को मिला सुभद्रा चौहान सम्मान
‘गुफ़्तगू साहित्य समारोह-2021’ और मुशायरे का हुआ आयोजन 
 केशरीनाथ त्रिपाठी

प्रयागराज। हमारा राष्टीय और सामाजिक दायित्व है कि दबी हुई भावनाओं को उजागर कर लोगों के सामने लाया जाए, ताकि साहित्य का वास्तविक काम होता रहा है। यही काम सााहित्यक संस्था गुफ़्तगू पिछले 18 वर्षों से कर रही है, आज के दौर में साहित्य का इतना गंभीर और वास्तविक काम करना बहुत बड़ी बात है। गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने अपने नेतृत्व में यह काम बखूबी ढंग से किया है, प्रयागराज इनके इस कार्य को कभी भूला नहीं सकता है। देशभर के जिन लोगों को विभिन्न सम्मान दिया गया है, वे वास्तविक रूप में इसके हकदार है, गुफ़्तगू द्वारा सम्मान के लिए हमेशा महत्वपूर्ण लोगों को चुना जाता है। ‘कैलाश गौतम सम्मान’, ‘सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान’, ‘कुलदीप नैयर सम्मान’, ‘सीमा अपराजिता सम्मान’ आज दिया गया है, जिनके नाम से ये सम्मान दिए गए हैं, इनमें कोई भी अनजान नाम नहीं है, सभी ने महत्वूपर्ण काम किए हैं। यह बात 21 नवंबर को गुफ़्तगू द्वारा हिन्दुस्तानी एकेडेमी में आयोजित ‘गुफ़्तगू साहित्य समारोह-2021’ के दौरान पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने कही। उन्होंने कहा कि साहित्यकार अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए रचना का सृजन करता है, वह नकारात्मक चीजों की ओर नहीं जाता है। लेकिन समाज की गलत चीजों को सामने लाना उसका मूल कर्तव्य भी है। 

इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी


गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि गुफ़्तगू द्वारा उन रचनाकारों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाता है, जो वाकई इसके हक़दार हैं। रचनाकार अपनी दृष्टि से समाज को देखता है और उसकी विसंगतियों को रेखांकित करता है, ताकि एक अच्छे  समाज का निर्माण हो। उसके इसी कार्य को देखते हुए गुफ़्तगू द्वारा विभिन्न अवसरों पर उन्हें प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाता है।


सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी


मुख्य अतिथि प्रयागराज परिक्षेत्र के डीआईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि रचनाकार का मुख्य उद्देश्य मानवता की सेवा के लिए रचना का सृजन करना होता है। गुफ़्तगू के इस आयोजन से यह साबित हो रहा है कि अच्छा लेखन करने वालों को प्रोत्साहित किया जाता है। गुफ़्तगू न सिर्फ़ सामाजिक स्तर पर बल्कि पर्यावरण को लेकर भी चिंतित है, यही वजह है कि कार्यक्रम की शुरूआत पौधों को पानी को देकर किया है, यह बहुत अच्छी परंपरा है। ग़ाज़ीपुर के सहायक डाक अधीक्षक मासूम रज़ा राशदी ने कहा कि समाज की विकृति को दूर करना ही साहित्यकार का मुख्य कार्य है, और ऐसो लोगों को सम्मानित करना बेहद ख़ास है। गुफ़्तगू के सचिव नरेश महरानी और जालौन की कवयित्री प्रिया श्रीवास्तव ‘दिव्यम्’ ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया। इक़बाल दानिश को अकबर इलाहाबादी सम्मान दिया गया। इस अवसर पर गुफ़्तगू के नए का अंक का विमोचन भी किया गया।


गुफ़्तगू पत्रिका का विमोचन


 दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया। प्रभाशंकर शर्मा, अनिल मानव, संजय सक्सेना, अफसर जमाल, रेशादुल इस्लाम, संजय सागर, परवेज अख़्तर, रचना सक्सेना, सम्पदा मिश्रा,  ममता देवी सिंह, विजय त्रिपाठी, नूर शम्स, शाहिद सफ़र, मोहम्मद इस्लाम आदि ने कलाम पेश किया।


इन्हें मिला सम्मान

सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान प्राप्त करतीं कुवैत की नाज़नीन अली नाज़


सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान प्राप्त करतीं नीना मोहन श्रीवास्तव

सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान प्राप्त करतीं जया मोहऩ

सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान प्राप्त करतीं सय्यदा नौशाद बेगम


सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान प्राप्त करतीं उपासना दीक्षित

सुभद्रा कुमार चौहान सम्मान 

नाज़नीन अली ‘नाज़’ (कुवैत), सय्यदा नौशाद बेगम (ठाणे), डॉ. उपासना दीक्षित (ग़ाज़ियाबाद), रूपा व्यास (उदयपुर), डॉ. दलजीत कौर (चंडीगढ़), नीना मोहन श्रीवास्तव (प्रयागराज) और जया मोहन (प्रयागराज)   


कुलदीप नैयर सम्मान 

कुलदीप नैयर सम्मान प्राप्त करते आशुतोष पांडेय


कुलदीप नैयर सम्मान प्राप्त करते शिवपूजन सिंह


आशुतोष पांडेय (अमर उजाला-वाराणसी), मानवेंद्र प्रताप सिंह(नेशन न्यूज़), गुफरान अहमद (ज़ी न्यूज़), आलोक सिंह (एपीएन न्यूज), शिवपूजन सिंह (वरिष्ठ पत्रकार)


कैलाश गौतम सम्मान  

सुहैल खान (ग़ाज़ीपुर), सुशील वैभव खरे (पन्ना, मध्य प्रदेश), आशुतोष मिश्र (दरभंगा) और रामशंकर वर्मा (लखनउ) 

 

कैलाश गौतम सम्मान प्राप्त करते सुहैल खान

सीमा अपराजिता सम्मान

दीप्ति दीप (कासगंज), प्रीति कुमारी (नई दिल्ली), कीर्ति चौधरी (ग़ाज़ीपुर), अर्चना जायसवाल(प्रयागराज) और जगदीश कौर (प्रयागराज) 

सीमा अपराजिता सम्मान प्राप्त करतीं अर्चना जायसवाल


 


गुरुवार, 4 नवंबर 2021

गुफ़्तगू के जुलाई-सितंबर 2021 अंक में



2. फोटो फीचर

3. संपादकीय: विश्वास खोता जा रहा है साहित्यकार

5-7. फिल्मी गीत की परिभाषा - इब्राहीम अश्क

8-22. ग़ज़लें (इब्राहीम अश्क, हसनैन मुस्तफ़ाबादी, डॉ. अहमद अली बर्की आज़मी, राजेंद्र वर्मा, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, इश्क़ सुल्तानपुरी, डॉ. राकेश तूफ़ान, मासूम रज़ा राशदी, शमा फिरोज, विजय प्रताप सिंह, बसंत कुमार शर्मा, समीर भृगुवंशी, फ़रमूद इलाहाबादी, रामकृष्ण विनायक सहस्रबुद्धे, बबिता अग्रवाल कंवल, डॉ. इम्तियाज़ समर, अतिया नूर, इरशाद आतिफ़, कुंवर नाजुक, राज जौनपुरी, विवेक चतुर्वेदी, वीरेंद्र खरे अकेला, साबिर जौहरी, साजिद अली सतरंगी, रमेश चंद्र श्रीवास्तव, प्रदीप बहराइची, सुषमा दीक्षित शुक्ला, डॉ. लक्ष्मी नारायण बुनकर, मो. बेलाल सारनी, मनीषा श्रीवास्तव ज़िन्दगी)

23-28. कविताएं (यश मालवीय, डॉ. सुनीता शर्मा, शांतिभूषण, जितेंद्र कुमार दुबे, डॉ. मधुबाला सिन्हा, नीना मोहन श्रीवास्तव, डॉ. उपासना दीक्षित, प्रिया भारती, निर्मला कर्ण )

29-35. इंटरव्यू  (सीरियल लिटरेचर हमेशा पॉपुलर लिटरेचर से आगे होगा: असग़र वजाहत)

36-39. चौपाल ; शायरी से आम जनता दूर क्यों होती जा रही है

40-47. तब्सेरा (बतख मियां अंसारी की अनोखी कहानी, देश के 21 ग़ज़लकार, कितने इतने रंग भरे, मैं और मेरा परिवेश, बात अभी बाक़ी है, तस्वीर लिख रहा हूं, देख इधर भी जरा ज़िन्दगी, यादों के उजाले, किसलय )

48. उर्दू अदब: जदीदियल के अमलबरदार शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी

49-50. गुलशन-ए-इलाहाबाद: कुशल राजनीतिज्ञ और साहित्यकार हैं केशरीनाथ त्रिपाठी

51. रंगमंच: इलाहाबाद में अभिनय सीखकर टीवी सीरियलों में बनाया ख़ास मकाम

52-53. गहमरी जी ने संसद में पेश किया गरीबी का चित्रण

54-61. अदबी ख़बरें

परिशिष्ट-1: प्रदीप कुमार सिंह ‘तन्हा’

62. प्रदीप कुमार सिंह ‘तन्हा’ का परिचय

63-65. प्रदीप कुमार सिंह ‘तन्हा’ का व्यक्तित्व एवं कृतित्व- शमा फिरोज

66-67. समाज को मानवता का आइना दिखाती ग़ज़लें - शगुफ़्ता रहमान

68-69. संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी हैं प्रदीप कुमार सिंह- रचना सक्सेना

70-91. प्रदीप कुमार सिंह ‘तन्हा’ की ग़ज़लें

परिशिष्ट-2: ए. आर. साहिल अलीग

92. ए. आर. साहिल अलीग का परिचय

93-94. सच्चे शायर ए. आर. साहिल अलीग- वीना श्रीवास्तव

95. इश्क़ और दुनियादारी के बीच की विद्रूपताएं - डॉ. शलेष गुप्त वीर

96-97. महसूस कर लिखने वाले शायर हैं साहिल- प्रदीप बहराइची

98-120. ए. आर. साहिल ‘अलीग’ की ग़ज़लें