सोमवार, 30 सितंबर 2019

बदरुद्दीन: खेल में ही गवा दी अपनी जान

               
बदरुद्दीन खान
 - मुहम्मद शहाबुद्दीन खान
                                         
   20 जनवरी 1955 को दिलदारनगर की गांधी मेमोरियल इंटर कॉलेज की हॉकी टीम और जमानिया हिन्दू इंटर कॉलेज की टीम के बीच टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला मुस्लिम राजपूत इंटर कॉलेज (वर्तमान मे एसकेबीएम इंटर कॉलेज) पर हो रहा था। इलाकेे लोगों की जबरदस्त भीड़ थी, यह मुकाबला सिर्फ़ एक टूर्नामेंट का फाइनल भर नहीं था, बल्कि प्रतिष्ठा से भी जुड़ा था। मुकाबला दिन के तकरीबन 2: 30 बजे शुरू हुआ, हाॅफ टाइम तक दोनों टीमों की तरफ से कोई गोल नहीं किया जा सका। हाॅफ टाइम के बाद जैसे ही खेल शुरु हुआ, बदरुद्दीन की हॉकी स्टीक से गेंद आ टकराई, और वो गेंद को हवा के माफिक दौड़ाते हुए विरोधी टीम के गोलपोस्ट के अंदर पहुंचा देते हैं। विजयी गोल करके वापस लौटते समय विरोधी टीम के बैक पर खड़ा एक ऊचे लम्बे काले चट्टे कद का खिलाडी उनके सिर पर पीछे से हॉकी स्टीक से वार कर देता है, जिससे बदरुद्दीन बेहोश होकर उसी मैदान में गिर पड़ते हैं। मैदान में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो जाता है तब तक विरोधी टीम के खिलाडी मौके का फायदा उठा वहां से खिसक पडते हैं। बदरुद्दीन के गांव के सहपाठी हॉकी खिलाड़ी सेराजुद्दीन जोर से चिल्ला उठते हैं, उसके बाद फौरन उनको वहां से उठा कर दिलदारनगर के डॉ. श्याम नारायण चतुर्वेदी के पास ले जाया जाता है। उन्होंने एक इन्जेक्शन लगाया, जिससे इंजेक्शन लगते ही बदरुद्दीन उठ कर बैठ जाते हैं और एक नजर सबको देखने के फिर वापस बेहोश हो जाते हैं। फिर उन्हें कॉलेज टीम द्वारा ट्रेन से ‘बीएचयू’ बनारस स्थित किंग एडवर्ड हॉस्पिटल (वर्तमान शिव प्रसाद हॉस्पिटल) कबीर चैरा में ले जाया जाता है। जहां पर उनके बेहोशी की हालात में चोट लगने के तीन दिन बाद 23 जनवरी 1955 ई० की दोपहर इंतकाल हो जाता है। 
 उनके शव को मुगलसराय-जमानिया-मार्ग से सफेद कार में रखकर दिलदारनगर गांव स्थित जामा मस्जिद के पास लाया जाता है। लोगों के दीदार के बाद मुस्लिम राजपूत इंटर कॉलेज के ग्राउंड पर लाया गया। जहां मुस्लिम राजपूत के पहले मैनेजर हाजी शमसुद्दीन खान दिलदारनगरी और बदरुद्दीन खान की मौजूदगी में उसी कॉलेज ग्राउंड में तकरीबन रात की 8 बजे उस खेल ग्राउंड की चारो तरफ उनके शव का चक्कर लगा ‘एनएसएस’ कॉलेज की टीम द्वारा ‘मिल्लिट्री गार्ड ऑफ ऑनर्स’ के साथ हजारों के भीड़ की मौजूदगी में दफनाया गया। हॉकी खेल दुनिया के इस खिलाड़ी को उसी मैदान में दफनाया गया, जहां उसे चोट लगी थी। उनकी मौत के बाद उनके कब्र पर मजार शरीफ का निर्माण कार्य मुस्लिम राजपूत इंटर कॉलेज के तत्कालीन मैनेजर मोहम्मद शमसुद्दीन खान और सदर अंजुमन डिप्टी मु० सईद खान एवं कॉलेज इन्तेजामिया कमेटी द्वारा कराई गई। इसके अलावा उनकी याद में कॉलेज में बदरुद्दीन मेमोरियल लाइब्रेरी हॉल की बुनियाद 21 दिसंबर 1957 ई० में रखी गई। उनके नाम पर उनके पैतृक गांव गोड़सरा में बदरुद्दीन मेमोरियल स्पोर्ट्स क्लब ‘बीएमसी’ के नेतृत्व में आज भी सभी प्रकार खेल के आयोजन होते हैं। उनके साथी खिलाड़ीयों के मुताबिक हॉकी खेल के साथ फुटबॉल, एथलेटिक्स में भी वे एक बेहतरीन खिलाड़ी थे।
 बदरुद्दीन खान का जन्म 2 जुलाई 1933 ई० को उत्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर के गोड़सरा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम मुहम्मद मोलवी मोहिउद्दीन उर्फ मोहा खान ‘तहसीलदार’ तथा माता का नाम रहमत बीबी था। अततः संस्था बदरुद्दीन मेमोरियल सोशल वेल्फेयर क्लब, गोड़सरा के नेतृत्व में मेरे द्वारा 23 मार्च 2019 को शहीद की स्मृति में मांग पत्र देकर गांव स्थित खेल मैदान पर शहीद बदरुद्दीन मेमोरियल स्टेडियम बनवाने की मांग की गई। मुझे उनपर गर्व है कि मैं उनका पोता हूं।
(गुफ़्तगू के जुलाई-सितंबर 2019 अंक में प्रकाशित)

गुरुवार, 12 सितंबर 2019

गुफ़्तगू के प्रयागराज महिला विशेषांक (जुलाई-सितंबर: 2019) में



3. संपादकीय: महिलाओं की सक्रियता बेहद ख़ास
4. पाठकों के पत्र
5-7. कहानी: उमस- ममता कालिया
8-13. कहानी: सच क्या था ? - अलका प्रमोद
14-17. महादेवी जी: सतत सक्रिय एवं क्रियाशील उत्सव भंगिमा - यश मालवीय
18-20. स्त्री अपने अस्तित्व, अस्मिता को समझे - ममता श्रीवास्तव
21-24. ग़ज़लें: डाॅ. नीलिमा मिश्रा, सुमन ढींगरा दुग्गल, प्रीता वाजपेयी, अना इलाहाबादी, महक जौनपुरी, डाॅ. रंजीता समृद्धि, गीता सिंह, शिबली सना
25-38. कविताएं: रमोला रूथ लाल, कविता उपाध्याय, देवयानी, उर्वशी उपाध्याय प्रेरणा, रचना सक्सेना, शाम्भवी, सरिता भारतीय, सम्पदा मिश्रा, मधुर शंखधर स्वतंत्र, रोशनी पाठक, अदिति मिश्रा, अपर्णा सिंह, दीक्षा केसरवानी, वंदना शुक्ला, श्रद्धा सिन्हा, शिवानी मिश्रा, रुचि गुप्ता, नेहा सिंह, दीक्षा श्रीवास्तव ‘चाहत’, सिदरह फ़ातिमा, डाॅ. नीरजा मेहता कमलिनी, अलका प्रमोद, गीता  टंडन,   
39-43. इंटरव्यू: प्रो. अनिता गोपेश
44-46 चौपाल: इलाहाबाद को महिला लेखन कितना समृद्ध
47-49. तब्सेरा: झरते पलाश, होर्डिं का चित्र, महिला ग़ज़ल विशेषांक
50-51. उर्दू अदब: ऐ ज़िन्दगी तुझे सलाम, हसरतें, कल और आएंगे- अख़्तर अज़ीज़
52-53. गुलशन-ए-इलाहाबाद: डाॅ. रंजना त्रिपाठी
54-55.ग़ाज़ीपुर के वीर: बद्रुद्दीन: खेल में ही गंवा दी अपनी जान: मोहम्मद शहाब खान
56-60. अदबी ख़बरें
परिशिष्ट -1: ललिता पाठक ‘नारायणी’
61. ललिता पाठक नारायणी का परिचय
62-63. ललिता नारायणी: संजीदा रचनाकार - अना इलाहाबादी
64-65. मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत रचना- अदिति मिश्रा
66-84. ललिता पाठक नारायणी की कविताएं
परिशिष्ट-2: अतिया नूर
85. अतिया नूर का परिचय
86-87. अतिया की ग़ज़लों में बड़ी रवानी - अख़्तर अज़ीज़
88. अतिया नूर एक बेहतरीन ग़ज़लकारा  - प्रमोद कुमार कुश ‘तनहा’
89-108. अतिया नूर की ग़ज़लें, कविताएं
109-116. कवि और कविता: पंकज के़. सिंह, डाॅ. राकेश कुमार मिश्र ‘तूफ़ान’,  विजय प्रताप सिंह,  शिव कुमार राय