शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020

फ़राज़ ने अमेरिका में लहराया क़ाबलियत का परचम

                                                 

फ़राज़ ज़ैदी

       

                                                    -इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी

 जब पूरी दुनिय कोरोना के कह्र कांप उठी है, कहीं कोई ख़ास और उपाय इसके खि़लाफ़ नहीं दिख रहा है। ऐसे में इलाहाबाद के फ़राज़ ज़ैदी ने अमेरिका में अपनी क़ाबलियत का परचम लहराते हुए आस की किरण दिखाई है। अमेरिका में कोविड-19 को मात देने के लिए वैक्सीन के इजाद का काम शुरू किया गया है। 25 वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई गई है, जिसमें दुनियाभर के कई देशों के वैज्ञानिक शामिल हैं। इस टीम के नेतृत्व की जिम्मेदारी फ़राज़ ज़ैदी को सौंपी गई है। हमारे लिए गर्व की बात यह है कि फ़राज़ ज़ैदी अपने इलाहाबाद के हैं।

 फ़राज़ का जन्म इलाहाबाद के शौक़त अली मार्ग पर मजीदिया इस्लामिया काॅलेज के पास स्थित उसके ननिहाल में हुआ था। इनका पैतृक गांव फूलपुर तहसील का कपसा है, मगर फ़राज़ का घर करैली में भी है। इनके माता-पिता के जीवन का अधिकतम समय यहीं बीता है। फ़राज के एक और भाई हैं, उनकी कोई बहन नहीं है। इनके पिता डाॅ. इक़बाल जै़दी मुंबई में एक मशहूर चिकित्सक हैं, इसी वजह से फ़राज़ की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में ही हुई। डाॅ. इक़बाल ज़ैदी मोती लाल नेहरु काॅलेज के छात्र रहे हैं। 1978 में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मंुबई चले गए। डाॅ. सरिता बजाज, डाॅ. एके बंसल और डाॅ. आनंद मिश्र जैसे लोग इनके सहपाठी रहे हैं। फ़राज़ ज़ैदी ने शुरूआती तालीम के बाद पुणे के डीवाई पाटिल इंस्टीट्यूट आॅफ बायोटेक्नोलाॅजी एंड बायोइंडोफार्मेटिंग से बी-टेक की डिग्री हासिल किया। इसके बाद फिलाडेल्फिया के यूनिवर्सिटी आॅफ साइंस से सेल एंड बायोलाॅजी में मास्टर डिग्री हासिल किया। वर्तमान समय में विस्टार इंस्टीट्यूट में प्रोजेक्टर मैनेजर हैं, यह पिछले छह सालों से सेवा प्रदान कर रहे हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध संस्थान है, यहीं से रुबेला, रैबीज और जीका के वैक्सीन का इजाद किया गया था।

 समाजवादी पार्टी के नेता मुश्ताक़ काज़मी ने बताया कि ‘वर्ष 2017 में मेरे बेटे की शादी में शामिल होने के लिए फ़राज़ इलाहाबाद आए थे, उसके बाद उनका आना नहीं हो पाया, वे अमेरिका में बहुत अधिक व्यस्त रहते हैं। कभी-कभार ही उनका भारत आना होता है।’ किसी भी वैक्सीन को तैयार करना बेहद कठिन और गंभीर काम है। जनवरी 2020 से ही कोविड-19 का वैक्सीन बनाने के लिए फ़राज़ अपनी पूरी टीम के साथ दिन-रात जुटे हुए हैं। इन्होंने जो वैक्सीन तैयार कर लिया है और इसका जानवरों पर प्रयोग भी किया जा चुका है। पहले चरण में चूहों पर किया प्रयोग सफल बताया गया है। इसके बाद बंदरों पर प्रयोग किया गया, इन पर भी प्रयोग सफल रहा। अब इसका मनुष्यों पर ट्रायल शुरू कर दिया गया है। 250 से अधिक लोगों पर इसका प्रयोग किया। अब आगे की जंाच और प्रयोग के बाद इसका ठीक-ठीक पता लग सकेगा कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सफल है या अभी और जांच और लैब टेस्ट आदि की ज़रूरत पडे़गी। पिता डाॅ. इक़बाल का कहना है कि कोविड-19 वैक्सीन के काम में जुट जाने के कारण फ़राज़ बहुत अधिक व्यक्त हैं, उनसे कम ही बात हो पाती है।

(गुफ़्तगू के अप्रैल-जून 2020 अंक में प्रकाशित )



बुधवार, 28 अक्तूबर 2020

गुफ़्तगू के प्रशासनिक सेवा विशेषांक (सितंबर-2020 अंक) में

 


3. संपादकीय (साधना से कम नहीं प्रशासनिक सेवा की रचनाएं)
4. डाक
5-10. ग़ज़लगोई की हक़ीक़त क्या है? - जोश मलीहाबादी
11-14. सरकारी-प्रशासनिक सेवा और रचनाकर्म - रविनंदन सिंह
15-35. ग़ज़लें (शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी, नज़र कानपुरी, डाॅ. हरिओम, मनीष शुक्ला, नरेंद्र कुमार सिन्हा, केके सिंह मयंक, अखिलेश श्रीवास्तव चमन, ओम धीरज, इश्क़ सुल्तानपुरी, डाॅ. राकेश तूफ़ान, हसनैन मुस्तफ़ाबादी, अंजु सिंह गेसू, अनुराग मिश्र ग़ैर, अजीत शर्मा आकाश, फ़रमूद इलाहाबादी, नायाब बलियावी, अमन वर्मा, शैलेंद्र जय, डाॅ. अंजना सिंह सेंगर, तामेश्वर शुक्ला तारक, डाॅ. बिपिन पांडेय)
36-38. दोहा ( अरुण अर्णव खरे, पंकज राहिब, राजपाल सिंह गुलिया)
39-51. कविताएं ( यश मालवीय, शैलेंद्र कपिल, कृष्ण कुमार यादव, शिव कुमार राय, प्रकाश चंद्र तिवारी, विनय कुमार पांडेय, गौरव वाजपेयी स्वप्निल, डाॅ. मीना कुमारी परिहार, सम्पदा मिश्रा, केदारनाथ सविता, श्रीराम तिवारी, संजय सक्सेना, जावेद आलम खान)
52-54. इंटरव्यू: पवन कुमार
55-56. चौपाल (प्रशासनिक सेवा में रहते हुए साहित्य के लिए कैसे समय निकालते हैं?)
57-58. तब्सेरा ( महिला काव्य का प्रतिनिधित्व करतीं पुस्तकें- अजीत शर्मा आकाश )
59-60. उर्दू अदब
61-62. गुलशन-ए-इलाहाबाद: इष्टदेव प्रसाद राय
63-64. ग़ाज़ीपुर के वीर-11: जासूसी पात्रों के जनक हैं गोपाल राम गहमरी
65. खि़राज़-ए-अक़ीदत: राहत इंदौरी को दोहरान नामुमकिन - प्रो. वसीम बरेलवी
66. खि़राज़-ए-अक़ीदत: कई भाषाओं के जानकार थे प्रो. फ़ज़ले इमाम - डाॅ. रेहान हसन
67-71. अदबी ख़बरें
!! परिशिष्ट-1: विजय प्रताप सिंह !!
72. परिचय - विजय प्रताप सिंह
73-75. गांव-देहात के जीवन की स्मृतियां - बलभद्र
76. दुष्यंत की परंपरा के ध्वजवाहक हैं विजय प्रताप- प्रभाशंकर शर्मा
77-78. अपनी ओर आकर्षित करती हैं विजय की ग़ज़लें- अर्चना जायसवाल
79-80. समाज का आईना है विजय प्रताप का काव्य- अफ़सर जमाल
81-95. विजय प्रताप की ग़ज़लें
96-103. विजय प्रताप की कविताएं
!! परिशिष्ट-2: मासूम रज़ा राशदी !!
104. मासूम रज़ा राशदी का परिचय
105. मुहावरा बना देने वाली शायरी करते हैं राशदी- यश मालवीय
106-107. फ़न की फरावानी से भरपूर, रसपूर ग़ज़लें - डाॅ. मधुर नज़्मी
108-109. ग़ज़लों से रूहानी मोहब्बत का पैग़ाम- डाॅ. नीलिमा मिश्रा
110. ग़ज़ल का होनहार शायर मासूम रज़ा राशदी- डाॅ. इम्तियाज़ समर
111. अलग अंदाज़ की शायरी करते हैं राशदी- मनमोहन सिंह तन्हा
112-136. मासूम रज़ा राशदी की ग़ज़लें
137-144. कवि और कविता (राहत इंदौरी, विज्ञान व्रत, संजय मासूम, दयाशंकर प्रसाद)