गुरुवार, 29 नवंबर 2018

साहित्य, वकालत और समाज मिलाकर बने थे काजमी

बाएं से: नरेश कुमार महरानी, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, फ़रमूद इलाहाबादी,राम नरेश त्रिपाठी, सफ़दर अली काज़मी, यश मालवीय, प्रो. अली अहमद फ़ातमी, उमेश नारायण शर्मा, रविनंदन सिंह, अतिया नूर, अनिल मानव और शिवाजी यादव
‘एक शाम एसएमए काज़मी के नाम’ का हुआ आयोजन
नौ लोगों को मिला ‘शान-ए-इलाहाबाद सम्मान’
 काज़मी जैसा व्यक्तित्व इस शहर को फिर से मिलना लगभग नामुमकिन है। उन्होंने अपने जीवन में अधिकतर काम इंसानियत की भलाई के लिए किया है। उन्होंने अपने वकालत के पेशे में बहुत संघर्ष किया, बिल्कुल निचले पायदान से वकालत से शुरू की और महाधिवक्ता की पद तक को सुशोभित किया है। यह बात इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने ‘गुफ्तगू’ द्वारा 25 नवम्बर की शाम हिन्दुस्तानी एकेडेमी में आयोजित ‘एक शाम एसएमए काजमी के नाम’ कार्यक्रम के दौरान कही। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने कहा कि एसएमए काजमी की बहुत सारी स्मृतियां हैं, जिन्हें कभी भुलाई जा सकती। इस मौके पर नौ लोगों को ‘शान-ए-इलाहाबाद सम्मान’ प्रदान किया गया। साथ ही गुफ्तगू डाॅ. ज़मीर अहसन/फ़रमूद इलाहाबादी विशेषांक का विमोचन भी किया गया। 
पूर्व अपर महाधिवक्ता कमरूल हसन सिद्दीकी ने कहा कि काजमी साहब ने अपनी मेहनत और नेक नीयती से बुलंदी को छुआ था। वो हर इंसान के लिए मददगार थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. अली अहमद फ़ातमी ने कहा कि जब काजमी साहब बहुत शुरूआती दौर में थे, तब से मेरे दोस्त थे, बाद में बहुत कामयाब हुए तो बहुत दोस्त हो गए, लेकिन वो सभी के सच्चे दोस्त थे। साहित्य, समाज, वकालत और बेहतरीन जेहन को मिला दिया जाए तो जो आदमी बनता है, वह एसएमए काजमी होता है।
गुफ्तगू केे अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि काजमी साहब ने हर किसी की मदद की है, उनकी कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती।यश मालवीय ने कहा कि इलाहाबाद की गंगा-जमुनी तहजीब के जीते-जागते मिसाल थे। वकालत के पेशे से जुड़े होने साथ-साथ उन्होंने इंसानियत के लिए बेहरतीन काम किया है। उन्हें तमाम शायरों के बेशुमार अशआर याद थे। उनकी किसी कार्यक्रम में मौजूदगी ख़ास मायने रखती थी। सफ़दर अली काजमी, मुनेश्वर मिश्र, रविनंदन सिंह, सफ़दर अली काज़मी आदि ने भी काजमी साहब की खूबियां गिनाईं। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया। नरेश महरानी, प्रभाशंकर शर्मा, राम लखन चैरसिया, शिवपूजन सिंह, योगेंद्र कुमार मिश्रा, अनिल मानव, शिवाजी यादव, हसनैन मुस्तफ़ाबादी, यश मालवीय, अख़्तर अज़ीज़, फ़रमूद इलाहाबादी, अतिया नूर, डाॅ. नीलिमा मिश्रा, क़मर आब्दी, हसीन जिलानी, अर्चना जायसवाल, शैलेंद्र जय, राजकुमार चोपड़ा, आसिफ उस्मानी, अना इलाहाबादी, शाहिद इलाहाबादी आदि मौजूद रहे।
इन्हें मिला ‘शान-ए-इलाहाबाद सम्मान’ 
राम नरेश त्रिपाठी (ज्योतिष एवं पत्रकारिता), डाॅ. आलोक मिश्र(चिकित्सा), डाॅ. अल्ताफ अहमद(चिकित्सा), शकील ग़ाज़ीपुरी(शायरी), सरदार अजीत सिंह(समाज सेवा), आलोक निगम(समाज सेवा), सुषमा शर्मा(रंगमंच), मनोज गुप्ता(गायन) और अभिषेक शुक्ला(शिक्षा)
वर्ष 2013 में इन्हें मिला ‘शान-ए-इलाहाबाद’ सम्मान
नारायण शर्मा, डाॅ. पीयूष दीक्षित, ई. अखिलेश सिंह, जीडी गौतम, मुकेश चंद्र केसरवानी,  सीआर यादव, धनंजय सिंह
वर्ष 2015 में इन्हें मिला
काॅमरेड ज़ियाउल हक़, प्रो. ओपी मालवीय, ज़फ़र बख़्त, डाॅ. देवराज सिंह, धर्मेंद्र श्रीवास्तव, प्रदीप तिवारी
वर्ष 2016 में इन्हें मिला
अख़लाक अहमद, मुनेश्वर मिश्र, अनिल तिवारी, गौरव कृष्ण बंसल, डाॅ. कृष्णा सिंह, डाॅ. रोहित चैबे, रमोला रूथ लाल, शिवा कोठारी


बुधवार, 21 नवंबर 2018

गुफ्तगू के अक्तूबर-दिसंबर: 2018 अंक में


3. संपादकीय: किसे कहते हैं साहित्य में योगदान
4. डाक: आपके ख़त
5-11. ग़ज़लें:  डाॅ. बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मुनव्वर राणा, इब्राहीम अश्क, अरविंद असर, एजाज फ़ारूक़ी, क़ादिर हनफ़ी, इशरत मोइन सीमा, शिवशरण बंधु हथगामी, डाॅ. सादिक़ देवबंदी, आर्य हरीश कोशलपुरी, राजेंद्र स्वर्णकार, डाॅ. नीलिमा मिश्रा, अंजू सिंह ‘गेसू’, डाॅ. कविता विकास, रियाज़ कलवारी इटावी, सुमन ढीगरा दुग्गल, संगीता चैहान विष्ट, चारु अग्रवाल ‘गुंजन’, भकत ‘भवानी’, रमा प्रवीर वर्मा, डाॅ. लक्ष्मी नारायण बुनकर, संजीव गौतम, डाॅ. रंजीता समृद्धि, अनिल मानव, सुमन सिंह, पीयूष मिश्र ‘पीयूष’, यासीन अंसारी
12-17. कविताएं: कैलाश गौतम, यशपाल सिंह, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, दीप्ति शर्मा, चांदनी सेठी, योगेंद्र कुमार मिश्र ‘विश्वबंधु’, रचना सक्सेना वंदना पांडेय, शकीला सहर, इति शिवहरे, प्रदीप बहराइची, नीतू गुप्ता, रुचि श्रीवास्तव, डाॅ. नीलम रावत, जयति जैन ‘नूतन’
18-22. इंटरव्यू: नीलकांत
23-25. चौपाल: पठनीयता का संकट कैसे दूर करें ?
26. विशेष लेख: एक गरीब और छोटे आदमी की शहादत - जैनुल आबेदीन ख़ान
27-32. तब्सेरा: सिसकियां, हुस्ने बयां, खुश्बू द्वारे-द्वारे, अक़ाब, जयपुर प्रीत की बाहों में, रक्तबीज आदमी है, अल्लामा, सूरज डूब गया
33-34. तआरुफ: निधि चैधरी
37-40. अदबी ख़बरें
41. गुलशन-ए-इलाहाबाद: राम नेरश त्रिपाठी
42-43. ग़ाज़ीपुर के वीर-4: राही मासूम रज़ा
44-75. परिशिष्ट-1: डाॅ. ज़मीर अहसन
44. डाॅ. ज़मीर अहसन का परिचय
45-46. ग़ज़ल का मिज़ाज दां और रम्ज आशना - प्रो. अली अहमद फ़ातमी
47-48. सरापा शायरी थे डाॅ. ज़मीर अहसन - यश मालवीय
49-51. दुनिया वालों की हर राह गुजर से दूर चले- अतिया नूर
52. बावक़ार इंसान थे डाॅ. ज़मीर अहसन- इक़बाल अशहर
53-74. डाॅ. ज़मीर अहसन की ग़ज़लें
75-104. परिशिष्ट -2: फ़रमूद इलाहाबादी
75. फ़रमूद इलाहाबादी का परिचय
76-77. फ़रमूद के ख़ज़ाने में नगीनों का भंडार - शिवाशंकर पांडेय
78-79. समाज के हर पहलू पर करारा व्यंग्य - सायरा भारती
80. हास्य-व्यंग्य के माध्यम से समाज का कटु सत्य - प्रिया श्रीवास्तव ‘दिव्यम्’
81-104. फ़रमूद इलाहाबादी की ग़ज़लें