मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

निराला की कविताओं में हर युग की व्याख्या: न्यायमूर्ति अशोक

गुफ़्तगू की ओर से ‘निराला जयंती समोराह-2022’ का आयोजन

काव्य संकलन ‘कविता के प्रमुख हस्ताक्षर’ का हुआ विमोचन

        ‘कविता के प्रमुख हस्ताक्षर’ का विमोचन




प्रयागराज। सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ को आज के दिन, आज के समय में याद करना बेहद जरूरी है। निराला सिर्फ़ बड़े कवि ही नहीं थे, उसका व्यक्तित्व भी बहुत बड़ा था। उनकी कविताएं समय के साथ तो बात करती ही थीं, साथ ही आने वाले काल की भी चर्चा करती थीं,  यही वजह है निराला हमारे समय के बहुत बड़े कवि हुए हैं, उनकी कविताओं में हर युग का सच है। गुफ़्तगू ने उन्हें याद करके एक महत्वपूर्ण कार्य किया है। यह बात 20 february की शाम गुफ़्तगू की ओर से बाल भारती स्कूल में आयोजित ‘निराला जयंती समोराह-2022’ के दौरान राज्य उपभोक्ता विवाद परितोष आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि निराला ने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से एक नज़ीर पेश किया है, उनकी वजह से इलाहाबाद का नाम पूरी दुनिया में रौशन हुआ है। इस मौके पर इम्तियाज़ अहमद गा़ज़ी की संपादित पुस्तक ‘कविता के प्रमुख हस्ताक्षर’ का विमोचन किया गया,  ‘निराला’ को समर्पित 656 पेज की इस पुस्तक में देशभर के 130 कवियों की कविताएं संकलित की गई हैं।

न्यायमूर्ति अशोक कुमार


गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि आज के समय में निराला को याद करना बेहद जरूरी है। उनकी रचनाएं हमारे लिए बेहद ख़ास है, इलाहाबाद के लोग उनके जन्मदिन पर उन्हें किसी भी हालत में भूल नहीं सकते। 

यश मालवीय


सरस्वती संपादक रविनंदन सिंह ने कहा कि निराला जी के पास कोई साधन नहीं था, लेकिन उनकी साधन बहुत गहन और मार्मि पत्रिका केक थी। तीन वर्ष की उम्र में ही उनकी मां का निधन हो गया था, किशोरवस्था में पिता का निधन हो गया, फिर भी उन्होंने अपनी जिम्मेदारियां बहुत साधना से निभाई। शुरू में उनकी कविताओं को सरस्वती पत्रिका में छपती नहीं थीं, लौटा दी जाती थी।

अनिल कुमार गुप्ता


 इसके बावजूद उनके लेखन और रचनाकर्म पर कोई फर्क नीं  इसके बाद की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। विशिष्ट अतिथि अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि आज के दौर में गुफ़्तगू ने निरंतरता बरकरार रखी है, यही बड़ी बात है।

रविनंदन सिंह


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे यश मालवीय ने कहा कि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ को इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी याद कर रहे हैं, यही असली भारत है। निराला ने जब नई कविता की शुरूआत की थी, तब उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कविता के नाम वे लोग भी महाकवि हो जाएंगे, जिन्हें कविता का ‘क’ भी नहीं आता। नई कविता के नाम पर एक अराजकता का माहौल उत्पन्न हो गया है। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया।

इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी


दूसरे सत्र में कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया। अनिल मानव, रेशादुल इस्लाम, अफसर जमाल, नीना मोहन श्रीवास्तव, संजय सक्सेना, डॉ. नीलिमा मिश्रा, सरिता गर्ग, डॉ. मधुबाला सिन्हा, सरिता कटियार, अंजु लखनवी, अनीता सिन्हा, अर्पणा आर्या, अर्चना जायसवाल, धीरेंद्र सिंह नागा, उदय प्रताप कंचुकी, सीमा वर्णिका, रचना सक्सेना, शिबली सना, ललिता पाठक नारायण, जगदीश कौर, अर्चना सबूरी, पूनम अग्रवाल, शाहिद इलाहाबादी, डॉ. पीयूष मिश्रा, सरस श्रीवास्तव, फरमूद इलाहाबादी, प्रिया अवस्थी, ए.आर. साहिल, संतलाल सिंह, माहिर मजाल, अमरनाथ सिंह, पूजा प्रजापति, वीना शुक्ला, रेनू शुक्ला, अरुण चक्रवर्ती, डॉ. प्रिया भारत, गीता सिंह, विजय लक्ष्मी विभा, सुशील खरे वैभव, इंदू सिन्हा, वीणा खरे पन्ना, केदारनाथ सविता, साबिर जौहरी, शिव प्रताप सिंह, कुंवर नाजुक, केशव सक्सेना, मणि बेन द्विवेदी, रमेश च्रद रचश्री आदि ने काव्य किया।







रविवार, 13 फ़रवरी 2022

इलाहाबाद में अभियन सीखकर टीवी सीरियलों में बनाया ख़ास मुकाम

                                      

 चंद्रेश सिंह


                                                                                       - ऋतंधरा मिश्रा

    चंद्रेश सिंह अपनी मेहनत लगन और जुनून से टीवी की दुनिया में पहचान बनाई और आज वह कामयाब टीवी एक्टर हैं। रहने वाले तो ये पूर्वी उत्तर में स्थित बलिया जिले के हैं, लेकिन इनका कर्मस्थली इलाहाबाद रहा है। यहीं पढ़े-लिखे और रंगमंच के जरिए अभिनय के कई गुण सीखे हैं। अभी तक कई मशहूर टीवी सीरियलों में बतौर अभिनेता अपने अभिनय का हुनर दिख चुके हैं, आज वे एक कामयाब टीवी सीरीयल एक्टर के रूप में जाने जाते हैं।

 बलिया में जन्मे चंद्रेश के पिता इंजीनियर व माता गृहणी है। इलाहाबाद के वीडीए कॉलोनी नैनी में अपना मकान है। इलाहाबाद चंद्रेश सिंह का प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ कार्य करने का अनुभव रहा है। इन्होंने इलाहाबाद में रहते हुए सत्ता का खेल, चंदा बेड़नी, हवालात, हाय मेरा दिल, शुतुरमुर्ग, जलता हुआ रथ, आदि से नाटकों में शानदार अभिनय किया। उसके उपरांत मुंबई चले गए, वहां लंबे समय कड़े संघर्ष के बाद इन्हें टीवी सीरियल में अभिनय करने का अवसर मिला। अवसर मिलते ही इन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी। यही वजह है कि टीवी सीरियल ‘बेटियां’ (ज़ी टीवी) ‘तेरे मेरे सपने’ (स्टार प्लस) ‘बालिका वधू’ (कलर्स टीवी) ‘सुहानी सी एक लड़की’ (सोनी टीवी) ‘ये उन दिनों की बात है’ (सोनी टीवी) ‘राजू बिन’ तथा स्टार प्लस पर ‘इमली’ में बतौर अभिनेता कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही वेब सीरीज ‘रुद्रा’ में अजय देवगन और फिल्म ‘सोनाली’ में काम किया।

 चंद्रेश सिंह का कहना है कि यदि फिल्म या टीवी में सफलता प्राप्त करनी है तो रंगमंच पर अच्छा काम करके आएं, तब सफलता जरूर मिलेगी। क्योंकि रंगमंच ही अभिनय की नीव है। एक कलाकार समाज को अपनी अभिव्यक्ति से अपनी कला के प्रदर्शन से समाज को कोई न कोई अच्छी सीख ही देता है। रंगमंच और टीवी दोनों अलग माध्यम है। रंगमंच के हर एक विभाग में बारीकी काम करेंगे तो सीखने का मिलेगा और सीख हमें आगे चलकर कामयाब बनाएगी। इसलिए शुरू से ही अपने स्तर पर गंभीरता से काम करना चाहिए। हिम्मत नहीं हारनी चाहिए बडी सफ़लता के लिए बड़ा संघर्ष और हिम्मत चाहिए। धैर्य का होना हमारे लिए बेेहद ज़रूरी है।

( गुफ़्तगू के जुलाई-सितंबर 2021 अंक में प्रकाशित )


मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

गुफ़्तगू के शिक्षक विशेषांक की विषय सूची



3. फोटो फीचर

4. संपादकीय: शिक्षक की है समाज में ख़ास भूमिका

5-8. उर्दू साहित्य में शिक्षक और शायर-अली अहमद फ़ातमी 

9-13.हिन्दी साहित्य के विकास में शिक्षकों का योगदान - रविनंदन सिंह

14-18. ग़ज़लें ( शमा फिरोज, असग़र शमीम, विजय प्रताप सिंह, डॉ. नीलिमा मिश्रा, साबिर जौहरी, अंजुमन मंसूरी ‘आरजू’, राज जौनपुरी, शगुफ़्ता रहमान ‘सोना’, यासीन अंसारी, डॉ. पीयूष मिश्र ‘पीयूष’ ) 

19-31. कविताएं ( लव कुमार लव, डॉ. आदित्य कुमार गुप्त, डॉ. हिमा गुप्ता, सम्पदा मिश्रा, डॉ. लक्ष्मी नारायण बुनकर, प्रभाशंकर शर्मा, वीरेंद्र सरल, अर्चना सोनवर्षा, विवेक चतुर्वेदी, डॉ. जूही शुक्ला, शबीहा खातून, इंदु विवेक उदैनिया, डॉ. संतोष कुमार मिश्र, शिवपूजन सिंह, लाल देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव, सीमा वर्णिका, प्रेमनाथ सिंह चंदेल, विजय कुमार सक्सेना ‘विजय’, नरेश कुमार खजूरिया, जगदीश कौर, अफ़ज़ल ए. सिद्दीक़ी, प्रदीप बहराइची, डॉ. रीता पांडेय स्नेहा, अर्चना जायसवाल ‘सरताज’, शकुंतला )

32-36. इंटरव्यू ( डॉ हरिओम से अनिल मानव )

37-40. चौपाल ( साहित्य में शिक्षकों का कितना योगदान रहा है ? )

41. उस्ताद-शार्गिद ( अपने नाम से पढ़ दिया ग़ालिब की ग़ज़ल )

42-45. तब्सेरा ( इरशादाते रसूल, इस्लामी मालूमात, बारह महीने के इस्लामी त्योहार, सदी के मशहूर ग़ज़लकार, यादें हैं यादों का क्या, परिवर्तन अभी शेष है )

46-48. उर्दू अदब ( खुतबात-ए-क़ादरी, इस्लामी मालूमात, शरफ-ए-खि़ताबत, तिनके, नया हमाम )

49-50. गुलशन-ए-इलाहाबाद ( सलीम इक़बाल शेरवानी ) 

51. रंगमंच ( शिव गुप्ता )

52. ग़ाज़ीपुर के वीर ( जैनुल बशर )

53. खि़राज़-ए-अक़ीदत: इब्राहीम अश्क 

54-58. अदबी ख़बरें

!! परिशिष्ट-1: डॉ. मधुबाला सिन्हा !!

59. डॉ. मधुबाला सिन्हा का परिचय

60. सहज अभिव्यक्ति प्रदान करती कविताएं -डॉ शैलेष गुप्त वीर

61.यथार्थ की नींव पर खड़ी कविताएं - रचना सक्सेना

62-63. प्राकृतिक प्रेम से लबरेज मधुबाला की कविताएं- सरिता श्रीवास्तव

64-90. डॉ. मधुबाला सिन्हा की कविताएं

!! परिशिष्ट-2: ममता अमर !!

91. ममता अमर का परिचय

92-93. शिल्प बिम्बों से नई दुनिया गढ़ती स्त्री - डॉ. संदीप अवस्थी

94.ममता की कविताओं में सच्चे मन की बात- मासूम रज़ा राशदी

95-96. दिल की गहराइयों को छूती कविताएं - नीना मोहन श्रीवास्तव

97-123. ममता अमर की कविताएं

!! परिशिष्ट-3: निधि चौधरी !!

124. निधि चौधरी का परिचय

126-127. सत्य का साक्षात्कार कराती कविताएं - शगुफ़्ता रहमान ‘सोना’

128-129. ‘मैं ही बेटी, मैं ही मां हूं, मैं ही दुर्गा भवान हूं’- शमा फ़िरोज़

130. विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करती कविताएं - प्रिया श्रीवास्तव ‘दिव्यम्’

131-152. निधि चौधरी की कविताएं