रविवार, 13 फ़रवरी 2022

इलाहाबाद में अभियन सीखकर टीवी सीरियलों में बनाया ख़ास मुकाम

                                      

 चंद्रेश सिंह


                                                                                       - ऋतंधरा मिश्रा

    चंद्रेश सिंह अपनी मेहनत लगन और जुनून से टीवी की दुनिया में पहचान बनाई और आज वह कामयाब टीवी एक्टर हैं। रहने वाले तो ये पूर्वी उत्तर में स्थित बलिया जिले के हैं, लेकिन इनका कर्मस्थली इलाहाबाद रहा है। यहीं पढ़े-लिखे और रंगमंच के जरिए अभिनय के कई गुण सीखे हैं। अभी तक कई मशहूर टीवी सीरियलों में बतौर अभिनेता अपने अभिनय का हुनर दिख चुके हैं, आज वे एक कामयाब टीवी सीरीयल एक्टर के रूप में जाने जाते हैं।

 बलिया में जन्मे चंद्रेश के पिता इंजीनियर व माता गृहणी है। इलाहाबाद के वीडीए कॉलोनी नैनी में अपना मकान है। इलाहाबाद चंद्रेश सिंह का प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ कार्य करने का अनुभव रहा है। इन्होंने इलाहाबाद में रहते हुए सत्ता का खेल, चंदा बेड़नी, हवालात, हाय मेरा दिल, शुतुरमुर्ग, जलता हुआ रथ, आदि से नाटकों में शानदार अभिनय किया। उसके उपरांत मुंबई चले गए, वहां लंबे समय कड़े संघर्ष के बाद इन्हें टीवी सीरियल में अभिनय करने का अवसर मिला। अवसर मिलते ही इन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी। यही वजह है कि टीवी सीरियल ‘बेटियां’ (ज़ी टीवी) ‘तेरे मेरे सपने’ (स्टार प्लस) ‘बालिका वधू’ (कलर्स टीवी) ‘सुहानी सी एक लड़की’ (सोनी टीवी) ‘ये उन दिनों की बात है’ (सोनी टीवी) ‘राजू बिन’ तथा स्टार प्लस पर ‘इमली’ में बतौर अभिनेता कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही वेब सीरीज ‘रुद्रा’ में अजय देवगन और फिल्म ‘सोनाली’ में काम किया।

 चंद्रेश सिंह का कहना है कि यदि फिल्म या टीवी में सफलता प्राप्त करनी है तो रंगमंच पर अच्छा काम करके आएं, तब सफलता जरूर मिलेगी। क्योंकि रंगमंच ही अभिनय की नीव है। एक कलाकार समाज को अपनी अभिव्यक्ति से अपनी कला के प्रदर्शन से समाज को कोई न कोई अच्छी सीख ही देता है। रंगमंच और टीवी दोनों अलग माध्यम है। रंगमंच के हर एक विभाग में बारीकी काम करेंगे तो सीखने का मिलेगा और सीख हमें आगे चलकर कामयाब बनाएगी। इसलिए शुरू से ही अपने स्तर पर गंभीरता से काम करना चाहिए। हिम्मत नहीं हारनी चाहिए बडी सफ़लता के लिए बड़ा संघर्ष और हिम्मत चाहिए। धैर्य का होना हमारे लिए बेेहद ज़रूरी है।

( गुफ़्तगू के जुलाई-सितंबर 2021 अंक में प्रकाशित )


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