शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2019

डाॅ. बुद्धिनाथ मिश्र के सम्मान में काव्य गोष्ठी संपन्न


प्रयागराज। साहित्यिक संस्था गुफ़्तगू के तत्वावधान में 10 अक्तूबर शाम प्रीतमनगर स्थित सभासद निवास पर देहरादून के मशहूर गीतकार डाॅ. बुद्धिनाथ मिश्र के सम्मान में काव्य गोष्ठी का अयोजन किया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि जमादार धीरज ने किया, मुख्य अतिथि डाॅ. बुद्धिनाथ मिश्र थे, संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया। इस मौके पर प्रीता वाजपेयी और रोशनी पाठक को डाॅ. बुद्धिानथ मिश्र के हाथों ‘गुफ़्तगू’ में कविता प्रकाशित होने पर प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी की ग़ज़ल खूब सराही गई, उन्होंने पढ़ा- ‘शायरों में शुमार है ग़ाज़ी/ मेरे दिल का खुमार है ग़ाज़ी, उसको देखो तो ऐसा लगता है/ वक़्त के आर-पार है ग़ाज़ी।’ डाॅ. बुद्धिना मिश्र की गीत पर लोग झूम उठे- मैंने जीवन भर बैराग जिया है यह भी सच है/लेकिन तुमसे प्यार किया है यह भी सच है।’
इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी

 डाॅ. नीलिमा मिश्रा की ग़ज़ल शानदार रही-‘उसने हमको जा एक नज़र देखा/हमको लोगों ने बेख़बर देखा। मयक़दा हम भला कहां जाने/ मयक़दा हम भला कहां जातेे, उसकी आंखों में डूबकर देखा।’  देहरादून की कवयित्री संस्कृति मिश्रा ने कहा- ‘ 66 साल के बाद भी, आज हम हैं गुलाम/ बेटा पिता को डैड कहता है, माताजी की माम।’ प्रीता वाजपेयी ने तरंनुम में ग़ज़ल पेश कर महफिल में जोश पैदा कर दिया- ‘जब-जब तुमने दर्द दिया एक गीत लिखा मैंने/अश्कों की लड़ियों से फिर संगीत मिला मैंने।’ फतेहपुर के शायर शिवशरण बंधु की ग़ज़ल यूं थी- ‘वो सूरज, चांद धरती ओढ़ लेता है/सफ़र में धूप लगती है तो रस्ता ओढ़ लेता है।’ रितंधरा मिश्रा की पंक्तियां यूं थीं- ‘उसने हमको जो एक नज़र देखा/ हमको लोगों ने बेख़बर देखा।’ डाॅ. वीरेंद्र कुमार तिवारी की कविता शानदार रही-‘मां ने एहसान कभी जताया है क्या/ कितने दुख सहे कभी बताया क्या।’ फतेेहपुर से आए कवि राजेंद्र यादव ने कहा-‘ मैं ईश्वर हूं, बोल रहा हूं/वाणी ही बंधन है मेरा/ तेरी वाणी तोल रहा है। जमादार धीरज का गीत सराहनीय रहा- ‘जगी आंसुओं में जो संवेदनायें/ मैं गीतों में उनको सजाता रहूंगा।’ फ़रमूद इलाहाबादी, डाॅ. वीरेंद्र कुमार तिवारी, डाॅ. राम लखन चैरसिया , रचना सक्सेना और संजय सक्सेना ने भी कविताएं प्रस्तुत की। अंत में इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने सबके प्रति आभार प्रकट किया।

मनमोहन सिंह तन्हा

डाॅ. नीलिमा मिश्रा

प्रीता वाजपेयी
संस्कृति मिश्रा

रचना सक्सेना