मंगलवार, 31 मई 2022

मानवीय प्रेम का प्रतिबिंब है शायरी : डॉ. तिवारी

उस्मान उतरौलवी और रईस की किताबों का हुआ विमोचन

मुशायरा में शायरों ने अपने कलाम से दिया मोहब्बत का पैगाम

प्रयागराज। शायरी मानवीय प्रेम की प्रतिबिंब होती है, जिसके दिल में प्रेम का सागर होता है वही शायरी करता है। उस्मान उतरौलवी और रईस सिद्दीक़ी बहराइची भी ऐसे ही शायर हैें, जिनके दिल में प्यार का सागर उबाल मार रहा है। इन दोनों शायरों को पढ़ने के बाद बिना संकोच के यह कहा जा सकता है कि इनकी इस देश, समाज और वर्तमान परिदृश्य पर बारीक नज़र है, इसलिए लोगों की बेहतरी और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देने की बात इनकी शायरी में जगह-जगह दिखाई देती है। इनकी शायरी आज के समाज के लिए बेहद ज़रूरी है, जिसे हर किसी को पढ़ना चाहिए। यह बात वरिष्ठ गीतकार डॉ. वीरेंद्र तिवारी ने 28 मई को करैली स्थित अदब में गुफ़्तगू की ओर से आयोजित विमोचन समारोह में कही। कार्यक्रम के दौरान किताबें ‘उस्मान उतरौलवी के सौ शेर’ और ‘रईस सिद्दीक़ी बहराइची के सौ शेर’ का विमोचन किया गया।

 गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि उस्मान और रईस आज के दौर के ऐसे शायर हैं, जिन्हें पढ़ा जाना बेहद ज़रूरी है, इन्होंने अपनी शायरी में समाज के मौजूदा हालात पर बेहतरीन बातें कहीं है, जो आज की ज़रूरत है। रईस सिद्दीक़ी ने कहा कि गुफ़्तगू प़िब्लकेशन ने हमारी शायरी का चयन करके प्रकाशित किया है, जो हमारे लिए बेहद ज़रूरी था। उस्मान उतरौलवी ने अपनी किताब के प्रकाशन के लिए गुफ़्तगू का शुक्रिया अदा किया।

 प्रभाशंकर शर्मा ने कहा कि शायरी ऐसी चीज़ है, जो युगांे-युगों तक दुनिया में कायम रहती है। उस्मान उतरौलवी भी ऐसी ही शायरी करते हैं, जो रहती दुनिया तक याद रखी जाएगी। नरेश महरानी ने कहा कि रईस सिद्दीक़ी की शायरी को पढ़ने के बाद बिना संकोच कहा जा सकता है कि उनकी पूरी दुनिया पर बारीक नज़र है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे तलब जौनपुरी ने कहा कि रईस और उस्मान की शायरी बेहद स्तरीय है, आज के समय में ऐसी ही शायरी की ज़रूरत है। इन दोनों की किताबें आज के समय के लिए बेहद ख़ास है, उम्मीद है कि अदब की दुनिया में इन्हें हाथों-हाथ लिया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन  सिह तन्हा ने किया।

दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। फ़रमूद इलाहाबादी, रेशादुल इस्लाम, अफसर जमाल, अजीत शर्मा आकाश, राकेश मालवीय, जीशान फतेहपुरी, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, नरेश महरानी, शाहीन खुश्बू, प्रकाश सिंह अश्क, तलब जौनपुरी, डॉ. वीरेंद्र तिवारी, असलम  निजामी और आलम इलाहाबादी आदि ने कलाम पेश किया।


गुरुवार, 19 मई 2022

गुफ़्तगू के जनवरी-मार्च 2022 अंक में

 



4. संपादकीय: साहित्य के मूल उद्देश्य को ख़तरा

5-6. मुग़ल ख़ानदान की शायरा ज़ेबिन्नुनिशा मख़फ़ी- डॉ. राकेश तूफ़ान

7-8. कमाल अमरोही का अंदाज़ था सबसे जुदा - हकीम रेशादुल इस्लाम

9-21. ग़ज़लें: डॉ. बशीर बद्र, केके सिंह मयंक, सागर होशियारपुरी, इक़बाल आज़र, तलब जौनपुरी,, मनोज फगवाड़वी, राजीव राय, राजेंद्र वर्मा, अखिलेश निगम अखिल,  इश्क़ सुल्तानपुरी, डॉ. राकेश तूफ़ान, डॉ. श्रद्धा निकुंज ‘अश्क’, बसंत कुमार शर्मा, रईस सिद्दीक़ी बहराइची, डॉ. शमीम देवबंदी,  डॉ. नलिन, डॉ. अंजना सिंह सेंगर,  शहाबुद्दीन कन्नौजी, अरविंद असर, रश्मि लहर, केशपाल सिंह सच,  कुंवर नाजुक, राज जौनपुरी, प्रकाश प्रियम, विवेक चतुर्वेदी, शिव सिंह सागर

22-29. कविताएं: सोम ठाकुर, यश मालवीय, सरिता गर्ग सरि,  मंजुला शरण मनु, डॉ. मधुबाला सिन्हा, शिव कुमार राय, डॉ. निशा मौर्या, प्रिया शर्मा,  मनमोहन सिंह तन्हा,  केदारनाथ सविता, विभु सागर, सुरजीत मान जलैया सिंह, दीप्ति दीप, अर्शा हय्यूम

30-33. इंटरव्यू: ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र

34-38. चौपाल: कविता के लिए छंद कितना ज़रूरी 

39-43. तब्सेरा: कविता के प्रमुख हस्ताक्षर, तिमिर से समर, अच्छे दिन का सोग, लोक-नाट्य नौटंकी,

44-47. उर्दू अदब: ज़गे आज़ादी में मुमताज शोअरा का हिस्सा, आवाज़, जर्बे-तब्बसुम,  फिक्रे पैकर, सआते-फिक्र, तोहफा-ए-रबीउल अव्वल,

48. शख़्सियत: कोरोना काल के मसीहा डॉ. तारिक़ महमूद- यश मालवीय

49-50. गुलशन-ए-इलाहाबाद: उर्मिला शर्मा

51. ग़ाजीपुर के वीर: सूफ़ी शम्सुद्दीन

52-56. अदबी ख़बरें

57-89. परिशिष्ट-1: डॉ. एम.डी. सिंहश्

57. डॉ. एम.डी. सिंह का परिचय

58. प्रतिभा स्फोट के सिद्ध साधक कवि - प्रो. शशिभूषण शीतांशु

59-60. एक जंगल मेरे भीतर - पद्मश्री रमेश चंद्र शाह

61-63. डॉ. एम.डी. सिंह की कविताई का जंगल - आनंद कुमार सिंह

64-89. डॉ. एम.डी. सिंह की कविताएं

90-121. परिशिष्ट-2: साबिर जौहरी

90. साबिर जौहरी का परिचय

91. अंधेरे के खिलाफ़ उजाले का सफ़र - विजय प्रताप सिंह

92-93. संजीदा और मोतबर शायर - शैलेंद्र जय

94-95. सच्चाई से सामना कराती साबिर की शायरी- नीना मोहन श्रीवास्तव

96-121. साबिर जौहरी की रचनाएं

122-152. परिशिष्ट-3: जितेंद्र कुमार दुबे

122. जितेंद्र कुमार दुबे का परिचय

123. हर व्यक्ति हो गया महेश है - यश मालवीय

124-126. अतीत की प्रतीति कराती कविताएं - इश्क़ सुल्तानपुरी

127-128. जनता का दर्द बयां करती कविताएं - शिवाजी यादव 


मंगलवार, 10 मई 2022

फूलों के जरिए मोहब्बत का पैग़ाम देते हैं ग़ाज़ी: अंसारी

‘फूल मुख़ाबित हैं’ के विमोचन अवसर पर बोले पूर्व डीजीपी
मुशायरा में शायरों ने अपने कलाम से दिया मोहब्बत का पैगाम


प्रयागराज। वर्तमान समय में ‘फूल मुख़ातिब हैं’ एक ऐसा दस्तावेज है, जिसे पढ़ना हर किसी के लिए बेहद ज़रूरी है। नफ़रत और मतलबपरस्ती के माहौल में इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने फूलों के बहाने इंसानियत और मोहब्बत का पैग़ाम अपनी किताब के माध्यम से पेश किया है। एक ही विषय पर 300 शेर कह देना हर किसी के बस की बात नहीं है, लेकिन इम्तियाज़ ग़ाज़ी ने इसे कर दिखाया है। आज के समय में ऐसी शायरी की ज़रूरत है, इस किताब का आंकलन ऐतिहासिक तौर पर किया जाएगा, यह एकदम अलग किस्म की किताब है। यह बात 08 मई को इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी की पुस्तक ‘फूल मुख़ातिब हैं’ के विमोचन अवसर पर छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी मोहम्मद वज़ीर अंसारी ने कही। कार्यक्रम का आयोजन गुफ़्तगू की आरे से सिविल लाइंस बाल भारती स्कूल में किया गया। 
 इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि एक छोटी सी घटना से फूल पर शेर कहने का सिलसिला शुरू हुआ, जो 300 शेर कहने तक जारी रहा। एक ही विषय ‘फूल’ पर शेर कहना बहुत आसान नहीं होता, लेकिन एक-एक दो-दो करके कब 300 शेर पूरे हो गए पता ही नहीं चला।                         

‘गुफ़्तगू’ की संरक्षक डॉ. मधुबाला सिन्हा को को सम्मानित करते अतिथि



कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मशहूर गीतकार यश मालवीय ने कहा कि ‘फूल मुख़ातिब हैं’ सिर्फ़ एक किताब नहीं है बल्कि यह फूलों की घाटी है जहां पहुंचकर इंसान सारे दुख दर्द भूल जाता है। इस किताब की खुश्बू इतनी व्यापक है कि पतझड़ में सावन और कश्मीर की वादियां सामने दिखने लगती हैं। आज के समय में जब हर नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है, वैसे में इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी सैकड़ों फूलों के साथ खड़े है, जिसका खुले मन से स्वागत किया जाना चाहिए। एसटीएफ में एडीशनल एसपी डॉ. राकेश तूफ़ान ने कहा कि ‘फूल मुख़ातिब हैं’ पढ़ने के बाद निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि इम्तियाज़ गा़ज़ी आने वाले समय में अदब के देवानंद और राजेश खन्ना साबित होंगे। इन्होंने फूलों के माध्यम से मोहब्बत का पैगाम देकर लोगों को सराबोर कर दिया है।  ,
                              
            
‘गुफ़्तगू’ की संरक्षक डॉ. शबाना रफ़ीक को सम्मानित करते अतिथि



उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डॉ. शिवम शर्मा ने कहा कि इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी की यह किताब अदब की दुनिया के लिए एक नायाब तोहफा है, एक ही विषय पर पूरी किताब तैयार कर देना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन इम्तियाज़ गा़ज़ी ने यह कर दिखाया है। सहायक डाक अधीक्षक मासूम रज़ा राशदी ने कहा कि यह एक बहुत ही विशिष्ट किताब है, क्योंकि यह पैमामे मोहब्बत लाने वाली किताब है। हसनैन मुस्तफ़ाबादी, उस्मान उतरौलवी और नरेश महरानी ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया। 
                 

‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक हसनैन मुस्तफ़ाबादी को सम्मानित करते अतिथि

           


‘गुफ़्तगू’ की संरक्षक ग़ाज़ियाबाद की डॉ. उपासना दीक्षित को सम्मानित करते अतिथि




‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक डॉ. राकेश तूफ़ान को सम्मानित करते अतिथि़

                            


   
‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक मासूम रज़ा राशदी को सम्मानित करते अतिथि


                                                                                  
दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। अनिल मानव, प्रभाशंकर शर्मा, हकीम रेशादुल इस्लाम, डॉ. मधुबाला सिन्हा, डॉ. उपासना दीक्षित, शैलेंद्र जय, एस. जे. रहमानी, संजय सक्सेना, सरिता श्रीवास्तव, अर्चना जायसवाल, शिवपूजन सिंह, राज जौनपुरी, आलोक सिंह, धीरेंद्र सिंह नागा, डॉ. प्रकाश खेतान,, वाकिफ़ अंसारी, रचना सक्सेना, अशोक श्रीवास्तव कुमुद, अफसर जमाल, चेतना चितेरी, सचिन गुप्ता आदि ने कलाम पेश किया।

‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक प्रभाकर द्विवेदी प्रभामाल को सम्मानित करते अतिथि

 


‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक ज़फ़र बख़्त को सम्मानित करते अतिथि


‘गुफ़्तगू’ की संरक्षक सरिता श्रीवास्तव को सम्मानित करते अतिथि

‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक संजय सक्सेना को सम्मानित करते अतिथि