मंगलवार, 10 मई 2022

फूलों के जरिए मोहब्बत का पैग़ाम देते हैं ग़ाज़ी: अंसारी

‘फूल मुख़ाबित हैं’ के विमोचन अवसर पर बोले पूर्व डीजीपी
मुशायरा में शायरों ने अपने कलाम से दिया मोहब्बत का पैगाम


प्रयागराज। वर्तमान समय में ‘फूल मुख़ातिब हैं’ एक ऐसा दस्तावेज है, जिसे पढ़ना हर किसी के लिए बेहद ज़रूरी है। नफ़रत और मतलबपरस्ती के माहौल में इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने फूलों के बहाने इंसानियत और मोहब्बत का पैग़ाम अपनी किताब के माध्यम से पेश किया है। एक ही विषय पर 300 शेर कह देना हर किसी के बस की बात नहीं है, लेकिन इम्तियाज़ ग़ाज़ी ने इसे कर दिखाया है। आज के समय में ऐसी शायरी की ज़रूरत है, इस किताब का आंकलन ऐतिहासिक तौर पर किया जाएगा, यह एकदम अलग किस्म की किताब है। यह बात 08 मई को इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी की पुस्तक ‘फूल मुख़ातिब हैं’ के विमोचन अवसर पर छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी मोहम्मद वज़ीर अंसारी ने कही। कार्यक्रम का आयोजन गुफ़्तगू की आरे से सिविल लाइंस बाल भारती स्कूल में किया गया। 
 इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि एक छोटी सी घटना से फूल पर शेर कहने का सिलसिला शुरू हुआ, जो 300 शेर कहने तक जारी रहा। एक ही विषय ‘फूल’ पर शेर कहना बहुत आसान नहीं होता, लेकिन एक-एक दो-दो करके कब 300 शेर पूरे हो गए पता ही नहीं चला।                         

‘गुफ़्तगू’ की संरक्षक डॉ. मधुबाला सिन्हा को को सम्मानित करते अतिथि



कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मशहूर गीतकार यश मालवीय ने कहा कि ‘फूल मुख़ातिब हैं’ सिर्फ़ एक किताब नहीं है बल्कि यह फूलों की घाटी है जहां पहुंचकर इंसान सारे दुख दर्द भूल जाता है। इस किताब की खुश्बू इतनी व्यापक है कि पतझड़ में सावन और कश्मीर की वादियां सामने दिखने लगती हैं। आज के समय में जब हर नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है, वैसे में इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी सैकड़ों फूलों के साथ खड़े है, जिसका खुले मन से स्वागत किया जाना चाहिए। एसटीएफ में एडीशनल एसपी डॉ. राकेश तूफ़ान ने कहा कि ‘फूल मुख़ातिब हैं’ पढ़ने के बाद निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि इम्तियाज़ गा़ज़ी आने वाले समय में अदब के देवानंद और राजेश खन्ना साबित होंगे। इन्होंने फूलों के माध्यम से मोहब्बत का पैगाम देकर लोगों को सराबोर कर दिया है।  ,
                              
            
‘गुफ़्तगू’ की संरक्षक डॉ. शबाना रफ़ीक को सम्मानित करते अतिथि



उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डॉ. शिवम शर्मा ने कहा कि इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी की यह किताब अदब की दुनिया के लिए एक नायाब तोहफा है, एक ही विषय पर पूरी किताब तैयार कर देना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन इम्तियाज़ गा़ज़ी ने यह कर दिखाया है। सहायक डाक अधीक्षक मासूम रज़ा राशदी ने कहा कि यह एक बहुत ही विशिष्ट किताब है, क्योंकि यह पैमामे मोहब्बत लाने वाली किताब है। हसनैन मुस्तफ़ाबादी, उस्मान उतरौलवी और नरेश महरानी ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया। 
                 

‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक हसनैन मुस्तफ़ाबादी को सम्मानित करते अतिथि

           


‘गुफ़्तगू’ की संरक्षक ग़ाज़ियाबाद की डॉ. उपासना दीक्षित को सम्मानित करते अतिथि




‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक डॉ. राकेश तूफ़ान को सम्मानित करते अतिथि़

                            


   
‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक मासूम रज़ा राशदी को सम्मानित करते अतिथि


                                                                                  
दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। अनिल मानव, प्रभाशंकर शर्मा, हकीम रेशादुल इस्लाम, डॉ. मधुबाला सिन्हा, डॉ. उपासना दीक्षित, शैलेंद्र जय, एस. जे. रहमानी, संजय सक्सेना, सरिता श्रीवास्तव, अर्चना जायसवाल, शिवपूजन सिंह, राज जौनपुरी, आलोक सिंह, धीरेंद्र सिंह नागा, डॉ. प्रकाश खेतान,, वाकिफ़ अंसारी, रचना सक्सेना, अशोक श्रीवास्तव कुमुद, अफसर जमाल, चेतना चितेरी, सचिन गुप्ता आदि ने कलाम पेश किया।

‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक प्रभाकर द्विवेदी प्रभामाल को सम्मानित करते अतिथि

 


‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक ज़फ़र बख़्त को सम्मानित करते अतिथि


‘गुफ़्तगू’ की संरक्षक सरिता श्रीवास्तव को सम्मानित करते अतिथि

‘गुफ़्तगू’ के संरक्षक संजय सक्सेना को सम्मानित करते अतिथि

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