डा. मोनिका मेहरोत्रा ‘नामदेव’ खुशियां,सुख, प्रसन्नता.... क्या है इसकी परिभाषा...। शायद इन भावनाओं को शब्दों में या परिभाषा में पिरोया या बांधा नहीं जा सकता। समय बीतता जाता है वर्षों में गिनतियां बढ़ती जाती हैं लेकिन इन भावनाओं को सही मायने में व्यक्तिगत ही माना जाता है, ये व्यक्ति के अनुसार बढ़ती या घटती है, हां। परिस्थितियां और मानव या लिंग स्वभाव भी इनको प्रभावित कर सकता है। एक स्त्री के लिए खुशी उसके परिवार उसके अपने सगे-संबंधी, उसके अपने मित्रों तक ही सीमित होती है जो स्त्री अपने परिवार से प्रेम करती है उसकी खुशियां भी उसके परिवार की खुशी पर ही निर्भर करती है, लेकिन इन सबमें जिसे वह अपने से भी कभी भी अलग नहीं मानती है उसका प्रेम यानी उसका जीवन साथी। अपने प्रेम के सानिध्य में ही एक स़़़्त्री की खुशियां और सुख निहित होता है। पत्नी के प्रति उसके पति का स्नेह, अपनत्व और सानिध्यता पाकर कोई भी स्त्री जीवन के हर मुकाम को,सुख या दुःख को खुशी-खुशी पार करने की क्षमता प्राप्त कर लेती है। एक स्त्री और एक कवयित्री होने के नाते मैं डाॅ. नन्दा शुक्ला के उन विभिन्न भावनाओं की कद्र करती हूं और महसूस कर सकती हूं कि किस प्रकार उन्होंने अपने काव्य संग्रह ‘नेह निर्झर’ में मानव जीवन में आयी प्रेम वर्षा को उसमें मिलन के सुख को और विछोह के दुःख को कविताओं के माध्यम से प्रदर्शित करने का प्रयास किया है। नेह निर्झर में चार खंड हैं, जिसमें तृतीय खण्ड और चतुर्थ खण्ड मुख्य रूप से प्रेम के दोनों रूपों संयोग और श्रृंगार रस और वियोग श्रृंगार रस को भली प्रकार से प्रदर्शित किया है। दरअसल, यह पूरा काव्य संग्रह जैसे एक पूरा जीवन है। यौवन अवस्था में प्रवेश कर जब नर-नारी एक अनदेखा सपना संजोने लगते हैं। सपनों का राजकुमार और सपनों की राजकुमारी एक अनदेखा अनछुआ एहसास... अक्सर सपने देखा करता, मिले नहीं फिर भी एक बार तन्हाइयों में बातें करता एक नहीं कई हजार। जब अनदेखा अक्स अक्सर तन्हाइयों में कभी हंसा जाता है तो कभी उसका अनछुआ एहसास गुदगुदा जाता है। ‘नेह निर्झर’ के प्रथम खंड की कविताओं में कुछ ऐसे ही एहसास वाली बात का चित्रण है। द्वितीय और तृतीय खण्ड की कविताओं का अवलोकन करने पर यह ज्ञात होता है कि जीवन में कल्पनाओं का वास्तविकता का क्या महत्व है। एक स्त्री के मन का भाव कैसा होता है। नर द्वारा नारी का त्याग करना, न केवल उसके प्रेम, उसके समर्पण और उसके विश्वास का त्याग है बल्कि उसका अस्तित्व की इस भावना को स्वीकार नहीं कर पाता। कवयित्री स्वयं लिखती है- चाहती हूं बहुत भुलाना ये सब, नहीं विस्मृत हो पाती ये अब। स्त्री और पुरूष जब किसी संबंध में बंधते हैं तो उसमें विश्वास का होना बहुत आवश्यक है, विशेषकर विवाह बंधन में। प्रेम और संपूर्ण न्यौछावर करने की भावना दोनों पक्षों में समान होती है, लेकिन आज के भौतिकवादी युग में सबकुछ पाने की इच्छा में कई बार हम उसे नहीं प्राप्त कर पाते जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है और इसमें अपना हित करने के स्थान पर अहित करते जाते हैं। डाॅ. नन्दा शुक्ला ने परिवर्तन, एकांकी जीवन, वीरान पथ, साथी क्यों छूटा जैसी कविताओं में इन भावनाओं को समेटने का प्रयास किया है। हमसे नहीं गिला तुमको अपनो का है जो साथ हमारे उसकी कर शिकायत हमसे निज का बंधन तोड़ दिया निज हित भी न पहचाना अहं में आकर निज बंधन तोड़ा दिया। फिलहाल संपूर्ण काव्य संग्रह ‘नेह निर्झर’ भावनाओं से ओतप्रोत है। भावनाओं की अत्यधिक अधिकता के कारण कहीं-कहीं कविताओं में नीरसता भी आ गयी है लेकिन कविताएं हृदयस्पर्शी और मार्मिक हैं। डाॅ. शुक्ला को मेरी ओर से बधाई। पुस्तक का नामः नेह निर्झर कवयित्री: डा. नन्दा शुक्ला पेज: 80, मूल्यः 60 रुपये प्रकाशक: गुफ्तगू पब्लिकेशन, इलाहाबाद ISBN- 978-81-925218-0-0 डा. मोनिका मेहरोत्रा ‘नामदेव’ ए-306,जीटीबी नगर, करेली इलाहाबाद-211016 मोबाइल नंबर: 9451433526 ![]() |
डा. नन्दा शुक्ला |
शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013
भावनाओं से ओत-प्रोत काव्य संग्रह ‘नेह निर्झर’
सोमवार, 18 फ़रवरी 2013
सीएमपी डिग्री कालेज में शेरो-शायरी से माहौल हुआ खुशरंग
इलाहाबाद। 7 फरवरी को सीएमपी डिग्री कालेज का प्रांगण शेरो-शायरी के माहौल से खुशरंग हो गया। ‘गुफ्तगू’ और सीएमपी कालेज के तत्वावधान में मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ शायर एहतराम इस्लाम ने की, मुख्य अतिथि आरबीएल श्रीवास्तव थे। संचालन इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने किया।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhD0XdzmorFihdhgpdDBbWVpj5TZDg5D9NS7BZkZ1sj_-1IeeRVfTcOhiit9yXvcyQFbUI_iX-hcRHV8WWyBXArn4ew0GRxq5BK1K1P4zFXzKY1mfTa6zngoUpP__WpOpzPnupmMGCwy0Q/s400/group.jpg)
युवा कवि अजय कुमार ने महाकुंभ का समर्पित कविता पेश किया-
कोई गंाव से आया गंगा नहाने
कोई मनकामेश्वर चला सिर झुकाने
कोई अस्था में बहा जा रहा है
कोई गंाव से आया गंगा नहाने
कोई मनकामेश्वर चला सिर झुकाने
कोई अस्था में बहा जा रहा है
कहां कुंभ नगरी कहां जा रहा है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgVOI80vGEfVnzA4ySpepLE4gkwuVJiJJUwzILA0j5P9MUxhTavzwDR0nvy3LitEWUlAqTJQyD22sUmcdaEKaVRZWNeb1q-BUeUHdQdBVt6vgW7Dse67aifoJ-TXePhe9TaKfUhLo8nCYE/s400/ajay+kumar.jpg)
इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी के अशआर काफी सराहे गये-
रंजो-ग़म से मुझे आशना देखकर।
खुश हुआ किस कदर बेवफ़ा देखकर।
नाज़ करते थे कल अपनी अंगड़ाई पर,
रंजो-ग़म से मुझे आशना देखकर।
खुश हुआ किस कदर बेवफ़ा देखकर।
नाज़ करते थे कल अपनी अंगड़ाई पर,
आज रोने लगे आईना देखकर
।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbix59g1g6kyDJ01liRkoZrSZH4MgUX5Itu7sNIeq-hJZ8eQQHoAIg0lhYw7d1p1tCCAvdX7cOWGELb4bfHvbh0ZSCDI9qEGqVh-Wlr38dEo2JMHrlUusYbYdsrjDsWOLHkP3a5I4S7K0/s400/imtiyaz.jpg)
वीनस केसरी के अशआर यूं थे-
जब से सब खुद्दार हुए हैं बस्ती में,
नेताजी बीमार हुए हैं बस्ती में।
एक गुलाब ने खिलने की गुस्ताखी की,
जब से सब खुद्दार हुए हैं बस्ती में,
नेताजी बीमार हुए हैं बस्ती में।
एक गुलाब ने खिलने की गुस्ताखी की,
सौ सौ दोवदार हुए हैं बस्ती में।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEisJdU4EDWjMJ6DRKD27FJkVN6sSYKLEtPwhyphenhyphenmnZDu1eQyynhYkq44_NfhqxEPHiImbE1bZuqbpkMuYaRB8cGwxrEgXGYxWxeOGbBNgbfy3aKefWYPqOyIRR1JMkJmyUbEmCCIkT7enDrw/s1600/vinus+kesari.jpg)
नरेश कुमार ‘महरानी’ ने दोहा पेश किया-
राग रंगों की दुनिया, फैशन डूबी जोत
मौर रंग की डुबती, ज्यों ज्यों श्यामल होत।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjOmAITg-y3jQlCckO_SdL6oeYKzyMaOdbnx7DrzWYX7W8QlclE0hedpH-uT9zs79-jOQHX6xk5a1p8w-eod62TH4GnjmZEVyGtJTATaayVw_-jXyKHp-k241xBqD99uJSZ3roWtCm3oLw/s400/naresh+mahrani.jpg)
राग रंगों की दुनिया, फैशन डूबी जोत
मौर रंग की डुबती, ज्यों ज्यों श्यामल होत।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjOmAITg-y3jQlCckO_SdL6oeYKzyMaOdbnx7DrzWYX7W8QlclE0hedpH-uT9zs79-jOQHX6xk5a1p8w-eod62TH4GnjmZEVyGtJTATaayVw_-jXyKHp-k241xBqD99uJSZ3roWtCm3oLw/s400/naresh+mahrani.jpg)
शायरा सबा खान के कलाम काफी सराहे गये-
जि़न्दगी जब भी किसी मोड़ पे दुश्वार हुई,
जि़न्दगी जब भी किसी मोड़ पे दुश्वार हुई,
ये मेरा अज्म है मैं और भी खुद्दार हुई।
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एहतराम इस्लाम के अश्आर काबिले तारीफ थे-
मर्द होने की भूल मत करना।
मर्द होने की भूल मत करना।
जुर्म अपना कबूल मत करना।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEizm55iASrT8fvCWEe-U7X9zXMM_qNaBYenDSXsuTWdYWgL_yzRhSYyRLv_Kefu5MrUizukE0HEleTEIbaULcAz4um_5fRUfsnaxauRSZ5hlUK-gkpD-stAmAm-va9HMFmGMnoflNX4_7c/s400/aehtram+islaam.jpg)
नायाब बलियावी ने कहा-
दिल लगा लीजै कुछ देर को हंस लीजै मगर,
दिल लगा लीजै कुछ देर को हंस लीजै मगर,
मसतकिल इसके आपको रोना होगा।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgwObyzDqH8NpmEd9Fl_wJd6kv1gE1PwG087IM66IkYy82aryqtB0tsBlAdwf-cNc3UWgxcJICbJlZMbucNPe_omdqQkvhVqWmOviJiXUE86Cp6JkpIGmm-aaOhX-Pc0_a7WOISOcgLwMA/s400/nayab+baliyawi.jpg)
मखदूम फूलपुरी ने तरंनुम कलाम पेश कर महफिल में जोश पैदा कर दिया-
मुसाफिर अब कोई घर चाहता है, ये दरिया है समुंदर चाहता है।
हटा दो पत्थरों केा शीशा लाओ, कहीं पत्थर को पत्थर चाहता है।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWpPtIbe6LSKHLPJhlamFG_K9IHT-8AJ63xhfOJabNW8snRWBMxYd_aSnTesEDA_5lGQS9atylhZFsEPOqWSzAA59HT3nFWCCUVcX2xPJVY2NTHwfc73API2EGppkcw92TNCn_zIIucVA/s400/makhdoom+phoolpuri.jpg)
मुसाफिर अब कोई घर चाहता है, ये दरिया है समुंदर चाहता है।
हटा दो पत्थरों केा शीशा लाओ, कहीं पत्थर को पत्थर चाहता है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjWpPtIbe6LSKHLPJhlamFG_K9IHT-8AJ63xhfOJabNW8snRWBMxYd_aSnTesEDA_5lGQS9atylhZFsEPOqWSzAA59HT3nFWCCUVcX2xPJVY2NTHwfc73API2EGppkcw92TNCn_zIIucVA/s400/makhdoom+phoolpuri.jpg)
रमेश नाचीज़ के अशआर यूं थे-
जिसका ख़्याल जिसका इरादा अटल नहीं,
मक़सद में अपने होगा कभी वो सफ़ल नहीं।
केवल समाजवाद का नारा उछालिये,
आना समाजवाद का इतना सरल नहीं।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEimLVzK0uZM1Z4yfB2A6qr5ZluLJvHwfTSnQv3kD8hyphenhyphenO19m-5QqHga7YdPIhMq090ldrD3b3szJ3i8IKKXRS-_-3MfnR9DEmVZrG8TMtbUx8AeO1Me2Mzo9lGuB3f62wRaMcSMLX8Xliuo/s400/ramesh+nacheez.jpg)
जिसका ख़्याल जिसका इरादा अटल नहीं,
मक़सद में अपने होगा कभी वो सफ़ल नहीं।
केवल समाजवाद का नारा उछालिये,
आना समाजवाद का इतना सरल नहीं।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEimLVzK0uZM1Z4yfB2A6qr5ZluLJvHwfTSnQv3kD8hyphenhyphenO19m-5QqHga7YdPIhMq090ldrD3b3szJ3i8IKKXRS-_-3MfnR9DEmVZrG8TMtbUx8AeO1Me2Mzo9lGuB3f62wRaMcSMLX8Xliuo/s400/ramesh+nacheez.jpg)
सौरभ पांडेय ने कहा-
नदी में उतरना हुनर मांगता है
चले हैं तभी वो किनारे बदलते
न मद है, न मत्सर सुनूं हर तरफ पर
नदी में उतरना हुनर मांगता है
चले हैं तभी वो किनारे बदलते
न मद है, न मत्सर सुनूं हर तरफ पर
जहां देखता हूं मठाधीश पलते।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgmhCEihLejo9SB9H7ZJ3jUabVLdZYBbY2Wx2PcdfCqtRgMPbuD4TbJRmtbqPAkCnslR8CIp_c8XIT_Ap8AWLy90lIFtTohmu-AJT_F1UUGn7Kty8hJyGR6tk1_9XocMxqvHNdjN-yts2g/s400/saurabh+pandey.jpg)
सुशील द्विवेदी की कविता यूं थी-
प्रेम है खुली किताब/समझ सके समझ ले तू
यहां शब्द-शब्द अनंत है/न आदि है, न अंत है
हर एक-एक शब्द का/अनंत-अनंत अर्थ है
पढ़ सके तो पढ़ ले तू/प्रेम है खुली किताब।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg2AENCE1yVeuEfeNT7_CFEfEAI0HWaINJmDV9sSjbiat5xupFKzktiW34k9Ap3SgjkSH9YhkmmTMfP3fy8nDw88AO_7E_tLfTyezRecYA7kUITNtEnNA6xdSSobFZ9RQheRQs4gvXbM_Y/s400/sushil+devedi.jpg)
प्रेम है खुली किताब/समझ सके समझ ले तू
यहां शब्द-शब्द अनंत है/न आदि है, न अंत है
हर एक-एक शब्द का/अनंत-अनंत अर्थ है
पढ़ सके तो पढ़ ले तू/प्रेम है खुली किताब।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg2AENCE1yVeuEfeNT7_CFEfEAI0HWaINJmDV9sSjbiat5xupFKzktiW34k9Ap3SgjkSH9YhkmmTMfP3fy8nDw88AO_7E_tLfTyezRecYA7kUITNtEnNA6xdSSobFZ9RQheRQs4gvXbM_Y/s400/sushil+devedi.jpg)
रोहित त्रिपाठी ‘रोगश्वर’ ने कहा-
तेरी चोटो का हर इक जख़्म मेरे काम आया
मेरी खातिर हजारो तोहफे और इनाम लाया।
कब्र पे बैठकर ग़ज़लें लिखा करता हूं मैं अब
कब्र का रास्ता मुझको तुम्ही ने था दिखाया।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjpyUuczXGAY2_Lx_RLz3jQE-M4P3y90FwLaNEZb-bdoVhS0nWtXyILyzChfKziLLw1HA3x0CoQRCu12rNYzKUWX4C0V__owY715eDQ1qSIpueIaVhTBodihH8A4uBIBCnH2kPIfKG_PMs/s400/rohit+tripathi.jpg)
तेरी चोटो का हर इक जख़्म मेरे काम आया
मेरी खातिर हजारो तोहफे और इनाम लाया।
कब्र पे बैठकर ग़ज़लें लिखा करता हूं मैं अब
कब्र का रास्ता मुझको तुम्ही ने था दिखाया।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjpyUuczXGAY2_Lx_RLz3jQE-M4P3y90FwLaNEZb-bdoVhS0nWtXyILyzChfKziLLw1HA3x0CoQRCu12rNYzKUWX4C0V__owY715eDQ1qSIpueIaVhTBodihH8A4uBIBCnH2kPIfKG_PMs/s400/rohit+tripathi.jpg)
कु. गीतिका श्रीवास्तव ने तरंनुम में कलाम पेश किया-
दुनिया के बेडियों को तोड़ते जाना
खुद से जो वादा है उसको निभाना
पग-पग काटे हैं ये ना बिसराना
दुनिया के बेडियों को तोड़ते जाना
खुद से जो वादा है उसको निभाना
पग-पग काटे हैं ये ना बिसराना
इन कांटों के ही आगे खुशी का खजाना।
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प्रो.एस.एन. श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन किया |
बुधवार, 6 फ़रवरी 2013
गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र के सम्मान में काव्य गोष्ठी
इलाहाबाद। मशहूर गीतकार डा. बुद्धिनाथ मिश्र के सम्मान में साहित्यिक पत्रिका ‘गुफ्तगू’ द्वारा 02 फरवरी को महात्मा गांधी अंतरराष्टीय हिन्दी विश्वविद्यालय के शाखा परिसर में कवि सम्मेलन का अयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर एहतराम इस्लाम ने किया, मुख्य अतिथि डा. बुद्धिनाथ मिश्र थे। संचालन इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने किया।![]() |
बायें से: अजय कुमार, वीनस केसरी, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, डा. बुद्धिनाथ मिश्र, सौरभ पांडेय, नरेश कुमार ‘महरानी’ |
एहतराम इस्लाम-
मर्द होने की भूल मत करना।
जुर्म अपना कबूल मत करना।
मर्द होने की भूल मत करना।
जुर्म अपना कबूल मत करना।
डा. बुद्धिनाथ मिश्र-
मैंने जीवन भर बैराग जिया है, सच है।
लेकिन तुमसे प्यार किया है ये भी सच है।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjFmoXNmskDYb80m8z5j9HjhGQiSLoywzq1f0i9QT0WmQsHEfX9O-wUT4spw3JvSXc-kZ3-4FQm5-HocY8WfUpjMBVNhxmJls9PVooQqa68e0JlooZbjKtSDB7BmRXxvalmhZRJO3Fd8o4/s400/budhinath.jpg)
मैंने जीवन भर बैराग जिया है, सच है।
लेकिन तुमसे प्यार किया है ये भी सच है।
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यश मालवीय-
गंगा के तट पर जगा, ऐसा जीवन राग,
तन तो काशी हो गया, मन हो गया प्रयाग।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhX6XhVK3Kg_8lqBkZgwJqOkJi6s-8W8EqIlIq3aLCNUzRhWCisoguRfFHPRjcIvvx2oZPg_jP80m1uypfEIzXuPCZAoVJDLsrEWrn7ZAk4fbBjzR-589WZPN21w-QGcx_UKCRB-nVAF1s/s400/yash+malviya.jpg)
गंगा के तट पर जगा, ऐसा जीवन राग,
तन तो काशी हो गया, मन हो गया प्रयाग।
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राधे श्याम भारती-
आपभी बाप हैं बेटी के ठीक है माना,
आपकी बेटी का किस बसर से है आना-जाना।
हमारी बेटियां बाज़ार से लाती हैं दवा,
आपके घर में खुद आ जाता है दवाख़ाना।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEji2FIrePf_C0biqk1qfZY54U8E27xthgI9cQuRIn6gXvLjcHklPllmOg9I5qh3Jit9T40RsldSuwSGnbLZdKEwr5B7Cd2ReIvXxoIM6fwR9GuUfHabzGRxPoLNHKX-4WEra2rQOQ2mOGI/s400/radheshyam.jpg)
आपभी बाप हैं बेटी के ठीक है माना,
आपकी बेटी का किस बसर से है आना-जाना।
हमारी बेटियां बाज़ार से लाती हैं दवा,
आपके घर में खुद आ जाता है दवाख़ाना।
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सुषमा सिंह-
खुशी पर दर्द का पहरा हुआ है।
खुशी पर दर्द का पहरा हुआ है।
ये ताज़ा ज़ख़्म कुछ गहरा हुआ है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj9DJaP__fDiD1MYCSvkz3JD0Aut0PjF6SJKkaTgDWWC6kIggsFf4-7yD38TJPbhyufc3-0sHH-R7Fzir9tTsQitb6zNNTK5aGeO_4PtNg9xh8VAaMLNMBXo005lL4wTPrYMRN9fNYt0hY/s400/shushma+singh.jpg)
अमिताभ त्रिपाठी ‘अमित’-
खिलौने देख के अब भी खरीद लेता हूं,
खिलौने देख के अब भी खरीद लेता हूं,
मेरे ख़्यालों की बेटी बड़ी नहीं होती।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEglB9JbXAjNW8PL-ASxpzlJXm1Zt63BYOaTy6Bo382VsjrxGx_A4wJcVL_tVGCQw354OllO3Z2BsOoa948XIIhGKupmQ3PBuBKoabBc8xZ_U9XHh4-YRMa6Xw2WFCBnmb64hYPNnxvOQoc/s400/amitabh+tripathi.jpg)
फ़रमूद इलाहाबादी-
सेहत ही नहीं रहती मेरी ठीक आजकल
महसूस कर रहा हूं बहुत वीक आजकल।
जीना हराम कर दिया खांसी-जुकाम ने,
आती है एक सांस में दो छींक आजकल।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgOxX3Vs_i1FaK_fHFOArI9YTW73Lo0p8cXwYCniQU9FLZnzSiXfG2uQC0dxCiJHTLvETcWbB9xI7CEIe6oF6cV5JbwpIH83-dGUejjqA_PqN6wLdE6ZxN8QZnlNNqRgl8OYPvQSBlm-Vc/s400/farmood.jpg)
सेहत ही नहीं रहती मेरी ठीक आजकल
महसूस कर रहा हूं बहुत वीक आजकल।
जीना हराम कर दिया खांसी-जुकाम ने,
आती है एक सांस में दो छींक आजकल।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgOxX3Vs_i1FaK_fHFOArI9YTW73Lo0p8cXwYCniQU9FLZnzSiXfG2uQC0dxCiJHTLvETcWbB9xI7CEIe6oF6cV5JbwpIH83-dGUejjqA_PqN6wLdE6ZxN8QZnlNNqRgl8OYPvQSBlm-Vc/s400/farmood.jpg)
तलब जौनपुरी-
नहीं इब्तिदा है नहीं इन्तिहा है
ये दुनिया रवानी का इक सिलसिला है।
किसी के सहारे नहीं है कोई भी,
नहीं इब्तिदा है नहीं इन्तिहा है
ये दुनिया रवानी का इक सिलसिला है।
किसी के सहारे नहीं है कोई भी,
सभी का सहारा वही इक खुदा है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvnw_RQrmKtrd1lbG1CJuUtWZ6SAmX_vz0wKHvV6aXVHIRXsbCc3AwMNuMDjWhn5ZUladQfAfu5nQNF7AZ8iYA_xfQ9yN5oYIvwzo0P2ro9QOnLd1ywBXXG3W3wsgAfWGc8FmjV9quKR4/s400/talab+jaunpuri.jpg)
जयकृष्ण राय तुषार-
फ़क़ीरों की तरह धूनी रमाकर देखिये साहब
तबीयत से यहां गंगा नहाकर देखिये साहब।
यहां पर जो सुकूं है वो कहां है भव्य महलों में,
फ़क़ीरों की तरह धूनी रमाकर देखिये साहब
तबीयत से यहां गंगा नहाकर देखिये साहब।
यहां पर जो सुकूं है वो कहां है भव्य महलों में,
ये संगम है यहां तंबू लगाकर देखिये साहब।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjR5lbeWNSmzftdqzv-cSQrvJsN0qWt3-wLuH6LC7gBpyZUatmreJPDiEME5UTVIA6_e2K-HHF5O44aejO_4zYjZNCwHCEAx3EaBFeLAfW_vPdH_tO3tPFLLdjxWH2gvS1IJiQRwq5PoYE/s400/tushar.jpg)
इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी-
रंजो-ग़म से मुझे आशना देखकर।
खुश हुआ किस कदर बेवफ़ा देखकर।
नाज़ करते थे कल अपनी अंगड़ाई पर,
रंजो-ग़म से मुझे आशना देखकर।
खुश हुआ किस कदर बेवफ़ा देखकर।
नाज़ करते थे कल अपनी अंगड़ाई पर,
आज रोने लगे आईना देखकर।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg5rYzZ8JyuXhRINnMTBWPAQuK-oVnBBOfvpzAIHHswP-57hhHR3ZU47vrD_zS-gmJKlV7k0aTm5DS5oTHAIisV6VQZsVDPeHodZPBxrDsrvj47J_w927CoaK4ufbCEvBSre_bxtT6DzhM/s400/imtiyaz.jpg)
अजीत शर्मा ‘आकाश’-
एक तिनके का सहारा चाहता है,
और क्या गर्दिश का मारा चाहता है।
नोंच खायेगा उसे जिसको कहोगे,
एक तिनके का सहारा चाहता है,
और क्या गर्दिश का मारा चाहता है।
नोंच खायेगा उसे जिसको कहोगे,
पालतू कुत्ता इशारा चाहता है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhHsdYIxgo9K5sstpDpE6BNeusFYkwVGrV1PsvqRxpSXge_OrpDtzzBSK_-tK0_xockA0fyxWE2LZvvB3NCjvSxS3Eqs6H4F_oVDkbkFIt2_jWBhSWfCytrR2WRbhKbSpTan5MwzlpbhO4/s400/ajit+sharma.jpg)
रमेश नाचीज़-
जिसका ख़्याल जिसका इरादा अटल नहीं,
मक़सद में अपने होगा कभी वो सफ़ल नहीं।
केवल समाजवाद का नारा उछालिये,
आना समाजवाद का इतना सरल नहीं।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhWPQuaRMMMCau2NbFc7enq1Ht2GursdKjS8H1z5eaR38ITVy_zwHQvh9TdF3qofpIQpJ6rhJolApG4eS1VHElktw-n2yjC5EZurh_rJeULMNqO7tWG0rgzkwxeOnYBHp3SlN5SrSNKuKM/s400/ramesh+nacheez.jpg)
जिसका ख़्याल जिसका इरादा अटल नहीं,
मक़सद में अपने होगा कभी वो सफ़ल नहीं।
केवल समाजवाद का नारा उछालिये,
आना समाजवाद का इतना सरल नहीं।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhWPQuaRMMMCau2NbFc7enq1Ht2GursdKjS8H1z5eaR38ITVy_zwHQvh9TdF3qofpIQpJ6rhJolApG4eS1VHElktw-n2yjC5EZurh_rJeULMNqO7tWG0rgzkwxeOnYBHp3SlN5SrSNKuKM/s400/ramesh+nacheez.jpg)
नरेश कुमार ‘महरानी’-
राग रंगों की दुनिया, फैशन डूबी जोत
राग रंगों की दुनिया, फैशन डूबी जोत
मौर रंग की डुबती, ज्यों ज्यों श्यामल होत।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj-wZl0d4iwReUi1Cj2-9i60QshQUkzfld84u1rjyqXR1ZdPRqkffBMal8YhLeUCkdbWCyaVEwgrsLHuXWognID5snPR9VyKdwk8y3N2Us1Gauaos0x9d3z6rptT-Di_qyT5DEBgmfqCkY/s400/naresh.jpg)
शाद इलाहाबादी-
गंगा की औ जमुना की जब गुफ्तगू हुई।
मिलने की उनमें एक अजब आरजू हुई।
इतना बढ़ा ये प्यार कि संगम बना दिया,
उल्फ़त ये उनकी हिन्द की भी आबरू हुई।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi9m6JGIO5ciVb5-UIPOuvd0K2bDsRTNYu461bkaaojiyLOtxFGIuPqL51FS7v2cD-s-36Z0auWwBLto8pI6ucpWBJoKsSooQ_-vc-Pj74bdzRNtBjsTwLmIhHgkJCSU-wYplKn3KGiVKk/s400/shadma+jaidi.jpg)
गंगा की औ जमुना की जब गुफ्तगू हुई।
मिलने की उनमें एक अजब आरजू हुई।
इतना बढ़ा ये प्यार कि संगम बना दिया,
उल्फ़त ये उनकी हिन्द की भी आबरू हुई।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi9m6JGIO5ciVb5-UIPOuvd0K2bDsRTNYu461bkaaojiyLOtxFGIuPqL51FS7v2cD-s-36Z0auWwBLto8pI6ucpWBJoKsSooQ_-vc-Pj74bdzRNtBjsTwLmIhHgkJCSU-wYplKn3KGiVKk/s400/shadma+jaidi.jpg)
वीनस केसरी-
जब से सब खुद्दार हुए हैं बस्ती में,
नेताजी बीमार हुए हैं बस्ती में।
एक गुलाब ने खिलने की गुस्ताखी की,
जब से सब खुद्दार हुए हैं बस्ती में,
नेताजी बीमार हुए हैं बस्ती में।
एक गुलाब ने खिलने की गुस्ताखी की,
सौ सौ दोवदार हुए हैं बस्ती में।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh2a0wZDNqmuoUb000oc69fXZ3bf6WAnMumJtP0Xa5Npj_6MVsHcvKBx0Y91dPMzhOwuRpeKmMvmzcm1-SGXd1umyz-bD0mDpc3Bajg6pNjfck6en6A9_KMt0wKduFyI5rFNleOFpkffkc/s400/venus+kesari.jpg)
मंजूर बाकराबादी-
जब मुसीबत पड़े मुस्कुराया करो
जब मुसीबत पड़े मुस्कुराया करो
दर्द अपना खुदा को बताया करो।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiP6ZKbLjn8-1hyUalHtuTqa_mf2VxhEpzmDs2oDk43LFQ736Z0l9csrpJ2Ky1Ypayj7Q4VRROCbgEtSDrTHdc2JmWh25RcgnaNp9hrvT_fldnaaChTTtMV0JIHD1K9Nk4ZqoHw8FFrdc4/s400/manzoor.jpg)
शाहिद अली ‘शाहिद’-
मुंह छुपा रहो रहा था एक तारा रातभर
मुंह छुपा रहो रहा था एक तारा रातभर
पारा पारा हो रही थी माहपारा रातभर।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhFYM_2w1O3FPKzy43bFfHLHYeeDs6ZWIE13xGSrd4QgJrpJr3jkt83X-CfYBc7gemXPTGZvq4Vjdb0LaPQopipt6towP3tYRVZ4Es6wemI9MWVPiq6SPLaykcjIYcn0r2ZNEgsfocs4z4/s400/shahid+ali.jpg)
विपिन श्रीवास्तव-
ए शुभांगी तेरा सौंदर्य मुझमें हृदयंगम हो गया
तेरी तिरछी चितवन से परिदृश्य मनोरम हो गया।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgr05107oCJjgjWN9PYEnFO0Uc8mbedZPoau4kULCNr9cQikcttUg2JcVqwP8wN_t1dLwHghC-x8QISDOZUFd8XSwmOKLbnMJOWLh9GFihzRdmuo0vOR3umHWLjZvVBn3I0D4vl0AP54Ig/s400/vipin+srivastava.jpg)
ए शुभांगी तेरा सौंदर्य मुझमें हृदयंगम हो गया
तेरी तिरछी चितवन से परिदृश्य मनोरम हो गया।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgr05107oCJjgjWN9PYEnFO0Uc8mbedZPoau4kULCNr9cQikcttUg2JcVqwP8wN_t1dLwHghC-x8QISDOZUFd8XSwmOKLbnMJOWLh9GFihzRdmuo0vOR3umHWLjZvVBn3I0D4vl0AP54Ig/s400/vipin+srivastava.jpg)
सौरभ पांडेय-
नदी में उतरना हुनर मांगता है
चले हैं तभी वो किनारे बदलते
न मद है, न मत्सर सुनूं हर तरफ पर
नदी में उतरना हुनर मांगता है
चले हैं तभी वो किनारे बदलते
न मद है, न मत्सर सुनूं हर तरफ पर
जहां देखता हूं मठाधीश पलते।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTH-KCyNULNy5NfqiKaezJLKA5EcGpHFAzVrGyYK2w_avP5XpRd-4nFpU5YVh7M4yWvP9Bz8GLqkAiWispJEnDM6DpaCJetiP5VcNJzgT_vGfhwARb6kkJdP8_OORNPu3PIbu1fxYIy_Q/s400/saurabh+pandey.jpg)
अवधेश यादव ‘अनुरागी’-
हमारे दर्द से कोई अंजान नहीं था।
मगर दिलासा देने वाला भी कोई इंसान नहीं था।
मुझे यहां तक लाने वालों ए रास्तों
क्या तुम्हें मालूम नहीं था
हमारे दर्द से कोई अंजान नहीं था।
मगर दिलासा देने वाला भी कोई इंसान नहीं था।
मुझे यहां तक लाने वालों ए रास्तों
क्या तुम्हें मालूम नहीं था
कि इस सड़क पर मेरा मकान नहीं था।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgqeQrr-0N35bqvGoH8TXjzSjwmb3lC4s3z3Pq5hlTXD7dP3C5ZM8hkGox-UvfyedIB3Nq0knypEw4DZxU54nXDSS5VoqMQ7PqLbCrzxSVXOrRfQLaXV8eH65ZmnY9pQ0tAifod1Js6__A/s400/avdhesh+yadav.jpg)
अजय कुमार-
कोई गंाव से आया गंगा नहाने
कोई मनकामेश्वर चला सिर झुकाने
कोई अस्था में बहा जा रहा है
कोई गंाव से आया गंगा नहाने
कोई मनकामेश्वर चला सिर झुकाने
कोई अस्था में बहा जा रहा है
कहां कुंभ नगरी कहां जा रहा है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhGP7BMuLisI0gZIn7xOt3QGwZGnZNDdnsd7LURGHywa0zhGhCPfVU-DNg9fgAMiZX0KH50tFgDHKl4Ekznm1YSNwq_RWDb0X2o5WcxbQ1BgYqmXmdvK2LFCT8Kzz44XJEAzKH6uAkTa3w/s400/ajay+kumar.jpg)
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ग्रुप फोटो, बायें से खड़े हुए: शुभ्रांशु पांडेय, अजय कुमार, अवधेश यादव, रोहित त्रिपाठी ‘रागेश्वर’,रमेश नाचीज़, विपिन श्रीवास्तव, राधेश्याम भारती, वीनस केसरी, सुशील द्विवेेदी, विमल वर्मा बाये से बैठे हुए: शाद इलाहाबादी, सौरभ पांडेय, अमिताभ त्रिपाठी, सुषमा सिंह, बुद्धिनाथ मिश्र, एहतराम इस्लाम, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, नरेश कुमार ‘महरानी’, यश मालवीय और अन्य |
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