गुरुवार, 4 नवंबर 2021

गुफ़्तगू के जुलाई-सितंबर 2021 अंक में



2. फोटो फीचर

3. संपादकीय: विश्वास खोता जा रहा है साहित्यकार

5-7. फिल्मी गीत की परिभाषा - इब्राहीम अश्क

8-22. ग़ज़लें (इब्राहीम अश्क, हसनैन मुस्तफ़ाबादी, डॉ. अहमद अली बर्की आज़मी, राजेंद्र वर्मा, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, इश्क़ सुल्तानपुरी, डॉ. राकेश तूफ़ान, मासूम रज़ा राशदी, शमा फिरोज, विजय प्रताप सिंह, बसंत कुमार शर्मा, समीर भृगुवंशी, फ़रमूद इलाहाबादी, रामकृष्ण विनायक सहस्रबुद्धे, बबिता अग्रवाल कंवल, डॉ. इम्तियाज़ समर, अतिया नूर, इरशाद आतिफ़, कुंवर नाजुक, राज जौनपुरी, विवेक चतुर्वेदी, वीरेंद्र खरे अकेला, साबिर जौहरी, साजिद अली सतरंगी, रमेश चंद्र श्रीवास्तव, प्रदीप बहराइची, सुषमा दीक्षित शुक्ला, डॉ. लक्ष्मी नारायण बुनकर, मो. बेलाल सारनी, मनीषा श्रीवास्तव ज़िन्दगी)

23-28. कविताएं (यश मालवीय, डॉ. सुनीता शर्मा, शांतिभूषण, जितेंद्र कुमार दुबे, डॉ. मधुबाला सिन्हा, नीना मोहन श्रीवास्तव, डॉ. उपासना दीक्षित, प्रिया भारती, निर्मला कर्ण )

29-35. इंटरव्यू  (सीरियल लिटरेचर हमेशा पॉपुलर लिटरेचर से आगे होगा: असग़र वजाहत)

36-39. चौपाल ; शायरी से आम जनता दूर क्यों होती जा रही है

40-47. तब्सेरा (बतख मियां अंसारी की अनोखी कहानी, देश के 21 ग़ज़लकार, कितने इतने रंग भरे, मैं और मेरा परिवेश, बात अभी बाक़ी है, तस्वीर लिख रहा हूं, देख इधर भी जरा ज़िन्दगी, यादों के उजाले, किसलय )

48. उर्दू अदब: जदीदियल के अमलबरदार शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी

49-50. गुलशन-ए-इलाहाबाद: कुशल राजनीतिज्ञ और साहित्यकार हैं केशरीनाथ त्रिपाठी

51. रंगमंच: इलाहाबाद में अभिनय सीखकर टीवी सीरियलों में बनाया ख़ास मकाम

52-53. गहमरी जी ने संसद में पेश किया गरीबी का चित्रण

54-61. अदबी ख़बरें

परिशिष्ट-1: प्रदीप कुमार सिंह ‘तन्हा’

62. प्रदीप कुमार सिंह ‘तन्हा’ का परिचय

63-65. प्रदीप कुमार सिंह ‘तन्हा’ का व्यक्तित्व एवं कृतित्व- शमा फिरोज

66-67. समाज को मानवता का आइना दिखाती ग़ज़लें - शगुफ़्ता रहमान

68-69. संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी हैं प्रदीप कुमार सिंह- रचना सक्सेना

70-91. प्रदीप कुमार सिंह ‘तन्हा’ की ग़ज़लें

परिशिष्ट-2: ए. आर. साहिल अलीग

92. ए. आर. साहिल अलीग का परिचय

93-94. सच्चे शायर ए. आर. साहिल अलीग- वीना श्रीवास्तव

95. इश्क़ और दुनियादारी के बीच की विद्रूपताएं - डॉ. शलेष गुप्त वीर

96-97. महसूस कर लिखने वाले शायर हैं साहिल- प्रदीप बहराइची

98-120. ए. आर. साहिल ‘अलीग’ की ग़ज़लें


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