गुफ़्तगू के अप्रैल-जून 2025 अंक में
3. संपादकीय- मंच का साहित्य से कोई संबंध नहीं
4-6.मीडिया हाउस: 1865 से इलाहाबाद में छपना शुरू हुआ ‘दि पॉयनियर’-डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
7-9. फ़ारसी में जन्मी ग़ज़ल का सफ़र सोशल मीडिया तक - आक़िब जावेद
10-12. दास्तान-ए-अदीब: सावन के महीने में निराला ने की बेटी की शादी-डॉ.इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
13-18. इंटरव्यू: डॉ. सरोज सिंह
19-23. चौपाल: साहित्यकार का मूल धर्म क्या है ?
24-30. ग़ज़लें ( मनीष शुक्ल, बसंत कुमार शर्मा, रज़ा मोहम्मद ख़ान, अरुण शर्मा साहिबाबादी, अरविन्द असर, मनमोहन सिंह ‘तन्हा’, शमा फ़िरोज़, कुमार विशू, कैलाश मंडेला, साजिद अली सतरंगी, मीना माहेश्वरी ‘माही’, आक़िब जावेद, शशिभूषण मिश्र ‘गुंजन’, मजूलता नागेश)
31-39. कविताएं: (यश मालवीय, डॉ. सरिता सिंह, डॉ. प्रिया सूफी, विनोद कुमार विक्की, नरेश कुमार महरानी, डॉ. शबाना रफ़ीक़, सीमा शिरोमणि, कृष्ण कुमार निर्वाण, धीरेंद्र सिंह नागा)
40. संस्मरणः पाकिस्तान न जाओ - असग़र वजाहत
41. लधुकथाः कुत्तो से सावधान - डॉ. प्रमिला वर्मा
42-45. तब्सेरा: दुआएं बेअसर हैं, पत्थर बोले देर तलक, जीवन का उत्कर्ष, ग़ज़ल का गणित
46-47. उर्दू अदब: कुछ ग़मे जानां कुछ ग़मे दौरां, नक़्शे हाय ज़िन्दगी
48-49. ग़ाज़ीपुर के वीर: सच के लिए लड़ने वाले कुबेरनाथ- सुहैल ख़ान
50-52.अदबी ख़बरें
53-85. परिशिष्ट-1: डॉ. मीरा रामनिवास वर्मा
53. डॉ. मीरा रामनिवास वर्मा का परिचय
54-56. संवेदनशील और उत्कृष्ट भावनाओं का प्रवाह- डॉ. रामावतार सागर
57-59. जीवन अनुभव और सामाजिक सरोकार की कविताएं - डॉ. आदित्य कुमार गुप्त
60-61. विविधताओं का अनमोल ख़ज़ाना- शिवाशंकर पांडेय
62-85. डॉ. मीरा रामनिवास वर्मा की कविताएं
86-115. परिशिष्ट-2: तबस्सुम आज़मी
86. तबस्सुम आज़मी का परिचय
87-88. मन मोहन लेेने वाली शायरी- अरविन्द असर
89-90. तबस्सुम आज़मी के अशआर के नई ताज़गी- शैलेंद्र जय
91-92. सबसे अलग अंदाज़ की शायरी- शमा ‘फ़िरोज़’
93-115. तबस्सुम आज़मी की ग़ज़लें
116-148. परिशिष्ट-3: निरुपमा खरे
116. निरुपमा खरे का परिचय
117-118. निरुपमा खरे के काव्य में व्यक्त स्त्री-विमर्श- डॉ. शहनाज़ जाफ़र बासमेह
119-121. भला क्या सज़ा मुरर्कर करूं मैं - जगदीश कुमार धुर्वे
122-123. सामाजिक संवेदना का सुगम आभास- शिवाजी यादव
124-148. निरुपमा खरे की कविताएं
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