सुलझे स्वभाव के होते हैं डॉक्टर: न्यायमूर्ति शैलेंद्र
‘गुफ़्तगू’ के 24वें स्थापना दिवस पर ‘डॉक्टरों को समर्पित एक शाम’
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कार्यक्रम के दौरान सभागार में मौजूद लोग। |
प्रयागराज। साहित्यिक संस्था ‘गुफ़्तगू’ की तरफ से 24वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर 20 जुलाई की शाम सिविल लाइंस स्थित बाल भारती स्कूल में ‘डॉक्टरों को समर्पित एक शाम’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने कहा कि मेरा जब भी डॉक्टरों से संपर्क हुुआ, लगा यह वर्ग बहुत ही सुलझा हुआ होता है। कितनी भी अधिक भीड़ हो या कितनी बड़ी बीमारी हो डॉक्टरों को कभी मैंने उलझते हुए नहीं देखा। यह एक बहुत बड़ी क्वालिटी होती है। समाज के अन्य बुद्धिजीवी वर्ग में इतने सुझले हुए लोग बहुत कम ही मिलते हैं। बहुत से ऐसे अधिवक्ता होते हैं, जिनके जिम्मे अधिक मुकदमे हों, या मुअक्किल की तरफ से लापरहवाही बरती जाती है, तब बहुत से अधिवक्ता उलझ जाते हैं, मगर डॉक्टर कभी नहीं उलझते। आज के ‘गुफ़्तगू’ के कार्यक्रम में डॉक्टर कवियों रचनाएं सुनकर बहुत ही सुखद एहसास हुआ है।
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न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र |
गुफ़्तगू के अध्यक्ष डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि प्रयागराज में डेढ़ दर्जन से अधिक ऐसे डॉक्टर हैं, जो लोगों का इलाज करने के साथ ही बहुत अच्छी शायरी भी करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए गुफ़्तगू के 24वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर ‘डॉक्टरों को समर्पित एक शाम’ का आयोजन किया गया है।
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अपनी कविताएं प्रस्तुत करते डॉ. प्रकाश खेतान। |
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डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी |
कवि सम्मेलन के दौरान डॉ. प्रकाश खेतान, डॉ. अबुललैस, डॉ. अरविन्द सिंह, डॉ. पंकज त्रिपाठी, डॉ. तारिक महमूद, डॉ. सी.एम. पांडेय, डॉ. एस.सी. गुप्ता, डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव, डॉ नईम साहिल, डॉ. कमलजीत सिंह और डॉ. खुरशीद आलम ने कविताएं प्रस्तुत कीं। संचालन मनमोहन सिंह ‘तन्हा’ ने किया।
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डॉ. पंकज त्रिपाठी |
इस दौरान प्रभाशंकर शर्मा, नीना मोहन श्रीवास्तव, अनिल मानव, शिवाजी यादव, अफ़सर जमाल, डॉ. वीरेंद्र तिवारी, शैलेंद्र जय, दयाशंकर प्रसाद, राज जौनपुरी, मधुबाला गौतम, अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’, राम नारायण श्रीवास्तव, मंजु लता नागेश, डॉ. एस.एम. अब्बास, डॉ. गौहर इक़बाल अािद मौजूद रहे।