रविवार, 5 अप्रैल 2020

हिन्दी पाठकों को नात समझाता अंक

                                                                     
                                       
अजीत शर्मा ‘आकाश’
 हिन्दुस्तानी साहित्य को समर्पित ‘गुफ्तगू’ त्रैमासिक पत्रिका 16 वर्षों से इलाहाबाद (प्रयागराज) से अब तक निरन्तर प्रकाशित हो रही है। इस पत्रिका के विशेषांकों की कड़ी में पत्रिका का अक्टूबर-दिसम्बर 2019 का ताजा अंक ‘नातिया शायरी विशेषांक’ के रूप में प्रकाशित हुआ है। अल्लाह की हिदायत के मुताबिक दुनिया में इस्लाम मजहब लाने वाले पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्ल. की तारीफ में शायरी करना ही नातिया शायरी कहलाती है। अभी तक नातिया शायरी एवं उससे संबंधित समस्त सामग्री उर्दू भाषा में ही उपलब्ध रही है, जिसके कारण उर्दू न जानने वाले इससे महरूम थे। लेकिन ‘गुफ्तगू‘ के इस विशेषांक ने ऐसे पाठकों एवं रचनाकारों को नातिया शायरी से न सिर्फ परिचित कराया, बल्कि इससे संबंधित भरपूर सामग्री भी उपलब्ध करायी है। ‘नातगोई की इब्तिदा‘ (डॉ. ज़फ़रउल्लाह अंसारी), ‘दुनिया की हर जबान में लिखी-पढ़ी जाती है नात‘ (नूर ककरालवी), किसे कहते हैं नातिया कलाम‘ (आनिसा सुलेमानी), एवं ‘नातगोई और उसका फन‘ (हकीम रेशादुल इस्लाम) एवं इसी प्रकार के अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं शोध परख लेख इसमें प्रकाशित किये गये हैं। ‘नातिया शायरी की तरक्की में हिन्दू शायरों का भी बड़ा योगदान‘ के विषय पर डॉ. शमीम गौहर से अख्तर अजीज और इम्तियाज अहमद गाजी की बातचीत द्वारा अच्छी जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
 इस विशेषांक में ‘ख़ास नात’ के अंतर्गत इमाम अहमद रजा बरेलवी, राज इलाहाबादी, बेकल उत्साही, अज़ीज़ इलाहाबादी, तुफैल अहमद मदनी एवं अशफाक अहमद वारसी ‘खादिम‘ के नातिया कलाम संग्रहीत हैं। इसके अतिरिक्त असलम इलाहाबादी, नूर ककरालवी, सागर होशियारपुरी, अख्तर अजीज, हसनैन मुस्तफ़ाबादी, फौजिया अख़्तर ‘रिदा’, शिवशरण बंधु, माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, फ़रमूद इलाहाबादी, डॉ. नीलिमा मिश्रा, शकील ग़ाज़ीपुरी, इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, डॉ. वारिस अंसारी, अतिया नूर, मिथिलेश गहमरी, सुनील दानिश, हसरत देवबंदी, डॉ. हसीन जिलानी, डॉ. सय्यद कमर आब्दी, ईशान अहमद, सिबतैन परवाना, हसन जौनपुरी, सलाह गाजीपुरी, जीशान बरकाती आदि देशभर के मुस्लिम और गैर मुस्लिम शायरों के नातिया कलाम प्रकाशित किये गये हैं, जो अत्यन्त सराहनीय हैं। साथ ही, अमेरिका के शायर सै. औलादे रसूल कुदसी एवं अलमास शबी के नात भी इसमें शामिल हैं। ‘गुफ्तगू’ नातिया शायरी विशेषांक के कुछ उल्लेखनीय अशआर प्रस्तुत हैं- 
वो पा गया खु़दा को खुदा उसको मिल गया/जो आ के खो गया है मुहम्मद के शहर में (राज इलाहाबादी), अकीदत की नजर से देखने वाले पुकार उट्ठे/बरसती है वहां पर रहमते आका जहां तुम हो (अजीज इलाहाबादी), बताऊं मैं क्या मुस्तफा दे गये हैं/हिदायत का इक सिलसिला दे गये हैं (तुफैल अहमद मदनी), एक क्या दोनों जहां की मिल गईं खुशियां उसे/मिल गया जिसको मुहब्बत का ख़जाना आपका (सागर होशियारपुरी), किस कदर तारीकतर थे ज़िन्दगी के रास्ते/जब नबी आये तो हर जानिब उजाला हो गया (शिव शरण बन्धु), मेरे आका का दिल सबसे बड़ा है/जमाने को दिखाना चाहता हूं (डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग‘), कहां पर नहीं मेरे आका की मिदहत/जमीं तो जमीं अर्श पर हो रही है (फ़रमूद इलाहाबादी), सीधे रस्ते पे चले और चलाया सबको/मेरे सरदार के जैसा कोई सरदार नहीं (डॉ. नीलिमा मिश्रा), ऐ खुदा अब तो मुझे ऐसी बशारत दे दे/ख़्वाब ही में कभी मुझको भी बुलाते आका (इम्तियाज अहमद गाजी), जन्नत में उसको मिलता है आला मुकाम भी/जो दिल पे अपने नाम है लिखता रसूल का (अतिया नूर), फूलों को बख्शी ताजगी माहताब को जिया/मेरे रसूल पाक का ये इक्तिदार है (सुनील दानिश), चांद सूरज खड़े दीद मे हर घड़ी/उनकी आंखों का तारा हमारा नबी (असद गाजीपुरी)।
 पत्रिका के परिशिष्ट के अंतर्गत मकबूल शायर इकबाल आजर एवं इकबाल दानिश के साहित्यिक परिचय, इनसे की गयी बातचीत, नातगोई से सम्बन्धित आलेख एवं इनके नातिया कलाम सम्मिलित किये गये हैं। इकबाल आजर - कोई भी नहीं मिलता रहनुमा मुहम्मद सा/क्या दिखाएगा कोई रास्ता मुहम्मद सा, कलामे पाक में उस का बयान रौशन है/खुदा के साथ मुहम्मद की शान रौशन है, मैं जमीं और आसमां आका/धूप मैं और सायबां आका। 
इकबाल दानिश - रास आया बस उसे रब की रजा का रास्ता/जिसने अपनाया मुहम्मद से वफा का रास्ता, कोई नाते मुहम्मद मुस्तफा लिखेगा क्या/जब खुदा ही पढ़ रहा है खुद कसीदा आपका, रब जैसे अपनी जात में यकता दिखाई दे/नबियों में वैसे आका का जलवा दिखाई दे।
विशेष प्रस्तुति के अंतर्गत प्रो. अली अहमद फ़ातमी के ‘धरती के वासियों की मुक्ति प्रीत में है‘ लेख में फलसफए-इश्क के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी है। कवि और कविता के अंतर्गत गाजियाबाद के डिप्टी एसपी डॉ. राकेश मिश्र ‘तूफान‘, इनकम टैक्स में ज्वाइंट कमिश्नर शिव कुमार राय, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मैनपुरी विजय प्रताप सिंह आदि 5 कवियों के रचना-धर्म से पाठकों को परिचित कराया गया है। अन्त में ‘गुफ्तगू‘ द्वारा आयोजित समारोह  में सम्मानित शख्सियतों का एवार्ड परिचय दिया गया है।
पत्रिका का मुद्रण, प्रकाशन एवं तकनीकी पक्ष उच्च कोटि का है। कुल मिलाकर गुफ़्तगू का यह प्रयास नया, अनूठा, एवं अत्यंत सराहनीय है। यह अंक सुधी पाठकों के लिए एक धरोहर की तरह है, क्योंकि अब तक किसी हिन्दी पत्रिका ने इस विषय पर कोई सामग्री प्रकाशित नहीं की है। इस विधा पर विशेषांक निकालना एक बड़ा काम है। अति दुर्लभ सामग्री से भरपूर होने के कारण यह विशेषांक पठनीय एवं संग्रहणीय है। इस बेहतरीन एवं विशिष्ट साहित्यिक कार्य के लिए ‘गुफ्तगू‘ पत्रिका को बहुत-बहुत बधाई।

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