सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

भगवान और महानायक की संज्ञा क्यों ?







पिछले लगभग एक दशक से महानायक और भगवान शब्द के वास्तविक अर्थ से खिलवाड़ किया जा रहा है। सचिन तेंदुल्कर को भगवान और अमिताभ बच्चन को महानायक की संज्ञा दी जा रही है। जबकि ये दोनों ही उपाधियां किसी भी दृष्टि से सहीं नहीं है। भगवान वह होता है जिसके अंदर ईश्वरी शक्ति हो और देश का महानायक उसे कहा जा सकता है जिसने बिना किसी लोभ-धन के देश की सेवा की हो। अब परिदृश्य में देखा जाए तो, न तो सचिन तेंदुल्कर भगवान हो सकते हैं और न नहीं अमिताभ बच्चन महानायक।इसमें कोई शक नहीं है कि भारत मुनियों-फकीरों का देश है। यहां राम,कृष्ण और गौतम ने जन्म लिया है और परविश पाई है। देश और समाज के लिए कार्य करने वालों का आदर किया जाता रहा है। महात्मा गंाधी जैसे अहिंसावादी नेता की पूरी दुनिया कायल है, सारी दुनिया में अहिंसा के प्रतिमूर्ति के रूप में उन्हें जाना जाता है। गांधी के अलावा भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए हजारों लोगों ने बिना किसी निजी स्वार्थ के अपनी जान की कुर्बानी दी है। सरदार भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, अशफाकउल्ला जैसे तमाम लोग इसकी जीती जागती मिसाल हैं। इन सबके बीच यदि अमिताभ बच्चन को देश के महानायक की उपाधि दी जा रही है, तो यह किस तर्क पर आधारित है। जहां तक अमिताभ बच्चन के शख्सियत का सवाल है तो इसमें कोई शक नहीं है कि वे भारतीय फिल्म इंडस्टृी के सबसे कामयाब सितारे हैं, उन्होंने बालीवुड को नई दिशा दी है। बड़े-बड़े फिल्म निमार्ता-निदेशक उनके साथ काम करके खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ यह भी सच है कि वे फिल्मों में काम खुद के धन और ख्याति अर्जित करने के लिए करते हैं। टीवी चैनलों के कार्यक्रमों में आते हैं, तरह-तरह की चीजों की एड और माकेर्टिंग करते हैं, जिसके बदले संबंधित कंपनियों से करोड़ों रुपए लेते हैं। और यह धन खुद के लिए अर्जित करते हैं। इससे देश और समाज को कोई खास फायदा नहीं होता। अब ऐसे में सवाल उठता है कि जो आदमी एक-एक क्लिप का लाखों रुपए वसूलता हो, दंत मंजन से लेकर ठंडा तेल जैसे प्रोडक्ट का प्रचार करता हो, वह बहुत बड़ा कलाकार तो हो सकता है, लेकिन देश का महानायक कैसे हो सकता है। आखिर किस आधार पर उन्हें देश के महानायक की संज्ञा दी जा रही है।इसी तरह सचिन तेंदुल्कर को भगवान की संज्ञा दी जा रही है। सचिन की क्रिकेट की प्रतिभा से किसी को इंकार नहीं हो सकता है। उन्होंने समय-समय पर अतुलनीय बल्लेबाजी की है, ढेर सारे रिकार्ड उनके नाम दर्ज हो चुके हैं और आने वाले दिनों में उसमें इजाफा ही होने वाला है।बड़े-बड़े दिग्गज गेंदबाजों को उन्होंने धूल चटाया है। व्यक्तिग रिकार्ड के हिसाब से निःसदेह वे दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट बल्लेबाज हैं। अनगिनत बार उनके प्रदर्शन से भारत को जीत हासिल हुई है। इन सबके बीच हमें यह भी देखना चाहिए कि वे जितने बड़े खिलाड़ी हैं, भारत की क्रिकेट टीम दुनिया के अन्य टीमों के मुकाबले उतनी बड़ी नहीं है, उतनी कामयाबी और रिकार्ड भारतीय क्रिकेट टीम के नाम पर दर्ज नहीं हैं। अगर उन्हें भगवान की संज्ञा दी जा रही है, तो जिस टीम के सदस्यों में एक भगवान हो, उस टीम के हिस्से में पराजय तो कभी आनी ही नहीं चाहिए। जब से वे क्रिकेट खेल रहे हैं, तब से छह विश्वकप का आयोजन हो चुका हैं,मगर छह विश्वकपों में से भारत सिर्फ एक बार ही विश्वविजेता बन सका है, आखिर क्यों। भगवान तो वह होता है जिसके अंदर ईश्वरीय शक्ति हो।क्या सचिन के अंदर ईश्वरी शक्ति है। इसके साथ-साथ हमें यह भी देखना चाहिए कि उन्होंने क्रिकेट के मैदान में जो प्रदर्शन किया है उसके बदले उन्हें करोड़ों रुपए मिलते रहे हैं। क्रिकेट की वजह से ही उन्हें बेशुमार दौलत और शोहरत मिली है। विभिन्न प्रोडक्ट्स का प्रचार टीवी चैनलों पर करते हैं, उसके बदले करोड़ों रुपए वसूलते हैं। इससे साफ जाहिर हो जाता है कि उनके बेहतरीन प्रदर्शन से सबसे अधिक उनको व्यक्तिगत लाभ हुआ है। ऐसे में व्यक्तिगत लाभ के लिए बड़े से बड़े काम करने वाले को क्या भगवान कहा जाना उचित है। इसमें कोई शक नहीं है कि उनके द्वारा बनाए गए रिकार्ड की चर्चा होती है और वे देश के अन्य तमाम खिलाड़ियों से बेहतर दिखाई पड़ते हैं तो हमें गर्व होता है कि इतने सारे रिकार्ड बनाने वाला खिलाड़ी हमारे देश का है। लेकिन इसके लिए उसे भगवान कैसे कहा जा सकता है। कितनी हैरानी की बात है कि देश को आजाद को कराने के लिए हंसते-हंसते फंासी का फंदा चूमने वाले और अंग्रेजों की गोलियों खाने वालों को तो देश के महानायक की संज्ञा नहीं दी जा रही है। देश से भ्रष्टचार मिटाने के लिए बिना किसी निजी स्वार्थ के संघर्ष करने वाले, समय-समय पर विभिन्न प्रकार का मोर्चा लेने वाले अन्ना हजारे के काम याद नहीं है। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्ला, मंगल पांडेय, वीर सावरकर, महारानी लक्ष्मीबाई, बाबा आम्टे और अन्ना हजारे जैसे लोग जिन्होंने खुद के फायदे के लिए कोई कार्य नहीं किया, इनकेा महानायक नहीं कहा जा रहा है। जो एक-एक क्लिप और एक-एक प्रदर्शन के बदले बकायदा सौदा करते हैं और करोड़ों रुपए वसूलते हैं, वे देश के महानायक है, आखिर इसका आधार क्या है।


नाज़िया गाजी

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