मंगलवार, 8 नवंबर 2011

महादेवी जी ने लिखा, दो साहित्यिक परिवार एक हो गए


---------- इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी --------

प्रसिद्ध
गीतकार यश मालवीय का विवाह हिन्दुस्तानी एकेडमी के पूर्व सचिव रामजी पांडेय की पुत्री आरती मालवीय से हुई है। रामजी पांडेय को महादेवी जी ने अपना पुत्र मान था। इस नाते आरती देवी उनकी पोती हैं।साहित्यकार उमाकांत मालवीय के तीन पुत्रों में से यश दूसरे नंबर के हैं। उमाकांत और महादेवी वर्मा जी ने दोनों परिवारों के रिश्ते की डोर में बांधना तय किया। यश मालवीय बताते हैं कि महादेवी वर्मा जी ने हमारी शादी के कार्ड पर अपने हाथों से लिखा था। उन्होंने लिखा था कि ‘इस विवाह से दो आत्मीय साहित्यिक परिवार एक हो रहे हैं।’
यश मालवीय अपनी अपनी शादी की बात याद करते हुए कहते हैं कि 25 जून 1986 को महादेवी जी के घर बारात जानी थी। इलाहाबाद शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, बारात निकालने के लिए किसी तरह से पास बनवाया गया। महादेवी जी काफी वृद्ध थीं, देर तक खड़ी नहीं हो पाती थीं। उन्होंने रामजी पांडेय से कहा कि मुझे विवाह द्वार पर दुल्हे को प्रवेश करते हुए देखना है, मेरी कुर्सी द्वार पर ही लगा दो। द्वार के पास लगी कुर्सी पर महादेवी जी बैठी थीं। यश मालवीय बताते हैं कि दुल्हे के रूप में प्रवेश करते ही महादेवी जी ने मेरे सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। उस समय लगा जैसे पूरी सदी का हाथ मेरे सर पर है। शायर अज़हर इनायती का शेर प्रासंगिक हो रहा था ‘रास्तों क्या हुए वो लोग जो आते-जाते, मेरे आदाब पे कहते थे कि जीते रहिए।’ यश बताते हैं कि कर्फ्यू की वजह से बैंड बाजे वाले नहीं आए। इसलिए लाउडस्पीकर लगाकर उसमें उस्ताद बिसमिल्लाह खान की शहनाई का कैसेट लगा दिया गया। शहनाई की आवाज सुनकर महादेवी जी बोलीं, कानों का उत्सव तो है लेकिन दृष्टि का उत्सव तब होता जब बिसमिल्लाह खान सशरीर यहां मौजूद होकर शहनाई बजाते। गौरतलब है कि महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद जिले में हुआ था। 1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत साहित्य में एम ए करने के बाद अध्यापन कार्य शुरू किया था। प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्य के रूप में भी उन्होंने सेवाएं दीं। चांद नामक पत्रिका का संपादन किया। 1956 में पद्मभूषण और 1982 में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। 11 सितंबर 1987 को निधन के बाद 1988 में सरकार ने उन्हें मरणोपरांत पद्मविभूषण पुरस्कार दिया।

हिन्दी दैनिक जनवाणी में 17 अप्रैल 2011 को प्रकाशित

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