मंगलवार, 8 नवंबर 2022

नई पीढ़ी के प्रेरणा-स्रोत डॉ. विवेकी राय

                                             

डॉ. विवेकी राय

                 


                                                                                - अमरनाथ तिवारी ‘अमर’

                                             

  डॉ. विवेकी राय का जन्म 19 नवंबर 1924 को हुआ था। इनके पिताजी का नाम शिवपाल राय और माताजी का नाम जविता देवी था। उनका पैतृक गांव सोनवानी, ग़ाज़ीपुर है। 1940 में मिडिल और 1941 उर्दू से मीडिल करने के बाद 1942 में गांव लोवर प्राइमरी स्कूल में शिक्षक हो गए थे। इसके आगे की शिक्षा इन्होंने व्यक्तिगत विद्यार्थी के रूप में की। 1964 में एम.ए. और काशी विद्यापीठ वाराणसी से वर्ष 1970 में पी-एच.डी. की। इनके लेखन का प्रारंभ वर्ष 1945 में वाराणसी से प्रकाशित दैनिक ‘आज’ में उनकी छपी कहानी से माना जाता है। इसके बाद इस समाचार-पत्र में उनकी कविता, कहानी और लेख निरंतर छपते रहे। इनका एक चर्चित साप्ताहिक स्तंभ ‘मनबोध मास्टर की डायरी’ वर्ष 1957 से 1970 तक इस अख़बार में छपा। जो बहुत लोकप्रिया हुआ। इसमें ललित निबंध, रेखाचित्र और रिपोर्ताज छपे। वर्ष 1964 में डॉ. विवेकी राय का स्नातकोत्तर महाविद्यालय ग़ाज़ीपुर में अध्यापन करने लगे। इससे पहले लगभग 13 वर्षों तक अपने गांव के निकट खरडीहा के सर्वोदय इंटर कॉलेज में भी इन्होंने  अध्यापन किया था। ग़ाज़ीपुर आने के बाद वे हिन्दी की चर्चित स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में लिखने-छपने लगे। धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, सारिका, नवनीत, कादंबिनी, कल्पना, ज्ञनोदय आदि पत्रिकाओं में निरंतर छपने लगे। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें वर्ष 1974 में पुनगर्ठित हिन्दी समिति का सदस्य मनोनीत किया। बिहार सरकार ने 1978 में भोजपुरी एकेडेमी का सदस्य मनोनीत किया। 1971 में इन्हें आकाशवाणी इलाहाबाद के कार्यक्रम परामर्श दात्री समित का सदस्य बनाया गया। 1977 से कई वर्षों तक ये अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन की प्रवर समिति के सदस्य रहे। 1983 में वे इस संस्था के अध्यक्ष चुने गए। 1980 में डॉ. विवेकी राय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ग़ाज़ीपुर के हिन्दी विभाग से अवकाश ग्रहण किए।

डॉ. विवेकी राय की लगभग 70 पुस्तकें प्रकाशित हैं। ये पुस्तकें विभिन्न प्रकाशनों में छपी हैं। इनकी कहानियों और उपन्यासों का अनुवाद उर्दू, पंजाबी, मराठी, उड़िया आदि भाषाओं में भी हुआ है। इनका प्रारंभिक जीवन साधन विहीन गांव में अध्यापन और किसानी करते हुए बीता। बाद में पूर्वांचल के अति पिछड़े शहर ग़ाज़ीपुरी आए। अपनी अनवरत और एकनिष्ठ साधन के बल पर इन्होंने विविधि विधाओं में रचनाएं की। इन्होंने हिन्दी के साथ भोजपुरी साहित्य को भी समृद्ध किया। भोजपुरी में भी हिन्दी 10 पुस्तकें हैं। डॉ. विवेकी राय को विभिन्न राज्य सरकारों और साहित्यिक संस्थाओं ने सम्मानित किया है। प्रमुख पुरस्कार और सम्मान ये हैं- 1987 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा सोनामाटी पर प्रेमचंद पुरस्कार, 1994 में साहित्य भूषण सम्मान, 2006 में महात्मा गांधी सम्मान, वर्ष 2006 में यश भारती सम्मान, 2002 में केंद्रीय हिन्दी संस्थान आगरा द्वारा राहुल सांकृतयायन सम्मान,  मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 1996-97 का शरद जोशी सम्मान, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर द्वारा वर्ष 2000 में पूर्वांचल रत्न सम्मान, साहित्य चेतना समाज ग़ाज़ीपुर द्वारा 2003 में ग़ाज़ीपुर गौरव सम्मान प्राप्त हुआ है। डॉ. विवेकी राय पर विभिन्न विधाओं पर देश-विदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के माध्यम से 100 से अधिक लोगों ने शोघ किया है। इनके उपर दर्जनभर से अधिक शोध की पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इनका देहावसान नवंबर 2016 में हुआ। डॉ. विवेकी राय का व्यक्तित्व एंवं कृतित्व आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा।


( गुफ़्तगू के लुलाई-सितंबर 2022 अंक में प्रकशित ) 


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