शनिवार, 20 अगस्त 2022

प्रेम का शानदार वर्णन करती हैं मधुबाला: अज़ीज़ुर्रहमान

डॉ. मधुबाला सिन्हा की पुस्तक ‘दहलीज’ का विमोचन 

मुशायरे में पहले स्थान पर फ़रमूद, दूसरे पर शरत और असलम रहे



प्रयागराज। काव्य का सृजन करना अपने-आप में बहुत ही मेहनत और दूरदर्शिता का काम है। कवि समाज, देश और प्रेम का वर्णन अपने अनुभवों से करता है। डॉ. मधुबाला सिन्हा की कविताएं इस परिदृश्य में बेहद ख़ास और महत्वपूर्ण हैं। इन्होंने अपने नज़रिए को बेहतर तरीके से वर्णित किया है। आज ऐसी ही कविताओं की ज़रूरत है। यह बात गुफ़्तगू की ओर से 14 अगस्त को करैली स्थित अदब घर में डॉ. मधुबाला सिन्हा की पुस्तक ‘दहलीज़’ के विमोचन के अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व जिलाजज अज़ीज़ुर्रहमान ने कही। 

गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि कविता का सृजन हर दौर में ख़ास रहा है, डॉ. मधुबाला सिन्हा की कविताएं इसी मायने में बेहद ख़ास हैं। इन्होंने प्रेम का वर्णन बहुत ही मार्मिक ढंग से किया है। इनका प्रेम अलौलिक रूप में इनकी कविताओं में दिखाई देता है। डॉ. मधुबाला सिन्हा ने कहा कि मेरी यह किताब आपके सामने हैं, मैंने एक अर्से के बाद गीत लिखना शुरू किया है, अब आपको मेरी गीतों के बारे में राय व्यक्त करने का पूरा अधिकार है। प्रभाशंकर शर्मा ने कहा कि डॉ. मधुबाला की कवितओं में बहुत गहराई है, जिसकी वजह से बेहद पढ़नीय हो जाती हैं। इनके सृजन में समाज और देश के साथ-साथ प्रेम का वर्णन बहुत ही शानदार तरीके दिखता है। इनका प्रेम मनुष्यों से होकर अलौलिक होता हुआ दिखाई देता है। पुस्तक में शामिल ‘काशी’ कविता सबसे अलग और शानदार है।

 कार्यक्रम का संचालन कर रहे शैलेंद्र जय ने कहा कि डॉ. मधुबाला को पढ़ने के बाद स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि इन्होंने छंदमुक्त कविताओं को गीत बनाने का प्रयास किया है। कथन के मुताबिक कविताएं बेहद मार्मिक और उल्लेखनीय हैं। इनके अंदर एक बहुत संवेदनशील स्त्री बैठी है, जो हर पहलु को बेहतर ढंग से उल्लेखित करते हुए वर्णित करती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. वीरेंद्र तिवारी ने कहा डॉ. मधुबाला सिन्हा ने मात्र दो वर्ष पहले ही गीत लिखना शुरू किया है, जबकि एक अर्से से वे छंदमुक्त कविताएं लिखती आ रही हैं। इसलिए इस पुस्तक को मात्र दो वर्ष की कवयित्री के सृजन के रूप में देखा जाना चाहिए। इसके बावजूद इनकी कवतिाओं का बिंब बहुत मार्मिक और उल्लेखनीय है।

दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। अतिथियों के मूल्याकंन के आधार पर इस प्रथम स्थान फ़रमूद इलाहाबादी को, द्वितीय स्थान पर शरत चंद्र श्रीवास्तव और असलम निजामी रहे। तीसरे स्थान पर वाक़िफ़ अंसारी और अनिल मानव थे। रेशादुल इस्लाम, अफ़सर जमाल, प्रकाश सिंह अर्श, अजीत शर्मा ‘आकाश’ वाक़िफ़ अंसारी, डॉ नईम साहिल, सेलाल इलाहाबादी, शुएब इलाहाबादी, शाहिद सफ़र, सत्य प्रकाश श्रीवास्तव आदि शायरों ने कलाम पेश किया 


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