शनिवार, 9 सितंबर 2017

सामाजिक परंपराओं के खत्म होने का खतरा सामने

गुफ्तगू के इलाहाबाद विशेषांक और श्रद्धा सुमन का विमोचन 

इलाहाबाद। गुफ़्तगू के विमोचन समारोह में इलाहाबाद शहर के साहित्यिक पुरोधाओं को शिद्दत से याद किया गया। अकबर इलाहाबादी, धर्मवीर भारती, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा से लेकर कैलाश गौतम तक के अलावा शहर के मिजाज की विस्तार से चर्चा की गई। दूसरे सत्र में आयोजित मुशायरे में स्वर लहरियां गूंजी। समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. अली अहमद फातमी ने गौरवशाली परंपराओं को सहेजने पर जोर देते हुए याद दिलाया कि बाजारीकरण के खतरनाक दौर में एक शहर के मूल को तलाशना और उसके मिजाज को सामने लाना किसी गंभीर चुनौती से कम नहीं। आगाह किया कि कई तरह के सैलाबों के इस दौर में सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं के खत्म हो जाने का भी खतरा सामने है। इसे हर हाल में बचाने के लिए सामने आना होगा। 
 16 जुलाई को हिन्दुस्तानी एकेडमी में गुफ्तगू विमोचन समारोह एवं मुशायरे का आयोजन किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता उमेश नारायण शर्मा ने किया, मुख्य अतिथि प्रो. अली अहमद फ़ातमी थे। समारोह में दूर दराज से सैकड़ों साहित्यकारों का जुटान हुआ। रामचंद्र राजा के काव्य संग्रह श्रृद्धा सुमन और गुफ्तगू के इलाहाबाद विशेषांक का विमोचन किया गया। दूसरा सत्र मुशायरे का रहा। करीब डेढ़ दर्जन कवि, शायरों ने अपने कलाम पेश कर समां बांध दिया। उमेश शर्मा ने इलाहाबाद शहर के साहित्यिक मिजाज की चर्चा करते हुए कहा, इस शहर के हर मुहल्लों की संस्कृति अलग-अलग है, विभिन्न संस्कृतियों वाले इस शहर का आंकलन करना आसान नहीं है। बस्ती जिले से आए रामचंद्र राजा ने लेखन के अनुभव साझा किया। वाराणसी से आए पत्रकार अजय राय ने इलाहाबाद को साहित्य का गढ़ बताया। यश मालवीय ने इलाहाबाद को साहित्य के बैरोमीटर की संज्ञा दी। कहा कि देश की राजधानी भले ही दिल्ली हो पर साहित्य की राजधानी अभी इलाहाबाद ही है। इस शहर के दिल में अभी भी साहित्य धड़कता है। इस शहर से साहित्यिक यात्रा शुरू करने वाले देश के कई दिग्गज साहित्यकारों के दिल में आजीवन गहराई से इलाहाबाद रचा बसा रहा। रविनंदन सिंह ने शहर के साहित्यिक गतिविधियों की विस्तार से चर्चा की। अशरफ अली बेग और मुनेश्वर मिश्र ने ऐसे आयोजनों को उपयोगी बताया। संचालन इम्तियाज अहमद गाजी ने की। 
दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता सागर होशियापुरी और संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया। अख़्तर अज़ीज़, जावेद शोहरत, शकील ग़ाजीपुरी, नरेश महरानी, प्रभाशंकर शर्मा, हरिभजन लाल श्रीवास्तव, आरसी शुक्ल, अनशनकारी कौशल, डाॅ. रामलखन चैरसिया, सीमा वर्मा अपराजिता, शाहिद सफर, केशव सक्सेना, रमेश नाचीज, हमदम प्रतापगढ़ी, तलब जौनपुरी, अनिल मानव, शादमा जैदी शाद, वजीहा खुर्शीद, डाॅ. पूर्णिमा मालवीय,  शिबली सना, शैलेंद्र जय, जमादार धीरज, भोलानाथ कुशवाहा, मनमोहन सिंह तन्हा, शिवपूजन सिंह, नंदल हितैषी, अजीत शर्मा ‘आकाश’, राजेश राज जौनपुरी, रामचंद्र राजा, डाॅ. महेश मनमीत, योगेंद्र मिश्रा आदि ने कलाम पेश किया। 
कार्यक्रम का संचालन करते इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी

लोगों को संबोधित करते उमेश नारायण शर्मा

लोगों को संबोधित करते प्रो. अली अहमद फ़ातमी

लोगों को संबोधित करते यश मालवीय

लोगों को संबोधित करते अजय राय

लोगों को संबोधित करते मुनेश्वर मिश्र

लोगों को संबोधित करते अशरफ़ अली बेग

लोगों को संबोधित करते रविनंदन सिंह

लोगों को संबोधित करते रामचंद्र राजा

अपना कलाम पेश करते जावेद शोहरत

अपना कलाम पेश करते प्रभाशंकर शर्मा

अपनी कविता प्रस्तुत करते शैलेंद्र जय

अपनी कविता पेश करते अनिल मानव

अपनी ग़ज़ल पेश करते शकील ग़ाज़ीपुरी

अपनी ग़ज़ल पेश करते रमेश नाचीज़

अपनी ग़ज़ल पेश करते तलब जौनपुरी

अपनी ग़ज़ल पेश करतीं शिबली सना


अपनी कविता पेश करती सीमा वर्मा

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