बुधवार, 12 जनवरी 2011

फिल्म गीतकार इब्राहीम अश्क से बातचीत



कहो ना प्यार है, कोई मिल गया और वेल्कैम जैसी हिट फिल्मों के गीतकार इब्राहीम अश्क का जन्म २० जुलाई १९५१ को मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के एक किसान परिवार में हुआ। शुरूआती शिक्षा बडनगर में हुई। स्नातक की परीक्षा इंदौर विशवविद्यालय से पास करने के बाद यहीं से हिंदी में स्नातकोत्तर किया। बारह सालों तक पत्रकारिता से जुड़े रहने के बाद १९८१ में मुंबई आकर फिल्मों से जुड़ गए। इन्होने अबतक गीत मेरे प्यार की, बहार आने तक, दो पल,ये रात फिर न आएगी, जीना मरना तेरे संग, कहो न प्यार है, कोई मिल गया, कोई मेरे दिल से पूछे,धुंध,ऐतबार, वेल्कैम, मिस इंडिया,जानशीन,युवराज, चादनी, क्योंकि हम दीवाने है आदि फिल्मों के लिए गात लिक्खा लिखा है। और अभी पंछी मस्ताना, मिस मेरी या तेरी, हार क्रिस टू मेरी, मर्री टू अमेरिका, सत्यम,महाभारत, दिल तो दीवाना है, इशारा, मैड लोवर और क्योंकि हम दीवाने हैं आदि फल्मों में गीत लिख रहे हैं। टेलीविज़न पर प्रसारित होने वाले सेरिअलों में से संस्काक, शकुन्तला, कोई तो होगा, गुलबानो और ऑफिस-ऑफिस आदि के लिए गीत लिखा है। अबतक आपकी कई किताबें आ चुकी हैं, जिनमे अल्मास,आगाही,अल्लाह ही अल्लाह,अलाव और अंदाजे बयां प्रमुख हैं। साहित्य सृजन के लिए इन्हें उत्तर प्रदेश साहित्य अकादमी से सम्मान के साथ एम एफ हुसैन के हातून स्टार डस्ट सम्मान, मध्य प्रदेश सद्भावना मंच का कालिदास सम्मान, इंतसाब ग़ालिब सम्मान, एल ऍन सवाल सवाल सवाल सवाल सवाल सवाल सवाल सवाल सवाल सवाल सवाल सवाल सवाल इंस्टिट्यूट का बेदिल सम्मान, मजरूह सुल्तानपुरी सम्मान आदि मिले हैं। इम्तियाज़ अहमद गाजी ने उनसे बातचीत की।
सवाल: फ़िल्मी गीतों का साहित्यिक गीतों से किस प्रकार का सम्बन्ध है ?
जवाब: साहित्यिक गीतों का फिल्म के गीतों से कोई सम्बन्ध नहींन होता, क्योंकि फ़िल्मी गीत कहानी सिचुअशन के मुताबिक़ लिखे जाते हैं और साहित्यिक गीत रचनाधर्म को निभाने के लिए। लेकिन कभी-कभी साहित्य से जुदा फ़िल्मी गीतकार अपने गीतों में साहित्य का रस घोल कर अपने गीत को 'दो आतेशा' बना देता है। यह आम फिल्म गीतकारों के बस की बात नहीं है।
सवाल:ग़ज़ल और गीतों में आप किस विधा को प्रभावशाली मानते हैं?
जवाब: दोनों ही विधाएं प्रभावशाली और लोकप्रिय हैं। यह रचनाकार पर निर्भर करता है की वह किस विधा में कितनी गहराई में उतारकर मोती चुनने का फ़र्ज़ अदा करता है।
सवाल:उर्दू साहित्य का हिंदी साहित्य से कितना सम्बन्ध है?
जवाब:उर्दू और हिद्नी साहित्य एक दुसरे के रस में ऐसे रचे बसे हैं की कई कहानीकार और शायर एक ही वक़्त में दोनों ही भाषाओं के रचनाकार माने जाते हैं। और अब तो ग़ज़ल की विधा ने दोनों भाषाओं के रचनाकारों को इतना करीब कर दिया है के ये दोनों भाषाएँ दो जिस्म एक जान होकर रह गयी हैं। दो भाषाओं का इतना करीब सम्बन्ध कहीं और देखने को नहीं मिलता।
सवाल: आज के मुशाएरों को देखकर कैसा लगता है?
जवाब:अफ़सोस होता है के गैर मेयारी शायेरों और मुशायेरों के दलालों ने इल्मो-अदब के मंच को तावाएफों के कोठे से भी ज्यादा बदतर बना दिया है। मुशायेरों की असल रिवायत और तहजीब ख़तम होकर रह गयी है।
सवाल: किस तरह के संगीतकारों के साथ मिलकर गीत लिखना ज़्यादा पसंद करते हैं?
जवाब: जो संगीतकार संगीत की आला दर्जे सुझबुझ के साथ शाएरी की समझ भी रखता हो उसके साथ काम करने मज़ा आता है।
सवाल: गीत लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली?
जवाब: अपनी माँ से। जब वह मीठे स्वरों में कोई गीत गुगुनाती थी तो मेरे कानो में रस घुल गाया करते थे, उनकी प्रेरणा ही से में गीत लिखने लगा।
सवाल: आपके पसंदीदा शाएर कौन-कौन से हैं?
जवाब: फ़ारसी में हाफिज़ शिराज़ी और अब्दुल कदीर 'बेदिल' , उर्दू में ग़ालिब,इकबाल और मीर।
सवाल: आपके उस्ताद कौन हैं?
जवाब: इब्तिदा में थोड़ा बहुत मरहूम असद बद्नाग्री से सिखा, बाद में हर वह रचनाकार जिसने मुझे प्रभावित किया, मेरे उस्ताद की तरह है।
सवाल: साहित्य की किन-कनी विधाओं में आपने सृजन किया है?
जवाब: ग़ज़ल,गीत,नज़्म,रुबाई,दोहा,मसनवी,मर्सिया,सवैया,कुंडली, माहिया ग़ज़ल, माहिया मतले,लालन और चाहारण के अलावा दस नइ बहरों की इजाद की। गैर मंकुता कलाम कहानी , समालोचना हर विधा में संजीदगी के काम किया।
सवाल: नए लिखने वालों को क्या सलाह देंगे?
जवाब: लिखने से ज्यादा पढ़ें, कर्म करते जाएँ फल की चिंता न करें, शोहरत और नामवरी के करीब से बचें।
सवाल: आपका ख्वाब क्या है?
जवाब: ख्वाब टूट जाते हैं,उनपर भरोसा नहीं। हकीक़त यह है की इल्मो-अदन की दुनिया में सरमाया छोड़कर कर जाना है। इसलिए मैंने हर विधा में मेयारी काम करने की कोशिश की है।
सवाल:शोहरत का कितना असर आपपर हुआ है?
जवाब:जो मेरे करीब दोस्त हैं, वे बखूबी जानते हैं के मैंने हमेशा वक जैसा ही महसूस किया है.शोहरत की वजह सर कोई ख़ास तबदीली मुझमे नहीं होती।
सवाल: अपने पसंदीदा लिबास और खाने के बारे में बताइये?
जवाब: अच्छे जाएकेदार मुगलिया तर्ज़ के खाने का बचपन से ही शौक़ रहा है.लिबास भी अच्छे सजने वाले पहनने की आदत है।
सवाल: निजी जिन्दगी में सबसे अधिक प्यार किस से करते हैं?
जवाब:मैंने अपनी माँ से सबसे अधिक प्यार किया है। उनके बाद अपने परिवार और सच्चे दोस्तीं से।
नोट: यह बातचीत ०३ जनवरी २००४ को हिंदी दैनिक आज और गुफ्तगू के मार्च २००६ अंक में प्रकाशित हो चुका है, कुछ सम्पादन के साथ यहाँ पब्लिश किया जा रहा है.

1 टिप्पणियाँ:

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

bahut sundar post aur batchit badhai ghazisahab

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