गुरुवार, 28 नवंबर 2024

 गुफ़्तगू के अप्रैल-जून 2023 अंक में



4. संपादकीय-स्तरीय साहित्य सामने आना चाहिए

5-7. उर्दू वर्तन एवं उच्चारण में हमज़ा का महत्व - अमीर हमज़ा

9-10. मुनव्वर के आंसुओं से तैयार हुआ एक जलमहल - यश मालवीय

11-19. ग़ज़लें: आर.डी.एन.श्रीवास्तव, सरफ़राज़ अशहर, तलब जौनपुरी, वीरेंद्र खरे अकेला, शमा फ़िरोज., राहिब मैत्रेय, अरविन्द असर, मंजुला शरण मनु, शगुफ़्ता रहमान सोना, डॉ. शबाना रफ़ीक़, प्रवीण परीक ‘अंशु’, अरविंद अवस्थी, विवके चतुर्वेदी, डॉ. सोनिया गुप्ता, पंकज सिद्धार्थ, शादाब शब्बीरी, मुकेश सिंघानिया, आबिद बरेलवी,

20, दोहा- राज जौनपुरी

21-26. कविताएं: यश मालवीय, अमर राग, डॉ. प्रकाश खेतान, डॉ. प्रमिला वर्मा, खेमकरण सोमान, डॉ. मधुबाला सिन्हा, केदारनाथ सविता, डॉ. नरेश सागर

27-30. इंटरव्यू: अखिलेश निगम अखिल

31-35. चौपाल: कविता के नाम पर लतीफ़ेबाजी और बतकही करने वालों को कवि कहना चाहिए ? 

36-40. तब्सेरा: मोहब्बत का समर, उदय उमंग, आगे फटा जूता, सुलगता हुआ सहरा, अपने शून्य पटल से

41-43. उर्दू अदब: खलिस, हर्फ-हर्फ खुश्बू, मुकद्दस यादें

44-45. गुलशन-ए-इलाहाबाद: असद क़ासिम

46-47. ग़ाज़ीपुर के वीर:फ़रीदुल हक़ अंसारी

48-52. अदबी ख़बरें 

53-84. परिशिष्ट-1  निहाल चंद्र शिवहरे

55. अपने परिवेश की कविताएं- डॉ. दामोदर खड़से

56 कविताओं की भाषा रोचक, सहज और प्रवाही - साकेत सुमन चतुर्वेदी

57. मौलिकताओं के चितेरे: निहाल चंद्र शिवहरे - डॉ. रामशंकर भारती

58. निहाल चंद्र शिवहरे के काव्य में पर्यावरण चेतना - डॉ. मिथिलेश दीक्षित

59-84. निहाल चंद्र शिवहरे की कविताएं

85-115. परिशिष्ट-2: ख़ान हसनैन आक़िब

86-88. प्रेम और मानवीय संवेदना से भरपूर सम्मिश्रण - अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’

89-90. इश्क़-मोहब्बत से भरपूर अशआर - डॉ. शैलेष गुप्त ‘वीर’

91-93. शायरी में ज़िन्दगी का हर रंग नुमाया - अनिल मानव

94-95. सशक्त संदेश संग प्रवाहित होती कविताएं - नीना मोहन श्रीवास्तव

96-115. ख़ान हसनैन आक़िब की ग़ज़लें

116-144. परिशिष्ट-3: मधुकर वनमाली

117-119. भाषागत और शैलीगत की परिपक्वता- डॉ. वीरेंद्र कुमार तिवारी

120. कविताओं में समय के विविध रंग - डॉ. मधुबाला सिन्हा

121-122. साहित्य के उपवन का मधुकर वनमाली - डॉ. इश्क़ सुल्तानपुरी

123-144. मधुकर वनमाली की कविताएं




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