गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

गुफ़्तगू के अक्तूबर-दिसंबर 2022 अंक में

 


4.संपादकीय- विश्वस्तरीय कवि और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं

5-9. तहज़ीब के मरकज़ हैं इलाहाबाद के दायरे - अली अहमद फ़ातमी

10-15. आखि़र क्या है ‘नावक’ और उसका तीर- अजित वडनेरकर

16-24.ग़ज़लें: (अशोक कुमार ‘नीरद’, विजय लक्ष्मी विभा, मनीष शुक्ल, सरफ़राज़ अशहर, अजीत शर्मा ‘आकाश’, बहर बनारसी, संजीव प्रभाकर, अरविन्द असर, अतिया नूर, विनोद कुमार उपाध्याय ‘हर्षित’, गीता विश्वकर्मा ‘नेह’, डॉ. शबाना रफ़ीक़, सूफ़िया ज़ैदी, विवेक चतुर्वेदी, शहाबुद्दीन कन्नौजी, डॉ. फ़ौज़िया नसीम ‘शाद’, मधुकर वनमाली)

25-29. कविताए (अमर राग, यश मालवीय, अरुण आदित्य, यशपाल सिंह, डॉ. वारिस अंसारी, चंद्र नारायण ‘राजन’, केदारनाथ सविता, जया मोहन )

30-34. इंटरव्यू डॉ. एन. अय्यूब हुसैन (निदेशक- आंध्र प्रदेश उर्दू अकादमी)

35-37. चौपाल:  अच्छी शायरी के लिए नौजवानों को क्या करना चाहिए ?

38-43. तब्सेरा (आधुनिक भारत के ग़ज़लकार, बारानामा, रहगुजर, पत्थर के आंसू, सुरबाला, वाह रे पवन पूत)

44-45. उर्दू अदब (सहरा में शाम, निकाह)

46. गुलशन-ए-इलाहाबाद: डॉ. राज बवेजा

47. ग़ाज़ीपुर के वीर: राजेश्वर सिंह

48-51. अदबी ख़बरें


52-84. परिशिष्ट-1: नरेश कुमार महरानी

52. नरेश कुमार महरानी का परिचय

53-54. नए प्रतीकों और नए तरीकों का इस्तेमाल - इश्क़ सुल्तानपुरी

55. महरानी की ग़ज़लें: भोले मन की बातें - मासूम रज़ा राशदी

56-57. रोम-रोम में भरी सृजनात्मकता - रचना सक्सेना

57-84. नरेश कुमार महरानी की ग़ज़लें


85-113. परिशिष्ट-2: रामशंकर वर्मा

85. रामशंकर वर्मा का परिचय

86. अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता - डॉ. शैलेष गुप्त ‘वीर’

87-88. कलात्मक ढंग से कविता रचने वाले कवि- शैलेंद्र जय

89-91. अंतरमन की बेचैनी और द्वंद्व - नीना मोहन श्रीवास्तव

92-113. रामशंकर वर्मा की कविताएं


114-144. परिशिष्ट-3: डॉ. सरला सिंह ‘स्निग्धा’

114. डॉ. सरला सिंह ‘स्निग्धा’ का परिचय

115-116. असमानता पर प्रहार करती कविताएं - शगुफ़्ता रहमान ‘सोना’

117-118. भाषायी आडंबर से दूर जीवन की रचना - प्रिया श्रीवास्तव ‘दिव्यम्’

119-120. मानवीय अनुभव और उसके सूक्ष्तम निहितार्थ - सरफ़राज आसी

121-144. डॉ. सरला सिंह ‘स्निग्धा’ की कविताएं


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