बुधवार, 20 जुलाई 2022

गुफ़्तगू के अप्रैल-जून 2022 अंक में



4. संपादकीय: साहित्य को समर्पित विजय लक्ष्मी विभा

5-12. आत्मकथ्य: विजय लक्ष्मी विभा

13-15. मां की साहित्य यात्रा का साक्षी मैं- अनमोल खरे

16-18. काव्य शिरोमणि विजय लक्ष्मी विभा - जगदीश किंजल्क

19-22. गीत के अस्तित्व की पहचान - डॉ. हुकुमपाल सिंह विकल

23-24. विभा जी के गीत स्वयं बोलते एवं बतियाते- मयंक श्रीवास्तव

25-27. विभाजी का छायावादी वाम चिंतन - राघवेंद्र तिवारी

28-30. जग में मेरे होने पर- दिवाकर वर्मा

31-32. विभा जी साहित्य में महादेवी सी - श्याम बिहारी सक्सेना

33-36. जागतिक दार्शनिक सरस गीतों की प्रत्यंचा- डॉ. दया दीक्षित

37-38. कवि स्वयं का नहीं सम्पूर्ण सृष्टि का होता है - प्रियदर्शी खैरा

39-42. अखियां पानी-पानी में दर्शन का स्वरूप  -  नलिनी शर्मा

43-44. अदब के गुुलशन में ताज़ा हवा के झोंके - मनमोहन सिंह तन्हा

45-46.  मन को छूती लेखनी की धार - नीना मोहन श्रीवास्तव

47-48. विभा की ग़ज़लों के कई रंग - अर्चना जायसवाल ‘सरताज’

49-53. कहानी: अपनी-अपनी भूल - विजय लक्ष्मी विभा

54-60. विजय लक्ष्मी विभा के पद

61-77. विजय लक्ष्मी विभा की कविताएं

78-95. विजय लक्ष्मी विभा की ग़ज़लें

96-99. विजय लक्ष्मी विभा का परिचय

100-103. इंटरव्यू: केशरीनाथ त्रिपाठी

104-105 . गुलशन-ए-इलाहाबाद: राजेश पांडेय

106. ग़ाज़ीपुर के वीर- 18 

107-111. तब्सेरा

112-114.  उर्दू अदब

115-119.  अदबी ख़बरें


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