शनिवार, 26 दिसंबर 2020

समाज का वास्तविक चित्रण करता है साहित्यकार

‘गुफ़्तगू साहित्य समारोह-2020’ में बोले पं. केशरी नाथ

देशभर के साहित्यकारों को विभिन्न सम्मानों से नवाजा गया



प्रयागराज। साहित्य सिर्फ़ समाज का दर्पण ही नहीं है, बल्कि समाज का वास्तविक चित्रण भी साहित्य ही करता है। समाज हमेशा गतिशील रहता है, कभी रुकता नहीं है, इस गतिशीलता का सही मायने में रेखाकंन और चित्रण कवि ही करता है। कवि द्वारा किया गया चित्रण ही समय का असली मूल्याकंन है, इसे इसी रूप में देखा जाना चाहिए। यह बात गुफ़्तगू की ओर से 20 दिसंबर को हिन्दुस्तानी एकेडेमी में आयोजित ‘गुफ़्तगू साहित्य समारोह-2020’ के दौरान पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल पं. केशरीनाथ त्रिपाठी ने कही। उन्होंने कहा कि आज के साहित्यकार अनेक कठिनाइयों से गुजर रहे हैं, उनके लिए तमाम व्यवधान उत्पन्न हो रहे हैं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। कविताओं का सृजन तो कवि कर रहा है लेकिन उसको प्रकाशित करवाने के लिए उसे परेेशान होना पड़ रहा है, ठीक ढंग से रचनाओं का प्रकाशन नहीं हो पा रहा है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि गुफ़्तगू ने लगातार 17 वर्षों से काम करके एक मिसाल कायम किया है, इनके काम को प्रशंसा मिलना चाहिए। नये-नये लोगों को गुफ़्तगू पत्रिका में स्थान दिया जा रहा है, प्रयागराज से हो रहे ऐसे काम का मूल्यांकन किया जा रहा है और आगे भी किया जाएगा।

 रविनंदन सिंह ने कहा कि प्रत्येक वर्ष देशभर के साहित्यकारों का गुफ़्तगू द्वारा सम्मान किया जाना एक अच्छी परंपरा है, विभिन्न प्रकार के सम्मान से लोगों को प्रत्येक वर्ष सम्मानित किया जा रहा है, इससे कलमकारों का उत्साहवर्धन हो रहा है। गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि आज जिन लोगों को सम्मानति किया गया है उनकी जिम्मेदारी है कि अपने लेखन और सक्रियता से यह साबित करें कि वह इस सम्मान के लायक है। अच्छे लेखन से ही अपने को अच्छा रचनाकार साबित किया जा सकता है। वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि गुफ़़्तगू द्वारा प्रत्येक वर्ष किया जाना यह सम्मान समारोह निश्चित रूप से बेहद सराहनीय है। इसमें देशभर के साहित्यकारों का प्रात्साहन हो रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डाॅ. सरोज सिंह ने कहा कि कविता के अलावा अन्य विधाओं पर कार्य करने की आवश्यकता है, यह अच्छी बात है कि कवियों के साथ-साथ लेखकों को भी सम्मानित किया गया है, हर विधा के लोगों को सम्मान मिलना चाहिए। इस अवसर पर जया मोहन के कहानी संग्रह ‘पारसी थाली’ का विमोचन भी किया गया। संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने संचालन किया। 

दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। नरेश कुमार महरानी, प्रभाशंकर शर्मा, अनिल मानव, डाॅ. नीलिमा मिश्रा, नीना मोहन श्रीवास्तव, संजय सक्सेना, शैलेंद्र जय, रेशादुल इस्लाम, संजय सागर, दयाशंकर प्रसाद, रामशंकर पटेल, राजेश केसरवानी, रचना सक्सेना, ममता सिंह, हिमांशु मेघवाल और रमेश नाचीज़ आदि ने कलाम पेश किया।

इन्हें मिला सम्मान

अकबर इलाहाबादी सम्मान

डाॅ. असलम इलाहाबादी


सुभद्रा कुमारी चैहान सम्मान 

लिपिका साहा (हावड़ा), डाॅ. शहनाज़ फ़ातमी (पटना), उर्वशी चैधरी (जयपुर), खुश्बू परवीन (हैदराबाद), डाॅ. अंजना सिंह सेंगर (नोएडा), डाॅ. शैल कुमारी तिवारी (जमशेदपुर) और डाॅ. ताहिरा परवीन (प्रयागराज)


बेकल उत्साही सम्मान 

विजय प्रताप सिंह (मैनपुरी), मासूम रज़ा राशदी (ग़ाज़ीपुर), डाॅ. राकेश मित्र ‘तूफ़ान’ (वाराणसी), अनुराग मिश्र ग़ैर (लखनऊ), डाॅ. रामावतार मेघवाल(कोटा), सलिल सरोज (नई दिल्ली), सागर होशियारपुरी (प्रयागराज) 


कुलदीप नैयर सम्मान 

सुरेंद्र प्र्रताप सिंह (राष्टीय सहारा), शरद द्विवेदी (दैनिक जागरण), मोहम्मद अशफ़ाक़ सिद्दीक़ी(अमर उजाला), ईश्वर शरण शुक्ला(हिन्दुस्तान), प्रदीप कुमार गुप्ता (स्वतंत्र भारत) 


सीमा अपराजिता सम्मान

गीता कैथल (लखनऊ), रानी कुमारी (पूर्णियां), वन्दना शर्मा (लखीमपुर खीरी), पूजा कुमारी रुही (प्रयागराज), प्रीति अरुण त्रिपाठी (प्रयागराज)





1 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी रपट।

एक टिप्पणी भेजें