रविवार, 23 फ़रवरी 2020

दीनी तालीम की रोशनी फैलाते मौलाना मुजाहिद हुसैन

                                                 
                                                                          - इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
 मौलाना मुजाहिद हुसैन
 दीनी तालीम को देश के कोने-कोने में सही रूप में पहुंचाने का काम एक अर्से से करने के साथ नातिया शायरी  करने वाले मौलाना मोहम्मद मुजाहिद हुसैन रज़वी मिस्बाही आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आज जब भी किसी दीनी जलसे या हज करने जाने के संबंधित कोई काम हो तो इलाहाबाद में सबसे पहले आपका का ही नाम जेह्न में आता है। आप राष्ट्रीय स्तर के धार्मिक वक़्ता हैं। वर्तमान समय में करैली में रहने वाले मौलाना मुजाहिद का जन्म 17 मार्च 1961 को झारखंड राज्य के गढ़वा जिलें हुआ। आपके वालिद मौलवी अहमद अली गांव में ही कारोबार और काश्तकारी करते थे, मां हाफ़िज़ा खातून एक कुशल गृहणि थी, अब ये दोनों हयात में नहीं हैं, लेकिन आपकी परविश की वजह से मौलाना मुजाहिद खुद के साथ दूसरों को भी अच्छी तरीके से जीवनयापन की शिक्षा दे रहे हैं। आपके माता-पिता ने हज भी किया था। तीन भाई-बहनों में से आपके एक बड़े भाई हैं और आपसे छोटी एक बहन है।
 प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही करने के बाद आपने मदरसा अलजामतुल अशरफ़िया मुबारकपुर, आज़मगढ़ से ‘फाजिले दर्शे-निज़ामी’ की शिक्षा हासिल की। इसके बाद पटना यूनिवर्सिटी से अरबी विषय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके बाद इलाहाबाद के मिर्ज़ा ग़ालिब रोड पर स्थित दारुल उलूम गरीब नवाज़ में आप सहायक अध्यापक हो गए। 1986 से इस संस्थान में आप शिक्षण कार्य को अंज़ाम दे रहे हैं। आज आपके पढ़ाए हुए शार्गिद पूरे देश में जगह-जगह शिक्षण कार्य कर रहे हैं। देशभर के अलावा अमेरिका, अफ्रीका और श्रीलंका में भी आपके शार्गिद दीनी शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं। आप ‘रजा-ए-मुस्तफ़ा-खिदमते हुज्जाज कमेटी’ के संरक्षक हैं। इस कमेटी के माध्यम से आप हज यात्रियों की सभी प्रक्रिया को पूरी करवाते हैं। हज यात्रा का फार्म भरने, ट्रेनिंग देने से लेकर हज से संबंधित सारी चीज़ें हज पर जाने वाले लोगों को समझाने में आपकी भूमिका सरे-फेहरिस्त होती है। इसके अलावा आप ‘तंजीम इस्लाहे मुआशरा’ के अध्यक्ष भी हैं। इस तंज़ीम के ज़रिए हर वर्ष दीनी तालीम पर आधारित तीन रोज़ा जलसा होता है। तीनों ही दिन अलग-अलग तयशुदा विषय पर अलग-अगल वक़्ताओं की तक़रीर होती है। जलसों में तक़रीर के लिए आप देशभर में बुलाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु आदि राज्यों में आप तक़रीर करने के लिए जाते रहते हैं। अब तक आप की दो किताबें प्रकाशित हुई हैं। पहली किताब का नाम ‘रहनुमाए हज व उमरा’ है, यह किताब उर्दू के साथ-साथ हिन्दी में भी छपी है। दूसरी किताब का नाम ‘वसीला-ए-नेज़ात’ है, यह किताब नातिया शायरी का मजमुआ है, 190 पेज की इस किताब में 150 से ज़्यादा नात हैं।



(गुफ़्तगू के अक्तूबर-दिसंबर 2019 अंक में प्रकाशित )

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