रविवार, 8 जुलाई 2018

कामयाब कलमकार हैं डाॅ. यासमीन सुलताना नक़वी


बाएं से: डाॅ. यासमीन सुल्ताना नक़वी, यश मालवीय, नीलकांत और नंदल हितैषी

                                     -इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
डाॅ. यासमीन सुलताना नक़वी का जन्म 18 अक्तूबर 1955 को इलाहाबाद जिले के मेन्डारा कस्बा में हुआ। आपके वालिद का नाम अकबर हुसैन और वालिदा का नाम मेहरुन हैं, आप दोनों का ही देहांत हो चुका है। बचपन से ही चित्रकाला, छायांकन, पर्वतारोहरण, बागवानी, लेखन में रुचि रही है, छात्रों के बीच जाकर उन्हें प्रोत्साहित करने का भी शौक आपको रहा है। आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी और समाज शास्त्र विषयों से स्नातकोत्तर करने के बाद ‘इलाचंद्र जोशी के उपन्यासों में मनोवैज्ञानिक अध्ययन’ विषय पर पीएचडी किया है, आपकी मातृभाषा उर्दू है। एक अप्रैल 2005 से 31 मार्च 2010 तक जापान के ओसाका विश्वविद्यालय में हिंदी की विजटिंग प्रोफेसर रही हैं। इसके अलावा सेंट जोसेफ काॅलेज इलाहाबाद, सेंट जोफेस रीजनल और प्रयाग महिला विद्यापीठ में भी समय-समय पर आपने अध्यापन कार्य किया है। ‘मुस्कान छिन गई’, ‘चांद चलता है’, ‘त्रिवेणी-गंगा पर आधारित’, ‘पत्थर की खुश्बू’, ‘कविता परछांयी’, ‘आंखों का आंगन’, ‘फूलों के देश में प्रेम का रंग’, ‘हिमतृष्णा’, ‘सपना सजा साकुरा’ और ‘घर की गंगा’ नाम से कविता की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। अब तक कई पुस्तकों का अनुवाद भी किया है, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुस्तक ‘मेरी चुनी हुई कविताएं’ का उर्दू पद्यानुवाद, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाम त्रिपाठी की पुस्तक ‘मनोनुकृति’ का उर्दू पद्यानुवाद ‘अक्कासि-ए-दिल’,  प्रो. अली अहमद फ़ातमी की पुस्तक ‘जर्मन के दस रोज’ और अहमद फ़राज़ के ग़ज़ल संग्रह ‘ग़ज़ल बहा न करो’ का हिन्दी लिप्यांतर आदि शामिल हैं।
‘साक्षात्कार के आइने’ के अंतर्गत महादेवी वर्मा के जीवन पर आधारित पुस्तक का प्रकाशन हुआ है साथ ही ‘साक्षात्कार और संस्मरण’ नामक पुस्तक प्रकाशन प्रक्रिया में है। नाटक की तीन पुस्तक प्रकाशित हुई हैं, जिनके नाम ‘रिश्ते नाते’, ‘कलरव’ और ‘हिरोशिमा का दर्द’ है। विदेशी छात्रों के लिए आपकी एक पुस्तक ‘सरल हिन्दी’ भी प्रकाशित हुई, जिसे कई देशों में पढ़ाया जाता है। आपकी समीक्षा की भी चार पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जिनके नाम ‘हिन्दी कहानियों को समीक्षात्मक स्वरूप’, ‘ज्ञान का द्वार’, ‘ज्ञान का आंगन’ और ‘ज्ञान का गगन’ है।
आपके कार्यों को देखते हुए विभिन्न संस्थाओं से कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। जिनमें वर्ष 2017 के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘सौहाद्र सम्मान’ के अलावा ‘समन्वयश्री’, ‘नई दिल्ली सोवियत कलचर सेंटर अवार्ड फार जर्नलिज्म’, ‘साहित्य श्री’, ‘भारत भाषा भूषण’, ‘साहित्य श्री कन्हैया लाल प्रागदास’, ‘शांता देवी’, ‘नारी शक्ति सम्मान’, ‘आजीवन राष्टीय साहित्य सेवा सम्मान’, ‘महिला गौरव’, ‘नर्मदा विराट साहिय शिरोमणि’, ‘मानस संगम विशिष्ट सम्मान’ और ‘रानी कुंवर वर्मा स्मृति साहित्य सेवा सम्मान’आदि शामिल हैं।आपने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कार्य भी किया है। आप ‘समन्वय’ संस्था की संस्थापक निदेशिका हैं, इस संस्था द्वारा समय-समय पर साहित्यिक आयोजन किये जाते हैं, इलाहाबाद के अलावा दूसरे शहरों में भी कार्यक्रम होते रहते हैं।
(गुफ्तगू के अप्रैल-जून: 2018 अंक में प्रकाशित)



1 टिप्पणियाँ:

'एकलव्य' ने कहा…

निमंत्रण विशेष : हम चाहते हैं आदरणीय रोली अभिलाषा जी को उनके प्रथम पुस्तक ''बदलते रिश्तों का समीकरण'' के प्रकाशन हेतु आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ जुलाई २०१८ को अपने आगमन के साथ उन्हें प्रोत्साहन व स्नेह प्रदान करें। सादर 'एकलव्य' https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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