शुक्रवार, 8 जून 2012

गुफ्तगू के नरेश कुमार ‘महरानी’ अंक का हुआ विमोचन

  
 ‘मय का प्याला’ में हैं कई अनछुए पहलू
इलाहाबाद। नरेश कुमार ‘महरानी’ ने अपनी कृति ‘मय का प्याला’ में कई अनछुए पहलुओं को रेखांकित किया है, जिसे हर पाठक वर्ग पसंद करेगा। कुछ शिल्पगत कमियां होने के बावजूद कवि के इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिए, साथ ही हमें उम्मीद करनी चाहिए कि नरेश की अगली रचना और भी बेहतर होगी। यह बात ‘गुफ्तगू’ पत्रिका के नरेश कुमार ‘महरानी’ अंक के विमोचन अवसर पर प्रसिद्ध उर्दू आलोचक प्रो. अली अहमद फ़ातमी ने कही। उन्होंने गुफ्तगू पत्रिका की सराहना करते हुए कहा कि आज के आर्थिक युग में साहित्यिक पत्रिका नौ वर्षों से प्रकाशित करना बड़ी चुनौती है, लेकिन गुफ्तगू की टीम ने इसे कर दिखाया है। 04 जून 2012 को विमोचन समारोह और मुशायरे का आयोजन हिन्दुस्तानी एकेडेमी में किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रो. फ़ातमी ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय डाक सेवा के निदेशक कृष्ण कुमार यादव मौजूद रहे। विशिष्ट अतिथियों में शहर पश्चिमी की विधायक पूजा पाल, वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र, हाईकोर्ट के संयुक्त निबंधक हसनैन मुस्तफ़ाबादी, डाॅ. पीयूष दीक्षित प्रसिद्ध लेखक मेवाराम और सुलेम सराय के पूर्व सभासद मुकेश केसरवानी मौजूद रहे। संचालन इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने किया।
अपने संबोधन में कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि गुफ्तगू का यह अंक अन्य अंकों के मुकाबले बेहतर दिखाई दे रहा है, इससे प्रतीत होता है कि पत्रिका ने काफी प्रगति की है। उन्होंने कहा कि नरेश कुमार की रचना ‘मय का प्याला’ कई मायने में उल्लेखनीय है, इन्होंने अपनी रचनाधर्मिता के माध्यम से शराब पीने वालों का विरोध किया है और कई दृश्यों से यह साबित किया है कि एक शराबी का परिवार कई तरह से प्रताडि़त होता है। नरेश कुमार ‘महरानी’ ने कहा कि मैंने अपने निजी अनुभवों से महसूस किया है कि जिस परिवार में एक भी व्यक्ति शराबी हो जाता है, वह परिवार बहुत दुःखी होता है। बड़ों से लेकर बच्चों तक का भविष्य चैपट हो जाता है। यह बात मुझे बहुत परेशान करती रही है, यही वजह है कि मैंने ‘मय का प्याला’ नामक कृति लिख डाली है। गुफ्तगू ने इसे अपने परिशिष्ट में शामिल करके लोगों तक पहुंचाने का काम किया है। शहर पश्चिमी की विधायक पूजा पाल ने कहा कि गुफ्तगू पत्रिका में प्रकाशित हर रचना पठनीय होती है, अच्छी बात यह है कि पत्रिका द्वारा समय-समय पर साहित्यिक आयोजन किये जाते हैं, जिसकी वजह से सरगर्मी बनी रहती है। वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि नरेश कुमार ने एक अच्छा खंड काव्य लिखा है, उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से शराब पीने का विरोध किया है, जो निश्चित रूप से उल्लेखनीय है। डाॅ. पीयष दीक्षित ने कहा कि यह पत्रिका कई मायने में अन्य पत्रिकाओं से बेहतर है, यही वजह है कि इसके पाठकों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के निबंधक हसनैन मुस्तफ़ाबादी ने कहा कि शुरू से ही इस पत्रिका के तेवर ने लोगों को आकर्षिक किया है, इसमें एक ग़ज़ल प्रकाशित हो जाने पर दूर-दूर से पाठकों की प्रतिक्रिया मिलने लगती है, जिससे यह साबित होता है कि इसके पाठकों की संख्या लाखों में है। रविनदंन सिंह, मेवाराम और वीनस केसरी ने भी लोगों केा संबोधित किया।
 कार्यक्रम के संयोजक शिवपूजन सिंह ने कहा कि गुफ्तगू की टीम खासतौर पर नये प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रयास करती रही है। लेकिन हम नये लोगों से यह अपेक्षा जरूर करेंगे कि वे कविता लिखने से पहले उसके व्याकरण की जानकारी ज़रूर हासिल कर लें। कार्यक्रम का संचालन कर रहे इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि ‘गुफ्तगू’ जनवरी 2013 में दस वर्ष पूरे करने जा रही है, बिना किसी संसाधन के हमने दस साल का सफ़र तय कर लिया है। इस अवसर पर हम जनवरी में एक अखिल भारतीय कार्यक्रम करने जा रहे हैं। उन्होेंने कहा कि सिर्फ़ प्रशंसा से पत्रिका नहीं चल सकती, इसलिए गुजारिश है कि इसकी सदस्यता अवश्य लें।
इस अवसर पर एहतराम इस्लाम, फरमूद इलाहाबादी, वीनस केसरी, अख्तर अजीज,  नंदल हितैषी, शकील ग़ाज़ीपुरी, अजीत शर्मा आकाश, शादमा ज़ैदी शाद, रमेश नाचीज, वाकिफ अंसारी आदि मौजूद रहे।



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