सोमवार, 30 अप्रैल 2012

रोज़ एक शायर में आज- नायाब बलियावी


दौरे तहज़ीब में बरबादी का सामां होना।
कितना आसान है इस दौर में शैतां होना।
आदमी आज का हैवान सिफ़त है वर्ना,
ऐटमी दौर का मतलब है हेरासां होना।
टासमां तेरे सितम का यही मिलता है सुबूत,
खूं में डूबी हुई किरनों का नुमायां होना।
था तकब्बुर के शरारों में जो इमां का चमन,
इतने सज़्दों पे भी हासिल हुआ शैतां होना।
इस क़दर जौरे मोसलसल का है खूगर ‘नायाब’,
दिल पे गुज़रे हैं गेरां उसका पशेमां होना।
मोबाइल नंबरः 9450579030

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