सोमवार, 23 अप्रैल 2012

रोज़ एक शायर में आज- इब्राहीम अश्क


रौशन चेहरा हर इक अदा निराली है।
चांद तो जैसे उसके कान की बाली है।
हाथ मिलाएं उससे तो दिल महक उठे,
उसका बदन इक नाज़ुक फूल की डाली है।
सारे मौसम उसके आगे-पीछे हैं,
लम्हा-लम्हा वो तो बदलने वाली है।
आंख में उसके सारे जहां के मैखाने,
इसीलिये तो हर इक नज़र मतवाली है।
जान भी मांगे वो तो हाजि़र कर देंगे,
उसकी बात कभी हमने नहीं टाली है।
धीरे-धीरे दिल में उतरती जाती है,
इक लड़की जो अपनी देखी भाली है।
जब खिलते हैं गुंचे उसके होंठो पर,
लगता है रुत कोई बदलने वाली है।
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धरती पर इक चांद उतरते देखा है।
पगडंडी से उसे गुज़रते देेखा है।
उसका आंचल जब भी हवा में लहराया,
मौसम को भी आंहे भरते देखा है।
हाल तो पूछें चलकर हम आईने का,
आईने में उसे संवरते देखा है।
दिल के जैसी धड़कन है हर पत्थर में,
जिन राहों से उसे गुज़रते देखा है।
आओ चलकर उससे बातें करते हैं,
जिससे उसको बातें करते देखा है।
इश्क़ में उसका नाम अमर हो जाता है,
उसकी राह में जिसको मरते देेखा है।
सिमट-सिमट पर चलता है वो कुछ ऐसे,
क़दम-क़दम पर उसे बिखरते देखा।
उसका झूठ भी सच के जैसा लगता है,
बातों से जब उसे मुकरते देखा है।
ऐसा क्या है उस नाज़ुक सी लड़की में,
बड़े-बड़ों को उससे डरते देखा है।
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दिल से एक गुज़ारिश करके देखेंगे।
हम भी उससे ख़्वाहिश करके देखेंगे।
मुश्किल है हर काम ये हमने मान लिया,
फिर भी अपनी कोशिश करके देखेंगे।
कितना सच्चा, कितना झूठा यार है वो,
उससे थोड़ी रंजिश करके देखेंगे।
गुज़रेंगे जब दश्ते-वफ़ा की राहों से,
अपने लहू की बारिश करके देखेंगे।
आज खुदा से मिलना है तनहाई में,
कोई नई फ़रमाईश करके देखेंगे।
तुम हंस दो तो एक हंसी के बदले में,
सारे जहां की बखिशश करके देखेंगे।
इश्क़ किया है धीरे-धीरे अब हम भी,
सारे बदन को आतिश करके देखेंगे।
कितने ज़र्फ़ का मालिक है खुल जाएगा,
उसकी आज नवाजि़श करके देखेंगे।
कौन हमारे बारे में सच बोलेगा,
खुद ही एक सिफ़ारिश करके देखेंगे।
अम्नो-अमां हैं अपने मुल्क में ‘अश्क’ मियां,
रहबर फिर से साजि़श करके देखेंगे।
मोबाइल नंबरः 09820384921

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