रविवार, 26 अप्रैल 2015

गुफ्तगू के मार्च-2015 अंक में

3.ख़ास ग़ज़लें (फि़राक़ गोरखपुरी, दुष्यंत कुमार, शकेब जलाली, मेराज फै़ज़ाबादी)
4.संपादकीय: साहित्य को तमाशा बना दिया
5-6. डाक (आपके ख़त)
ग़ज़लें 
7. बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मुनव्वर राना, इब्राहीम अश्क
8.बुद्ध्सिेन शर्मा, सागर होशियारपुरी, ज़फ़र मिजऱ्ापुरी, नज़र कानपुरी
9.मनीष शुक्ल, असद अली असद, राकेश मलहोत्रा ‘नुदरत’
10. उद्धव महाजन बिस्मिल, अरुण अर्णव खरे, आर्य हरीश कोशलपुरी, सुशील साहिल
11. इश्क़ सुल्तानपुरी, जसप्रीत कौर फ़लक़, महेश अग्रवाल, हुमा अक्सीर
12.अखिलेश निगम ‘अखिल’, क़मर आब्दी
कविताएं 
13.परवीन शाकिर, कैलाश गौतम
14.बुद्धिनाथ मिश्र, शैलेंद्र कपिल
15.केदारनाथ सविता, स्नेहा पांडेय, भानुमित्र
16.डा. अली अब्बास उम्मीद, प्रभाशंकर शर्मा, नईम खान
17.खुर्शीद खैराड़ी, प्रशांत तिवारी
18.हर्ष त्यागी, लोकेश श्रीवास्तव,
19. सायमा युसुफ अंसारी, मुकेश कुमार मधुकर
20-21.तआरुफ: अमित वागर्थ
22-24. चैपाल: आम आदमी साहित्य से दूर क्यों हो रहा है?
25-29.विशेष लेख: साहित्य और संस्कृत का संकट - डाॅ. सादिका नवाब ‘सहर’
30-32.इंटरव्य: धनंजय कुमार (अमेरिका)
33-35.तब्सेरा ( परिंदे, करुणा जिस दिन क्रांति बनेगी, लख्ते हाय दिल, क़तरा-क़तरा दरिया)
36-39. अदबी ख़बरें
40-44. कमलेश भट्ट कमल के सौ शेर
45-46. बेरली के साहित्यकारों के मोबाइल नंबर
47-48. इल्मे क़ाफि़या भाग- 16
49-50. गुलशन-ए-इलाहाबाद: प्रो. ओम प्रकाश मालवीय
परिशिष्ट: डाॅ. विक्रम
51-53. परिचय
54-56. डाॅ. विक्रम की कविताएं और दलित अस्मिता- जमादार धीरज
57-58. संघर्ष और इतिहास बोध का दर्शन कराती कविताएं- डाॅ. दीनानाथ
59-63. दलित अस्मिता के संघर्ष का साक्ष्य कराती कविताएं- डाॅ. भूरे लाल
64-80. डाॅ. विक्रम की कविताएं

--------------------------------------
आप ‘गुफ्तगू’ की सदस्यता लेकर हमसे जुड़ सकते हैं। आजीवन सदस्यों को ‘गुफ्तगू पब्लिकेशन’ की सभी पुस्तकें मुफ्त प्रदान की जाती हैं। संरक्षक सदस्यों का एक अंक में पूरा परिचय फोटो के साथ प्रकाशित किया जाता है, इसके अलावा हर अंक में नाम प्रकाशित होता है। गुफ्तगू की ढाई वर्ष की सदस्यता शुल्क 200 रुपये, आजीवन 2100 रुपये और संरक्षक शुल्क 15000 रुपये है। सदस्यता सीधे गुफ्तगू के एकाउंट में धन जमाकर, चेक भेजकर या मनीआर्डन से से ली जा सकती है। सदस्यता लेने की सूचना मोबाइल नंबर 09335162091 पर जरूर दें।
एकाउंट नेम- गुफ्तगू
एकाउंट नंबर:538701010200050
यूनियन बैंक आफ इंडिया, प्रीतमनगर, इलाहाबाद
IFSC CODE - UBINO 553875
editor-guftgu
123A/1 harwara, dhoomanganj
Allahabad-211011
mob. no.9335162091

सोमवार, 6 अप्रैल 2015

काव्य गोष्ठी में बही कविताओं की बयार


इलाहाबाद। साहित्यिक संस्था ‘गुफ्तगू’ के तत्वावधान में 22 मार्च की शाम काव्य गोष्ठी एवं नशिस्त का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता बुद्धिसेन शर्मा ने की, मुख्य अतिथि नायाब बलियावी थे। संचालन इम्तियाज अहमद गाजी ने किया।
सबसे पहले युवा कवि मनीष सिंह ने कविता पेश की-
आंखों में सपने लेकर उड़ना चाहा नीले आकाश में,
मोड़ना चाहती थी संसार को सच की तरफ इस विश्वास में।
चाहती थी फर्क बताना जिन्दा और मुर्दा लाश में,
परिवर्तन तो हो जाता है अगर हिम्मत हो हर सास में।
प्रभाशंकर शर्मा ने कहा-
अबकी भाई हम फंसिन गए, अंधरन के आंख-मिचैली में।
चेहरे की सारी चमक गई, रगड़ाई गए हम होली में।
रोहित त्रिपाठी ‘रागेश्वर’ की कविता यूं थी-
दुश्मनों का जोर इतना था कि क्या करते,
एक तरफा शोर इतना था कि क्या करते।
इसलिए महफिल में आया हूं अदब की दोस्तो,
दिल मेरा कमज़ोर इतना था कि क्या करते।
डाॅ. शाहनवाज़ आलम-
पत्थरों से सवाल करते हो, यार तुम भी कमाल करते हो।
पूछते क्यों नहीं ज़माने से, आइने से सवाल करते हो।

लोकेश श्रीवास्तव की कविता यूं थी-
खाना बना चुकने के बाद, इंतज़ार कर रहा हूं मैं।
उस भूख का जो, सिर्फ़ भोजन की ही है।

अजय कुमार ने कहा-
जब जब उनका आना होगा, आंखों को समझाना होगा।
कब तक भागूंगा सच में मैं, इक दिन तो अपनाना होगा।

अनुराग अनुभव ने तरंनुम में ग़ज़ल पेश किया-
तंज भी समझती है फब्तियां समझती हैं,
हर नज़र की फितरत को लड़कियां समझती हैं।

इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा-
शक्ल पर तो शराफ़त मिली, और भीतर सियासत मिली।
आदमी तो हजारों मिले, कम मगर आदमीयत मिली।

शाहिद अली शाहिद ने कहा-
शिकस्ते खवाब का इक सिलसिला अभी तक है।
मेरे खिलाफ़ मेरा हमनवा अभी तक है।

नायाब बलियावी ने तरंनुम में प्रभावी ग़ज़ल पेश किया-
तेरी इक तरफ़ की कशिश ने ही मेरी जि़न्दगी को बचा लिया।
तू ग़ज़ल का शहरे हसीन है मैं तो एक उजड़ा दयार हूं।

बुद्धिसेन शर्मा ने कहा-
अभी सच बोलता है ये, अभी कुछ भी नहीं बिगड़ा।
अगर डांटोगे तो बच्चा बहना सीख जाएगा।

 धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया

शिवपूजन सिंह, नरेश कुमार ‘महरानी’, अखलाक खान,संजय सागर आदि ने भी कलाम पेश किया।