कैंसर के मरीजों की सवो में तल्लीन डॉ. बी. पॉल थैलाथ
- इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
डॉ. बी. पॉल थैलाथ। |
कैंसर बीमारी का नाम सुनते ही धड़कन बढ़ जाती है। दिल से यही आवाज़ निकलती है कि खुदा यह बीमारी किसी दुश्मन को भी न दे। दूसरी ओर ऐसी बीमारियों से लोगों को निजात दिलाने के लिए दिन-रात काम करते हैं पद्मश्री डॉ. बी. पॉल थैलाथ। इलाहाबाद के जिस कमला नेहरु अस्पताल में दाखिल होते ही मरीजों को देखकर शरीर सिहर उठता है, उसी अस्पताल में रोजाना ही डॉ. पॉल कई दर्जन मरीजों की जांच करके उनका इलाज करते हैं। उन्हें समझाते हैं, सांत्वना देते हैं और मरीजों के तीमारदारों को समझाते हैं कि कैसे कैंसर जैसी बीमारी से बचा जा सकता है। प्रतिदिन डॉ. पॉल का ऐसे ही बीतता है, लेकिन वो जरा भी पीछे नहीं हटते हैं। लोगों की सेवा में लगे रहते हैं। इसके साथ-साथ सामाजिक कार्यों के जरिए भी समय-समय पर लोगों को इस बीमारी से बचने के टिप्स देने वाली एक्टिविटी में शामिल होते हैं। डॉ. पॉल के मुताबिक सर्वाधिक कैंसर बीमारी होने का कारण अनियमित दिनचर्या और खान-पान है। तंबाकू का सेवन बंद करके, खान-पान सही करने के साथ दिनचर्या सही करके इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है। डॉ. पॉल के मुताबिक बच्चेदानी में कैंसर का कारण महिलाओं की कम उम्र में शादी होना है। इसका ध्यान रखकर महिलाएं इस बीमारी से काफी हद तक बच सकती हैं। डॉ. पॉल की चिकित्सा सेवा को देखते हुए इन्हें ‘पद्मश्री’ से नवाजा जा चुका है।
डॉ. पॉल का जन्म 18 सितंबर 1952 को कोच्ची, केरल में हुआ है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट तक की शिक्षा इन्होंने त्रिवेंद्रम में हासिल किया है। इसके बाद इनका चयन एम.बी.बी.एस. के लिए हो गया। चंड़ीगढ़ मेडिकल कॉलेज से आपने एम.बी.बी.एस. का कोर्स पूरा किया। इसी कॉलेज से इन्होंने एम.डी. भी किया है। चंडीगढ़ पीजीआई से आपने रेडियो थैरेपी और ओनकॉलोजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। मैनचेस्टर, इंग्लैंड के क्रिस्टी हॉस्पीटल, होल्ट एण्ड रेडियम इंस्टीट्यूट और रेडियम इंस्टीट्यूट से आपने एडवांस प्रशिक्षण लिया है। कई जगहों पर चिकित्सा सेवा करने के बाद इनकी नियुक्ति वर्ष 1985 में इलाहाबाद स्थित कमला नेहरु मेडिकल कॉलेज में हो गई। तभी से ये इसी कॉलेज में सेवारत हैं। कमला नेहरु हास्पीटल के अलावा ये रीजनल कैंसर सेंटर के रीजनल डायरेक्टर और कैंसर केयर सेंटर के चेयरमैन हैं। साथ ही पॉल हैरिस फेलो रोटरी इंटरनेशनल का भी संचालन करते हैं। इसके जरिए लोगों की सेवा करते हैं और उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। कैंसर पर आधारित 75 से अधिक साइंटिफिक जरनल नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं। इस पर काफी गंभीरता से कार्य कर रहे हैं।
वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों इन्हें कैंसर केयर ऑफ इंडिया की तरफ से लाइफ टाइम अचीवमेंट एवार्ड प्रदान किया गया था। वर्ष 2002 में इंटरनेशनल फ्रेंडशिप सोसायटी की तरफ से इन्हें ‘राष्टीय गौरव एवार्ड’ और वर्ष 2007 में तत्कालीन राष्टपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा इन्हें पद्मश्री से नवाजा जा चुका है। इसी तरह वर्ष 2016 में वर्ल्ड मेडिकल काउंसिल द्वारा इन्हें ‘एक्सीलेंस एवार्ड’ प्रदान किया जा चुका है।
डॉ. पॉल के मुताबिक भारत में 58 फीसदी पुरुषों के मुंह, गले और फेफड़े में कैंसर होने का कारण धूम्रपान है। इसको लेकर जागरुकता फैलायी जा रही है, जिसका सकारात्मक असर भी सामने आने लगा है। युवा पीढ़ी अपेक्षाकृत धूम्रपान से दूर हो रही है। इनका कहना है कि लगभग 20 वर्ष पहले तक भारत की 37 फीसदी महिलाओं की बच्चेदानी में कैंसर होता था। 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियां जब मां बनती हैं, तो उनकी बच्चेदानी में कैंसर होने का ख़तरा बढ़ जाता है। इसको लेकर जागरुकता फैलायी गई। जिसका असर यह हुआ है कि अब भारत में मात्र 18 फीसदी महिलाओं की बच्चेदानी में कैंसर की शिकायतें आ रही हैं। डॉ. पाल का यह भी कहना है कि पंद्रह वर्ष पहले तक स्तन कैंसर के मामले में भारत तीसरे स्थान पर था और अब पहले स्थान पर आ गया है। महिलाओं द्वारा स्तनपान न कराने की वजह से ही यह बढ़ोत्तरी हुई है।
(गुफ़्तगू के जुलाई-सितंबर 2023 अंक में प्रकाशित )
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