सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

1942 में झांसी से शुरू हुआ था दैनिक जागरण

पूर्णचंद्र गुप्त थे इस हिन्दी अख़बार के पहले संस्थापक संपादक

वर्तमान समय में देश के 11 राज्यों से प्रकाशित हो रहा है अख़बार

                                                           - डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी 


 दैनिक जागरण के संस्थापक पूर्णचंद्र गुप्त

    देश को आज़ाद कराने से लेकर इसके लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखने तक में अख़बारों का प्रमुख योगदान रहा है। वर्ष 1947 से पहले तक अख़बारों का प्रकाशन बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य था। इसके बावजूद देश में बहुत से हिन्दी और उर्दू के अख़बार प्रकाशित होते रहे थे। तब बार-बार इन अख़बारों के मालिकों को प्रताड़ना का सामना करना पड़ता था। इनके मालिकों को गिरफ्तार करके उन्हें जेल भी भेज दिया जाता था। अंग्रेज़ी हुकूमत में कई संपादकों को सूली पर भी चढ़ा दिया गया था। इसके बावजूद देश को आज़ाद कराने और लोगों तक सही जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अख़बारों का प्रकाशन किसी न किसी तरह  होता रहा। 

  देश में आज़ादी के आंदोलन की आग जल रही थी। उसी माहौल में हिन्दी के प्रमुख अख़बार ‘दैनिक जागरण’ के प्रकाशन की शुरूआत वर्ष 1942 में झांसी से हुई। तब झांसी संयुक्त प्रांत का एक जिला था। बाद में संयुक्त प्रांत का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश हो गया। एक छोटे से कमरे में संस्थापक संपादक पूर्णचंद्र गुप्त ने देश को आज़ाद कराने और लोगों को सही सूचना प्रदान कराने के उद्देश्य से अख़बार की शुरूआत की थी। सीमित संसाधन और लुका-छिपी के माहौल में अख़बार निकालना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन पूर्णचंद्र गुप्त ने इस चुनौती को स्वीकार किया। इसके साथ ही ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान अख़बार का प्रकाशन निलंबित भी किया गया था।




 झांसी से अख़बार के प्रकाशन की शुरूआत होने के बाद 21 सितंबर 1947 से इसका प्रकाशन कानपुर से शुरू हुआ। उस समय पूर्णचंद्र गुप्त विज्ञापन के लिए खुद ही देश के प्रमुख शहरों का दौरा करते थे, इसके साथ ही  पत्रकारों को अपने अख़बार से जोड़ते थे। पूर्णचंद्र गुप्त ने अपने छोटे भाई गुरुदेव गुप्त के साथ मिलकर दैनिक जागरण का प्रकाशन 1953 में रीवां और 1956 में भोपाल से शुरू किया। वर्ष 1950 से ही अख़बार को प्रमुख रूप से विज्ञापन मिलना शुरू हो गया था। ‘द इंडियन प्रेस ईयर बुक’ के 1956 संस्करण में दावा किया गया था कि इस अख़बार का प्रसार 21,000 तक पहुंच गया है। यह प्रसार संख्या उस समय के लिए बहुत बड़ी बात थी। वर्ष 1960 में पूर्णचंद्र गुप्त ‘क्लब इंडियन एंड ईस्टर्न न्यूज़पेपर सोसाइटी’ के सदस्य हो गए। इसके बाद इन्होंने अपने पुत्रों नरेंद्र मोहन, योगेंद्र मोहन, महेंद्र मोहन और धीरेंद्र मोहन को अख़बार से जोड़कर इन्हें विभिन्न प्रकार से प्रबंधन की जिम्मेदारी दी। अन्य पुत्र देवेंद्र मोहन और शैलेंद्र मोहन को दूसरे व्यवसाय की जिम्मेदारी दी। 

  वर्ष 1975 में इस अख़बार का गोरखपुर संस्करण भी शुरू हो गया और इसके बाद वाराणसी संस्करण भी शुरू हुआ। 25 जून 1975 को जब इमरजेंसी लागू हुई तो पूर्णचंद्र गुप्त सहित नरेंद्र मोहन व महेंद्र मोहन को जेल भेज दिया गया। तब अख़बार का संपादकीय पेज खाली छपा था। उस पेज पर सिर्फ़ इतना छपा था-‘नया लोकतंत्र’, ‘सेंसर लागू’, ‘शांत रहें’। वर्ष 1979 में अख़बार का लखनऊ और इलाहाबाद संस्करण शुरू हुआ। दैनिक जागरण का दिल्ली संस्करण 1990 से प्रारंभ किया गया। वर्ष 1993 में अलीगढ़, 1997 में देहरादून और 1999 में जालंधर से भी अख़बार का प्रकाशन शुरू हुआ। 1995 में इसका प्रसार 0.5 मिलियन से अधिक हो गया। अखबार पूरे उत्तर प्रदेश और नई दिल्ली में 12 स्थानों से प्रकाशित होने लगा। 1999 के राष्ट्रीय पाठक सर्वेक्षण में दैनिक जागरण को पाठक संख्या के मामले में शीर्ष पांच समाचार पत्रों में शामिल होने वाला पहला हिंदी भाषा का समाचार-पत्र माना गया। उस समय दक्षिण भारत के अख़बार हिंदी अख़बारों के मुकाबले पाठक संख्या के आंकड़ों पर हावी थे। वर्ष 2003 में रांची, जमशेदपुर, धनबाद, भागलपुर और पानीपत शहरों से अख़बार छपने लगा। 2004 में लुधियाना और नैनीताल, 2005 में मुजफ्फरपुर, धर्मशाला और जम्मू संस्करण भी शुरू हो गए।

 वर्ष 1974-75 में पूर्णचंद्र को ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन’ का चेयरमैन बनाया गया था। इसके बाद प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया का भी चेयरमैन बनाया गया। 16 सितंबर 1986 को पूर्णचंद्र गुप्त का निधन हो गया। इसके बाद इनके पुत्रों ने अख़बार की जिम्मेदारी पूरी तौर पर संभाल ली। नरेंद्र मोहन को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया और वे वर्ष 1996 से 2002 तक राज्य सभा सदस्य के रूप में कार्य करते रहे। वर्ष 2006 में महेंद्र मोहन को राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया गया और वे वर्ष 2012 तक राज्य सभा के सदस्य रहे। नरेंद्र मोहन का वर्ष 2002 में निधन हो गया। इसके उपरांत महेंद्र मोहन गुप्त ने अख़बार की जिम्मेदारी संभाली। और वह आगे भी दायित्व को बखूबी निभा रहे हैं। योगेंद्र मोहन का वर्ष 2021 में निधन हो गया। 

 उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब और हिमाचल प्रदेश समेत 11 राज्यों से वर्तमान समय में दैनिक जागरण अख़बार का प्रकाशन हो रहा है। इसके अलावा इसी समूह का पंजाबी भाषा में दैनिक जागरण, उर्दू में ‘इंक़ि़लाब’ और हिन्दी में ‘नई दुनिया’ नामक अख़बार भी प्रकाशित हो रहे हैं।(


( गुफ़्तगू के अप्रैल-जून 2024 अंक में प्रकाशित)


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