रविवार, 7 अक्तूबर 2018

अपराजिता में थी अपार संभावनाएं: राम नरेश त्रिपाठी


   
सीमा वर्मा ‘अपराजिता’ अंक का विमोचन और मुशायरा
इलाहाबाद। सीमा वर्मा अपराजिता की कविताओं को पढ़ने के बाद बिना किसी संकोच के कहा जा सकता है कि उसमें अपार संभावाएं थीं, लेकिन समय के काल ने उसे 27 वर्ष की आयु में ही हमसे छीन लिया है। उसकी कविताओं को ‘गुफ्तगू’ ने परिशिष्ट में रूप में प्रकाशित करते बहुत ही सराहनीय काम किया है, ऐसे की कामों की वजह से साहित्य की दुनिया में गुफ्तगू की अलग पहचान है। यह बात 09 सितंबर 2018 की शाम सिविल लाइंस स्थित बाल भारती स्कूल में साहित्यिक पत्रिका ‘गुफ्तगू’ के सीमा वर्मा अपराजिता अंक के विमोचन के अवसर पर मुख्य अतिथि प्रसिद्ध ज्योतिषविद् और पत्रकार पं. राम नरेश त्रिपाठी ने कही। श्री त्रिपाठी ने कहा कि सीमा की रचनाएं बताती हैं कि उसके अंदर कितनी गहराई थी, अल्प आयु में ही उसने जीवन के सच पहचान लिया था, आसाध्य रोग से पीड़ित होने के बावजूद उसने कभी हार नहीं माना।
 गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि अपराजिता करीब तीन साल पहले अपनी कविताएं लेकर पत्रिका में छपवाने के लिए आई थी, तब उसमें कविता के प्रति काफी लगाव दिखा था, उसकी कविताओं को बराबर गुफ्तगू को स्थान दिया गया, मगर यह नहीं पता था कि ईश्वर उसे अल्प आयु में ही अपने पास बुला लेगा, मगर वह हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी। अपराजिता के भाई देवेंद्र्र प्रताप वर्मा ने कहा कि मेरी छोटी बहन अपराजिता मेरी बहन, मित्र और सहपाठी भी थी, उसके निधन ने पूरे परिवार को तोड़ दिया है, मगर उसकी लेखनी को गुफ्तगू ने प्रकाशित करके एक तरह से अमर कर दिया है।
 सामाजिक कार्यकर्ता उमैर जलाल ने कहा कि ‘गुफ्तगू’ के निरंतर बढ़ते कदम साहित्य के लिए बेहद खास बात है, इसमें तमाम नये लोगों को अवसर मिलता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शकील ग़ाज़ीपुरी ने कहा पिछले 15 साल से गुफ्तगू पत्रिका के निरंतर प्रकाशन ने अपने आप में एक इतिहास बनाया है। निरंतर मेहनत और समर्पण् ने गुफ्तगू को एक कामयाब पत्रिका के रूप में स्थापित किया है, इस अंक में सीमा अपराजिता को विशेष रूप में प्रकाशित करके ‘गुफ्तगू’ ने एक और बड़ा काम किया है। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह ‘तन्हा’ ने किया।
दूसरे दौर में मुशायरे  का आयोजन किया गया। जिसमें नरेश कुमार महरानी, प्रभाशंकर शर्मा, अनिल मानव, शिवाजी यादव ‘सारंग’, शिवपूजन सिंह, शैलेंद्र जय, जमादार धीरज, बुद्धिसेन शर्मा, भोलानाथ कुशवाहा, फरमूद इलाहाबादी, रचना सक्सेना, संपदा मिश्रा, राम लखन चैरसिया, नूतन द्विवेदी, विवेक विक्रम सिंह, शिबली सना, वाक़िफ़ अंसारी, डाॅ. नईम साहिल, अना इलाहाबादी, सुनील दानिश, कविता पाठक नारायणी, डाॅ. नीलिमा मिश्रा, कविता उपाध्याय, उर्वशी उपाध्याय, सांभवी, अजीत शर्मा ‘आकाश’, नंदिता एकांकी, इरशाद खान, शाहिद इलाहाबादी, रंजीता समृद्धि आदि ने कलाम पेश किया।                                       
                   


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