मंगलवार, 3 सितंबर 2013

किसी कानून से नहीं डरते बाबा लोग


इम्तियाज़ अहमद गाज़ी 
एक नाबालिग से यौन शोषण के आरोप में पकड़े गए आसाराम बापू फिर से कुकर्म के लिए चर्चा में आ गए हैं। इससे पहले भी इन पर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन सख़्त कानूनी कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई है। यही वजह है कि आसाराम ने अपने कुकर्मों और अनैतिक-गैर कानूनी कार्यों से खुद को रोकने के लिए शायद सोचा तक नहीं। देश की कानून व्यवस्था जो राजनैतिक इच्छा पर ही निर्भर करती है। किसी भी बड़े बाबा या राजनीतिज्ञ पर कार्रवाई तभी करती है जब उस प्रदेश या देश की सरकार ऐसा चाहे और सरकार चलाने वाले लोग इस तरह का निर्णय सही या गलत के आधार पर न लेकर अपने राजनैतिक हितों और वोट बैंक को ध्यान में रखकर ही करते हैं। आसाराम और इनके तरह के अन्य बाबा इसी का लाभ उठाते हैं। बाबाओं को अच्छी तरह से पता है कि उनके भक्तों की प्रतिक्रियायें ऐसा माहौल बना देंगी, जिसके आगे सरकार और पुलिस घुटने टेक देगी और वे आसानी से बच निकलेंगे। यह बात स्पष्ट रूप से उस दिन और साफ हो गई, जिस दिन आसाराम ने हिन्दू जन जागरण मंच के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए कहा कि मुझे गिरफ्तार करने की हिम्मत पुलिस में नहीं है, मेरे भक्त ऐसा कभी नहीं होने देंगे। अपने इस वक्तव्य से पहले तक लगातार 12 दिनों से आसाराम फरार चल रहे थे, पुलिस उन्हें तलाश रही थी। इस तरह की बात क्या कोई आम आदमी कह सकता है। देश का संविधान स्पष्ट करता है कि कानून सभी के लिए एक समान है। लेकिन देश के बड़े राजनीतिज्ञ और आसाराम की तरह बाबा देश के कानून का धता बताने में जरा भी देर नहीं लगाते। यही वजह है कि आज आसाराम की तरह कई बाबाओं पर गैर कानूनी कार्य करने के आरोप हैं, बालात्कार, हत्या और ज़मीन हड़पने जैसे अनेकानेक मामले अदालतों में कई बाबाओं पर चल रहे हैं। कई मिसालें ऐसी भी हैं, जिनमें अदालती आदेश का बावजूद स्थानीय प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, क्योंकि सरकार चलाने वाले राजनीतिज्ञ ऐसा नहीं चाहते। 
दिल्ली में दामिनी प्रकरण के बाद बालात्कार जैसे अपराध के लिए नया सख्त कानून बना है। इस कानून के बाद आसाराम पर एक नाबालिग लड़की का यौन शोषणा का मामला सामने आया है। अब तक की कार्यवाही से जो संकेत दिख रहे हैं, उससे इस बात की संभावना काफी बढ़ गई है कि आसाराम इस आरोप से आसानी से मुक्त नहीं हो पाएंगे। जिन धाराओं में मामला दर्ज किया गया, उसके साबित होने पर उन्हें उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। दरअसल, होना यह चाहिए कि चाहे राजनीतिज्ञ हो, बाबा हों, या किसी भी धर्म का ऐसा धर्मगुरू जो लोगों की आस्था का फायदा उठाकर गैरकानूनी कार्य करता हो, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई सख्ती से की जानी चाहिए। ऐसे लोग एक तरह से समाज के लिए माॅडल का काम भी करते हैं, ऐसे में अगर इन पर गंभीर आरोप लगता है तो तत्परता से सख़्त कार्रवाई होनी ज़रूरी है, ताकि आस्था खिलवाड़ का विषय न बने।
बाबाओं की सैद्धांतिक और कागजी बातों की बात की जाए तो इन सबका दावा है कि वे समाज का उद्धार करने के लिए ही अपना जीवन समर्पित करते हैं। लेकिन इनमें से कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि उनके पास जो अकूत संपति है, वे उन्हें किन स्रोतों ने किस प्रकार के लोगों ने दी है। बड़े-बड़े दान देने वाल लोगों की कमाई क्या एक नंबर की दौलत है। इस तरह का सवाल किसी भी बाबा से किया जाता है तो तिलमिला जाते हैं।देश के कुछ बाबाओं की संपति और कार्यप्रणाली की विवरण इस प्रकार है-
आसाराम बाबू- आसाराम की संपति इस समय दस हजार करोड़ से भी अधिक की है। दिल्ली में आसाराम के चार मंदिर-आश्रम हैं। सीलमपुर का आश्रम बाबा ने मंदिर पर कब्जा करके बनाया है, करोलबाग वाला बाबा का मंदिर व राजोकरी का आश्रम वनभूमि पर बना है तो नजफगढ़ का मंदिर ग्राम पंचायत की भूमि पर कब्जा करके बनाया गया है। ऋषिकेश का आश्रम किसानों की भूमि पर बना है, ग्वालियर में शिवपुरी रोड पर बना आश्रम गांव की चरनोई भूमि पर है। छिंदवाड़ा में बापू का आश्रम आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करके बनाया गया है, मामला अदालत में है। मेघनगर में 108 एकड़ ज़मीन पर बने बापू के आश्रम की भूमि के असली मालिक आदिवासी हैं, अदालत ने भी इसे मान लिया है। रतलाम में 500 एकड़ की भूमि पर आश्रम खड़ा किया है, जिसकी मालकिन उनकी भक्तिन प्रेमा बहन है। गुजरात के पेठमाला में किसानों की जमीन कब्जा करके आश्रम बनाया गया है, जिसकी कीमत लगभग 350 करोड़ रुपये है। वाराणसी में आसाराम के आश्रम की भूमि का मामला अदालत में चल रहा है। चंडीगढ़ में तो उन्होंने इन हदों को भी पार कर दिया। इन्होंने अपने भक्तों को फ्लैट देने के लिए पांच-पांच लाख रुपये जमा करा लिया, इस तरह उन्होंने 500 करोड़ अर्जित कर लिया, लेकिन फ्लैट आज तक नहीं बने। पांच-पांच लाख रुपये देने वाले लोग जब इंतज़ार करके थक गए तो अदालत की शरण में जा पहुंचे हैं। आसाराम के बारे में इंटरनेट पर सबसे अधिक सामग्री उपलब्ध है। जिसमें इनके और इनके भक्तों द्वारा खूब गुणगान किया गया है। ऐसे गुणगानों में तमाम अनैतिक आधारहीन बातों का वर्णन किया गया है। वे अपने गलत कामों पर पर्दा डालने के लिए दावा करते हैं कि उनकी यौन इच्छाओं की पूर्ति करना भगवान की इच्छाओं की पूर्ति करना है। इनका पुत्र नारायण सिंधी पर भी कई बार बालात्कार के आरोप लग चुके हैं, मामले दर्ज हुए हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इनकी पुत्री भारती भी अपने पिता की पाश्विक यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए उनकी मदद करती है। इंटरनेट पर उलब्ध सामग्री के अनुसार वह आश्रम में आयी महिलाओं को यह समझाती है कि बापू की किसी भी बात से इंकार किया तो भगवान नाराज हो जाएंगे। उसके अनुसार बापू के साथ बिताए गए पल भगवान संग बिताए गए पल की तरह हैं। जिस नाबालिग लड़की के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में बापू पर इस वक्त कानूनी कार्यवाही चल रही है, उसके माता-पिता आसाराम के अंध भक्त थे, उन्हें भगवान की तरह पूजते थे, लेकिन अब उनकी पुत्री के सााथ जब यह घटना हो गई है, उसके बाद से वे आसाराम को फांसी की सजा देने तक की मांग कर रहे हैं।
सत्यसाईं बाबा- इन्होंने अपने आपको भगवान बताया था, और अपनी मृत्यु की तारीख भी बता दी थी। इनके बताने के मुताबिक 96 वर्ष की आयु में इनकी मृत्यु वर्ष 2022 में होनी चाहिए थी, मगर वर्ष 2011 में ही चल बसे। खुद के बारे में की गई इतनी बड़ी भविष्यवाणी गलत होने के बावजूद इनके भक्तों की आंखें नहीं खुलीं। अब तक ज्ञात स्रोतों के मुताबिक सत्यसाईं अपने पीछे 40 हजार करोड़ की संपत्ति छोड़ गए हैं। इस संपत्ति को अर्जित करने में इन्होंने सिर्फ दान का सहारा नहीं लिया है, बल्कि अपने भक्तों को लूटा भी है, उनके साथ धोखाधड़ी भी की है। जिसके खिलाफ मुकदमे भी चले, लेकिन सरकार चलाने वाले लोग इनका पैर छूते हैं, जिसकी वजह से कार्रवाई नहीं हो सकी। ये अपने भक्तों के सामने चमत्कार करते थे। जिसमें हवा में हाथ फैलाकर घडि़यां, सोने के चेन, अंगूठी, रुद्राक्ष आदि ले आते थे। इनकी इस करिश्मे को जादूगर पीसी सरकार ने चैलेंज भी किया था, उसका कहना था बाबा द्वारा चमत्कार का दावा किया जाना गलत है, मैं इसे करके उनके सामने दिखा सकता हूं। पीसी सरकार ने बाबा के सामने ये सब करके दिखाने का दावा किया था, लेकिन बाबा ने उससे मिलने से ही इंकार कर दिया था। सत्यासाईं के समलैंगिग यौनाचार के तमाम मामले सामने आये थे, जिसे सरकार की दबाव में दबा दिया जाता रहा है। यौनाचार का विरोध करने वाले कई लोगों की हत्या अथवा गायब करने का भी आरोप लगते रहे हैं, इन पर। ये आमतौर पर 11 से 15 साल के लड़कों को अपनी हवस का शिकार बनाते थे।
रविशंकर महाराज- ये अपने को श्री श्री रविशंकर कहते हैं, क्योंकि इस देश के एक विश्व विख्यात संगीतज्ञ का नाम है रविशंकर। इस रविशंकर के आगे कहीं इनका नाम दब न जाए इसलिए इन्होंने अपना नाम श्रीश्री रविशंकर रख लिया। इनका दावा है कि इन्होंने चार साल की उम्र से ही भगवत गीता की कथा कहने लगे थे, 17 साल की उम्र में स्नातक कर लिया था और 1982 में सुदर्शन क्रिया सीख लिया है। ये सारी बातें रहस्य के दायरे में आती हैं। श्रीश्री का सालाना आय 450 करोड़ की है। दुनियाभर के 140 देशों में इनके आश्रम हैं। राजाओं की मुकुट पहनते हैं। किसी कार्यक्रम में जब ये प्रवेश करते हैं तो भगवान की तरह अवतरित होते हैं। राजाओं की तरह मुकुट पहनते हैं। ये ज्ञान के साथ मुस्कान की भी शिक्षा देते हैं। अब कोई समझाये कि 78 फीसदी जनता जो 20 रुपये रोज से गुजारा करती है, उनके चेहरों पर मुस्कान कैसे आयेगी, ये आर्ट आॅफ लीविंग की शिक्षा किस तरह ग्रहण करेंगे।
बाबा रामदेव-ये कालेधन के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं। मगर खुद कानून के हिसाब से चलना नहीं चाहते।कनखल में इनके औषधि संस्थानों में औषधियों के रूप में उत्पाद तैयार होते हैं। कानून के अनुसार इन संस्थानों का पंजीयन फैक्टृी एक्ट के तहत होना चाहिए, लेकिन इन्होंने पंजीयन नहीं कराया। इनके संस्थानों में काम करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा के लिए श्रम कानूनों का पालन किया जाना चाहिए। उन्हें हाजिरी कार्ड, न्यूनतम वेतन, आठ घंटे का काम व इससे अधिक काम करने का ओवरटाइम दिया जाना चाहिए।नियमित किये जाने चाहिए और भविष्य निधि काटी जानी चाहिए। लेकिन बाबा इन सब के लिए तैयार नहीं हैं। क्या इन सब कानूनों के परे रहकर धन एकत्र करना काले धन की की श्रेणी में नहीं आता? आखिर बाबा के कालेधन की परिभाषा क्या है? बाबा की कंपनियों में बनी रही दवाओं के लेकर भी विवाद है। उपभोक्ता कानून के तहत हर उपभोक्ता को यह जानने का अधिकार है कि वो जो उत्पाद खरीद रहा है, उसमें क्या-क्या मिला है? दवा अधिनियम के तहत तो हर दवा में उसमें पाये जाने वाले तत्व, उनकी मात्रा,अनुपात और उसके निर्माण की तारीख के साथ ही एक्सपायरी डेट डालना भी ज़रूरी है।बाबा इन नियमों का पालन नहीं कर रहे थे, मामला अदालत में पहुंचा, जिसके बाद कुछ चीजों का पालन करने लगे हैं, लेकिन अभी सभी नियमों को पालन नहीं करते। बाबा की घोषित संपत्ति 1147 करोड़ रुपये की है, हालांकि इन्होंने 45 कंपनियों की संपत्ति को छिपाया है, जिसके निदेशक उनके निकटत सहयोगी बालकृष्ण हैं। एक दशक पहले तक रामदेव साइकिल से गांव-गांव जाकर योग की शिक्षा देते थे, दस साल में इतनी बड़ी संपत्ति आखिर कैसे अर्जित कर ली।पतंजलि योग पीठ किसानों की जमीन हड़प कर बनाया गया है।हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने का भी प्रशासन साहस पैदा नहीं कर पा रहा था, बाद में बाबा को जमीन वापस करने की घोषण करनी पड़ी। मध्यप्रदेश की शिवराज चैहान सरकार ने जबलपुर में बाबा को चार सौ एकड़ भूमि देने की घोषणा की है। इस जमीन पर आदिवासी पीढि़यों से खेती कर रहे हैं। इन गरीबों का रोजगार छीनकर बाबा अपना औषधि संस्थान खोलेंगे।बाबाक ी दवाओं के बारे में जो जानकारियां आईं थीं, उसके अनुसार इन दवाओं में मानव हड्डियों और यौन ताकत देने वाली दवाओं में बंदर के शरीर के कुछ अंग डाले जाते हैं। उत्तराखंड में ही कुछ संतों ने बाबा पर आरोप लगाया कि उन्होंने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को 25 लाख की रिश्वत देकर जांच रिपोर्ट को प्रभावित किया। 
इस तरह के मामलों का एक दूसरा पहलू यह भी है कि लोग जरूरत से ज्यादा अंधभक्त हो जाते हैं। बाबाओं को भगवान समझने लगते हैं, उनके द्वारा बताये गए एक शब्द-शब्द अक्षरतः भगवान का शब्द समझते हैं। इसी वजह से जहां भारी भरकम राशि उन्हें दान में देने लगते हैं वहीं अपने घर की महिलाओं को उनके लिए अकेले में छोड़ देते हैं। बाबा लोग इसी का फायदा उठाते हुए सारे कुकर्म बिना किसी भय के करते हैं। कानून अपना काम इसलिए नहीं कर पाता कि राजनीतिक इच्छा शक्ति उन्हें हासिल नहीं होती। आसाराम के इस मामले में तो उनके भक्त ऐसे भी दिखाई दे रहे हैं, जो सबकुछ देखते-जानते हुए भी उनका बचाव कर रहे हैं। यहां तक कि पत्रकारों पर हमले किया जा रहे हैं। आखिर हम किस युग-देश में रह रहे हैं कि ऐसी हालात का सामना करना पड़ रहा है। क्या किसी आरोपी पर कानून के हिसाब से कार्यवाही भी नहीं होनी चाहिए। हमें जागना होगा, ऐसे अंधभक्ति- अंधविश्वास के खिलाफ खड़ा होना होगा ताकि ऐसे अपराध करने का मौका किसी बाबा को न मिले।

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