‘इलेक्ट्रानिक मीडिया के दौर में अख़बार’ विषय पर सेमिनार आयोजित इलाहाबाद। इलेक्ट्रानिक मीडिया घुटने के बल चल रहा है। अभी तक इसने अपना प्रारूप ही तय नहीं किया है। इस मीडिया को चलाने वाले लोग भी अख़बारों से ही गये हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया ने अपने जांबाज़ तैयार नहीं किये। यह बात वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार अजामिल ने कही। वे 17 अगस्त को साहित्यिक संस्था ‘गूफ्तगू’ की ओर से महात्मा गांधी अंतरराष्टीय हिन्दी विश्वविद्यालय में ‘इलेक्ट्रानिक मीडिया के दौरा में अख़बार’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार बीएस दत्ता ने की, जबकि संचालन इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने किया। विशिष्ट अतिथि के तौर पर हिन्दुस्तान के संपादक दयाशंकर शुक्ल ‘सागर’, प्रेस क्लब के अध्यक्ष रतन दीक्षित, रविनंदन सिंह, शिवाशंकर पांडेय और शाकिर हुसैन ‘तश्ना’ मौजूद थे। इस मौके पर दयाशंकर शुक्ल ‘सागर’,बीएस दत्ता,रतन दीक्षित और शाकिर हुसैन ‘तश्ना’ को गुफ्तगू की ओर सम्मानित किया गया। अध्यक्षता कर रहे बीएस दत्ता ने कहाकि इलेक्ट्रानिक मीडिया में निवेश तो हुआ लेकिन संस्कार का अभाव रहा। यही वजह है कि विश्वसनीयता अख़बारों की है, इलेक्ट्रानिक मीडिया उत्तेजित होने वाली ख़बरों ही ज्यादा दिखाता है। इलेक्ट्रानिक मीडिया अब सिर्फ ख़बर नहीं दिखाता बल्कि अपनी बेतुकी टिप्पणी देता है, जिसका को कोई आधार नहीं होता। हिन्दुस्तान के संपादक दयाशंकर शुक्ल ‘सागर’ ने कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया ने ख़बरों की भूख बढ़ा दी है, क्योंकि इनकी ख़बरों ने भूख तो बढ़ा दी विश्वसनीयता नहीं दी, जिसकी वजह से लोग अख़बारों का इंतज़ार करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी विज्ञापन अब नेट पर जारी होने लगे हैं, जिसकी वजह से अख़बारों को विज्ञापन मिलना कम हो गया है। यही हाल रहा तो आने वाले बीस वर्षों में अख़बार बंद होने लगेंगे। रविनंदन सिंह ने कहा मीडियम से मीडिया बना है। मीडिया का काम लोगों को ‘वेल इनफार्म’ रखना है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले जूलियस सीजर ने रोमन में अख़बार निकाला था, जो बड़े चाव से पढ़ा जाता था। आज हम कई माध्यमों से अपने को अपडेट करते हैं, जिसमें प्रिन्ट मीडिया, श्रव्य मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया और सोशल मीडिया प्रमुख है। अब तो सिटीजन पत्रकारिता की भी शुरूआत हो चुकी है। प्रेस क्लब के अध्यक्ष रतन दीक्षित ने कहा कि पांच-छह साल पहले ‘हिन्दू’ अख़बार ने इस विषय पर सेमिनार का आयोजन किया था, जिसमें प्रिन्ट मीडिया के सामने आ रही चुनौतियों पर चर्चा की गई थी और यह बात सामने आयी कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के आने से प्रिन्ट मीडिया के प्रति लोगों को रूझान और बढ़ा ही है। शिवाशंकर पांडेय ने कहा कि इस अख़बारों का सामाजिक सरोकार बढ़ा है, जिसकी वजह से पाठकों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। शाकिर हुसैन ‘तश्ना’ ने कहा कि सबसे पहले कलकत्ता से 1780 में अख़बार की शुरूआत हुई थी। आज़ादी के आंदोलन में अख़बारों की भूमिका बहुत अहम रही है, हालांकि मौके-मौके पर अंग्रेज़ों ने इनका भी दमन किया।इस मौके पर गुफ्तगू की संपादक नाजि़या ग़ाज़ी, नरेश कुमार ‘महरानी’,वीनस केसरी, अजय कुमार, शिवपूजन सिंह,संजय सागर,रोहित त्रिपाठी रागेश्वर, सुशील द्विवेदी, नंदल हितैषी, असरार गांधी, इमरान लाफ्टर,फरमूद इलाहाबादी, तारिक सईद ‘अज्जू’,धनंजय सिंह,सत्यभामा मिश्रा, सोनिका अग्रवाल, सलाह गाजीपुरी, विजय विशाल आदि मौजूद रहे। |
सम्मानित हुए लोगों के साथ लिया गया ग्रुप फोटो, बायें से: नरेश कुमार ‘महरानी’,शिवपूजन सिंह,शिवाशंकर पांडेय,शाकिर हुसैन ‘तश्ना’,बीएस दत्ता,अजामिल व्यास,दयाशंकर शुक्ल ‘सागर’, रतन दीक्षित और इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी |
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