रमेश नाचीज़ के ग़ज़ल संग्रह ‘अनुभव के हवाले से’ का विमोचन
इलाहाबाद। अकबर की शायरी में आज का समाज बोलता है। अकबर ने अपने दौर में समाज में होने वाली बुराइयों को पहले ही पहचान लिया था, वो सारी चीज़ें आज हमारे सामने आ रही हैं। इसलिए उनकी शायरी को आज के दौर में रेखांकित किये जाने की ज़रूरत है, उनकी शायरी को बार-बार याद किये जाने की ज़रूरत है। यह बात मशहूर आलोचक प्रो.अली अहमद फातमी ने कही। 8 सितंबर को महात्मा गांधी अंतरराष्टीय हिन्दी विश्वविद्यालय में साहित्यिक संस्था ‘गुफ्तगू’ के तत्वावधान में ‘अकबर इलाहाबादी स्मृति समारोह’ का आयोजन किया गया। इस दौरान रमेश नाचीज़ के ग़ज़ल संग्रह ‘अनुभव के हवाले से’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर एहतराम इस्लाम ने किया। प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष मूलचंद्र सोनकर, डा. नफीसा बानो, डा. फखरुल करीम और गुरु प्रसाद मदन विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। संचालन इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने किया। प्रो. फ़ातमी ने अपने वक्तव्य में कहा कि न दलितों की बात की जानी चाहिए बल्कि समाज में सभी पिछड़े और गरीब तबके की बात की जानी चाहिए।
मूलचंद्र सोनकर ने कहा कि रमेश नाचीज़ की यह किताब दलित साहित्य के क्षेत्र में एक योगदान है, इसे गंभीरता पढ़कर इस पर विचार किये जाने की आवश्यकता है। नाचीज ने जगह-जगह अपनी शायरी में दलित चेतना को बेहतरीन ढंग से उकेरा है। डा. फखरुल करीम ने कहा कि अकबर अंग्रेजी तालीम के खिलाफ नहीं थे, बल्कि वे अंग्रेजी तहज़ीब के खि़लाफ थे। उनका मानना था कि हमें अपनी तहजीब को नहीं छोड़ना चाहिए, क्यांेंकि यही हमारी असली पहचान है। वाराणसी से आयीं डा. नफीसा बानो ने कहा कि अकबर ने अपनी शायरी में ज़माने की तस्वीर खींची है और बिगड़ती तहजीब पर करारा प्रहार किया है, इसलिए हम उन्हें समाज सुधारक शायर भी कह सकते हैं। गुरु प्रसाद मदन का कहना था कि रमेश नाचीज ने अपनी शायरी में उन चीज़ों का जिक्र किया है, जिसमें दलितों के भोगे हुए सच का बयान किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एहतराम इस्लाम ने रमेश नाचीज की पुस्तक और अबकर इलाहाबादी की शायरी को रेखांकित करते हुए कई बात कही। कार्यक्रम के शुरू में रमेश नाचीज़, फरमूद इलाहाबादी और रोहित त्रिपाठी ‘रागेश्वर’ ने अपना कलाम पेश किया। इस मौके पर संजय सागर, अजय कुमार, अनुराग अनुभव, हसनैन मुस्तफाबादी, राजकुमार चोपड़ा, अजामिल,प्रो.सतोष भदौरिया, रविनंदन सिंह, डा. सुरेश चंद्र द्विवेदी, सलाह गाजीपुरी, सुरेश कुमार शेष, नुसरत इलाहाबादी, एन.के. रावत,जयकृष्ण राय तुषार, अजीत शर्मा ‘आकाश’,विनय शर्मा बागी, कविता उपाध्याय, सबा खान, सुषमा सिंह, तलब जौनपुरी,केशव सक्सेना, शैलेंद्र जय, शुभ्रांशु पांडेय, अशोक कुमार स्नेही,देवयानी,सतीश कुमार यादव, शादमा अमान ज़ैदी, आरपी सोनकर आदि मौजूद रहे। |
‘अनुभव के हवाले से’ का विमोचनः बायें से- प्रो.सतोष भदौरिया, डा. नफ़ीसा बानो,मूलचंद्र सोनकर, एहतराम इस्लाम,प्रो. अली अहमद फ़ातमी,रमेश नाचीज़,फ़ख़रुल करीम,गुरु प्रसाद मदन और इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी |
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