गुफ़्तगू के जुलाई-सितंबर 2024 अंक में
3. संपादकीय: जनता को बेवकूफ़ न समझें साहित्यकार
4-6. मीडिया हाउस:18 अप्रैल 1948 से छपना शुरू हुआ अमर उजाला- डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
7-9 हिन्दी ग़ज़ल का नया लिबास- डॉ. ज़ियाउर रहमान जाफ़री
10-12. दास्तान-ए-अदीब: मुशायरों के शहंशाह थे मुनव्वर राना-डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
13-22. ग़ज़लें: शरीफ़ शहबाज़, अनुराग ग़ैर, तलब जौनपुरी, ओम प्रकाश यती, डॉ. राकेश तूफ़ान, रेनू वर्मा, अरविंद असर, नवीन माथुर पांचोली, डॉ. लक्ष्मी नारायण बुनकर, रचना सक्सेना, शशिभूषण गुंजन, मजु लता नागेश
23-32. कविताएं: अमर राग पुष्पिता अवस्थी, अविजित सिलावट, डॉ. वीरेंद्र कुमार तिवारी, डॉ. प्रमिला वर्मा, संतोष श्रीवास्तव, शिवानंदन सिंह सहयोगी, डॉ. पूनम अग्रवाल, मंजुला शरण मनु, हरजीत कौर, डॉ. पूर्णिमा पांडेय, डॉ. मीरा रामनिवास, सीपी सिंह, केदारनाथ सविता, मधुकर वनमानी, सीमा शिरोमणी
33-38, इंटरव्यू: उदय प्रताप सिंह
39-43. चौपाल: मंच की प्रस्तुति साहित्य की श्रेणी में आती है ?
44-48. तब्सेरा: फ़ानी बाकी, साहेब सायराना, आंख का पानी, बंधन, डॉ. मधुबाला सिन्हा के चुनिन्दा अशआर
49-50. उर्दू अदब: खूश्बू, इब्ने सफ़ी
51-52. गा़ज़ीपुर के वीर: पत्रकारिता के शलाका पुरुष विजय कुमार
53-55. अदबी ख़बरें
56-87. परिशिष्ट-1: डॉ. इम्तियाज़ समर
57-58. जीवन जीने का संदेश देती ग़ज़लें: सुधीर सक्सेना
59-60. मुहब्बत का शायर डॉ.समर- शैलेंद्र जय
61-63. ग़ज़ल कहने का एकदम अलहदा अंदाज़ - नीना मोहन श्रीवास्तव
64. ग़ज़लों में सामाजिक सरोकार की अभिव्यक्ति- शिवाजी यादव
65. डॉ. इम्तियाज़ समर: समय का चितेरा - डॉ. मधुबाला सिन्हा
66-87. डॉ. इम्तियाज़ समर की ग़ज़लें
88-118. परिशिष्ट-2: मोहम्मद राफे जामी
89-91. सुू़िफ़याना रंग, त्याग और बलिदान का जोश - इश्क़ सुल्तानपुरी
92-94. अदब के आकाश में उभरता सितारा- अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’
95-96. जामी की ग़ज़लों में समाज का दर्पण
97-118. मोहम्मद राफे जामी की ग़ज़लें
119-148. परिशिष्ट-3: सुनीता श्रीवास्तव
120-121. सजग रचनाकार हैं सुनीता श्रीवास्तव- शिवाशंकर पांडेय
122-123. कविताओं में बहुविध व्यक्तित्व की झलक- डॉ. संतोष कुमार मिश्र
124. हर क्षेत्र को स्पर्श करती कविताएं - अरुणिमा बहादुर वैदेही
125-148. सुनीता श्रीवास्तव की कविताएं
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