रविवार, 26 जून 2016

गुलशन-ए-इलाहाबाद : प्रो. नईमुर्रहमान फ़ारूक़ी

                                                           
                                         
                                                                                        - इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
प्रो. नईमुर्रहमान फ़ारूक़ी वर्तमान समय में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आधुनिक और मध्य कालीन इतिहास विभाग में प्रोफे़सर हैं। इसके साथ ही 12 अक्तूबर 2010 से 24 जनवरी 2011 और फिर 27 जुलाई 2014 से 13 अगस्त 2015 तक इलाहाबाद विश्वविद्याल के कुलपति रहे हैं। अंग्रेज़ी, हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी और तुर्की भाषाओं के अच्छे जानकार प्रो. फ़ारूक़ी उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अलावा अमेरिका से शिक्षा ग्रहण किया है। वर्तमान समय में विश्व स्तर के जाने-माने इतिहासकार हैं। 14 अगस्त 1950 को जन्मे प्रो. फ़ारूक़ी ने 1969 में इलाहाबाद विश्वविद्याल से अंग्रेज़ी साहित्य, उर्दू साहित्य और इतिहास विषय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की, इसी वर्ष इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने वेस्ट मुस्लिम छात्र होने के नाते ‘इक़बाल गोल्ड मेडल’ एवार्ड से नवाजा। 1971 में इलाहाबाद विश्वविद्याल से ही इतिहास विषय में प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। 1986 में अमेरिका के विकोनिज़्म विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी की। 1969 से 71 तक भारत सरकार से नेशनल मेरिट स्कालरशिप आपको मिला। 1981-82 में अमेरिका के शिकागो में अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन स्टडीज़ के जूनियर फेलो रहे। 1983-84 में विकोनिज्म विश्वविद्याल अमेरिका से फेलोशिप एवार्ड मिला। 1984-45 में विकोनिज्म विश्वविद्यालय अमेरिका के इतिहास विभाग में प्रोजेक्ट असिस्टेंट रहे। 1988 से 1991 तक आपने लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी आफ एडमिनिस्टेशन मसूरी में बतौर प्रोफेसर अध्यापन कार्य किया। फिर 1994-95 में आक्सफोर्ड विश्वविद्याल में आक्सफोर्ड आफ सेंट्रल इस्लामिक स्टडीज़ के सीनियर लीविरहल्म फेलो रहे हैं।
वर्ष 2010 में इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के 70वें अधिवेशन में आपने मध्यकालीन इंडियन सेक्शन की अध्यक्षता की। 2002 में यूपी हिस्ट्री कांग्रेस के जनरल प्रेसिडेंट रहे। वर्ष 2007 से 2010 तक इलाहाबाद विश्वविद्याल में आर्ट के डीन रहे हैं। 2001 से 2008 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष रहे हैं। अब तक आपकी देखरेख में 11 छात्र पीएचडी कर चुके हैं। वर्तमान समय में एक छात्र आपकी देखरेख में शोध कार्य कर रहा  है। आप तमाम नेशनल और इंटरनेशनल कांफ्रेंस में हिस्सा लेते रहे हैं। 1978, 79, 80, 83, 84 और 85 में अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में हुए सेमिनार में आपने हिस्सा लिया है। इसके अलावा विभिन्न वर्षों में तुर्की, पेरिस, उजबेकिस्तान, नई दिल्ली, अलीगढ़, बीकानेर, पटना और आज़मगढ़ आदि में हुए सेमिनार में हिस्सा लिया और मुख्य वक्ता के रूप में भी लोगों को संबोधित किया है। मुसद्दस ऑफ अल्ताफ़ हुसैन हाली, मध्यकालीन दक्षिण भारत, इंडियन मुस्लिम, सैयद अहमद ऑफ रायबरेली, मुगल इंडियन एंड दी आटोनम अंपायर, द अर्ली चिश्ती संत ऑफ इंडिया, असपेक्ट्स आफ क्लासिकल सुफीज़्म, ए लेटर आफ उजबेक खान अबुल तलीफ खान टू दी आटोनम सुल्तान, सिक्स आटोनम डाक्युमेंट्स ऑन मुगल आटोनम रिलैशन ड्यूरिंग रिजन ऑफ अकबर आदि विषयों पर विस्तृत शोधपत्र विभिन्न स्थानों पर प्रस्तुत कर चुके हैं।
मोमेंट ऑफ 1857, ऐज आफ अकबर, सोशल एंड इंटलेक्चुयल हिस्ट्री आफ मेडुअल इंडिया, एज आफ अबकर और कम्युनिज्म इन इंडिया विषय पर आप अपनी देखदेख में सेमिनार का आयोजन विभिन्न स्थानों पर करा चुके हैं। ‘एटलस ऑफ दी सोशल एंड इंटरलेक्चुएल रूट्स ऑफ मुस्लिम सिविलाइजेशन इन साउथ एशिया’ विषय पर 1994 में आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में चार हिस्सों में शोध पत्र प्रस्तुत किया है। हिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर इन इंडिया विषय पर 1997 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में शोध पत्र प्रस्तुत किया है। इतिहास के विभिन्न विषयों पर तमाम नेशनल और इंटरनेशनल पत्रिकाओं में आपके शोध-पत्र समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं। इतिहास के विभिन्न विषयों पर इनकी आधा दर्जन से अधिक किताबें छप चुकी हैं, कई किताबों के लेखन-प्रकाशन का काम जारी है।
(गुफ्तगू के जून-2016 अंक में प्रकाशित)

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