इलाहाबाद। गुफ्तगू का ‘ग़ज़ल व्याकरण विशेषांक’ ख़ासतौर पर नये लिखने वालों के लिए एक अनमोल तोहफा है। इस अंक में ग़ज़ल के व्याकरण और रूपरंग को बेहद आसान तरीके से समझाया गया है। एक नये लिखने वाला जिसे ग़ज़ल के बारे में कुछ भी नहीं आता, वह भी इस अंक को पढ़कर बहुत कुछ सीख सकता है। यह बात मशहूर उर्दू आलोचक प्रो.अली अहमद फ़ातमी ने गफ्तगू के ‘ग़ज़ल व्याकरण विशेषांक’ और अख़्तर अज़ीज़ के ग़ज़ल संग्रह ‘दस्तूर’ के विमोचन समारोह के दौरान कही। पांच नवंबर को महात्मा गांधी अंतरराष्टीय हिन्दी विश्वविद्यालय के शाखा परिसर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अध्यक्षता प्रो. फातमी ने की, जबकि मुख्य अतिथि के तौर पर वरिष्ठ शायर एहतराम इस्लाम मौजूद थे। संचालन इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने किया। प्रो. फ़ातमी ने अख़्तर अज़ीज़ के ग़ज़ल संग्रह की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि अख़्तर अज़ीज़ फितरी और फिक्री दोनों सतह के शायर हैं, उम्दा बात यह हुई कि इन्होंने अपनी इस बेशक़ीमती विरासत को न सिर्फ़ सलीक़े से संभाला बल्कि अपनी ज़ाती मेहनत और सलाहियत से अपने तौर पर आगै भी बढ़ाया। मुख्य अतिथि एहतराम इस्लाम ने कहा कि जहां गुफ्तगू का यह अंक कई मायनों में नायाब है, वहीं ‘दस्तूर’ में शामिल ग़ज़लें अच्छी शायरी की नुमाइंदगी करती हैं। गुफ्तगू टीम और अख़्तर अज़ीज़ इसके लिए मुबारकबाद के हक़दार हैं। इससे इलाहाबाद की अदबी हलके में बहुत अच्छा मैसेज गया है। ऐसे कामों की हमें प्रशंसा करनी चाहिए। वरिष्ठ शायर एम. ए. क़दीर ने गुफ्तगू के इस अंक और ‘दस्तूर’ दोनों की सराहना की और कहा कि इससे इलाहाबाद की अदबी सरज़मीन और ज़रखेज होती नज़र आ रही है। प्रसिद्ध गीतकार यश मालवीय ने कहाकि गुफ्तगू के इस अंक को देखकर सहज ही कहा जा सकता है कि हिन्दी में इस तरह का पहला प्रयास है, मेरी जानकारी में अबतक किसी पत्रिका ने इस विषय में इतने सहज ढंग से कोई अंक नहीं निकाला है। दूसरी ओर अख़्तर अज़ीज़ की शायरी वाकई ज़ब्त की शायरी है, जहां रूह को सुकून मिलता है। इस शेरियत में जब उनकी तीर बिंधे हिरन जैसी आवाज़ शामिल हो जाती है तो और भी कहर बरपा हो जाती है। अख़्तर अज़ीज ने भूमिका पेश करते हुए अपनी शायरी से लोगों को रू-ब-रू कराया और कई ग़ज़लें सुनाईं। इस अवसर पर फ़रमूद इलाहाबादी, जयकृष्ण राय तुषार, नरेश कुमार ‘महरानी’, वीनस केसरी और कु. गीतिका श्रीवास्तव ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम के दौरान अशोक कुमार स्नेही, स्नेहा पांडेय, अजय कुमार, अनुराग अनुभव, अमनदीप सिंह, गुलरेज इलाहाबादी,इश्क सुल्तानपुरी, रमेश नाचीज़,शुभ्रांशु पांडेय, तलब जौनपुरी, विमल वर्मा,दिव्या सिंह, प्रवीण वर्मा,नजीब इलाहाबादी आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। अंत में संयोजक शिवपूजन सिंह ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।
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1 टिप्पणियाँ:
achchha laga bhai..
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