इलाहाबाद। अबकर इलाहाबादी की शायरी एक मिसाल है, उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत
के दौर में बेबाक शायरी की और अपने कलम से अपने उद्गार व्यक्त करते हुए
अंग्रेजी हुकूमत की बखिया उधेड़ दी। आज भी उर्दू साहित्य में अकबर से बड़ा
हास्य-व्यंग्य का कोई दूसरा शायर नहीं है। यह बात प्रदेश सरकार के पूर्व
महाधिवक्ता एमएमए काज़मी ने कही। वे 16 नवंबर को हिन्दुस्तानी एकेडेमी में
अकबर इलाहाबादी के जन्म दिन पर आयोजित ‘गुफ्तगू’ के कार्यक्रम में बोल रहे
थे। कार्यक्रम के दौरान लखनउ के नवाब शाहाबादी, गोरखपुर के राजेश राज,
गाजीपुर के सरफराज आसी और इलाहाबाद के फरमूद इलाहाबादी को ‘अकबर इलाहाबादी
सम्मान’ से नवाजा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ शायर एम.ए.
क़दीर ने कहा कि अबकर की जयंती पर ‘गुफ्तगू’ द्वारा किया गया यह आयोजन बेहद
सराहनीय है, इलाहाबाद में बहुत सी संस्थाएं हैं लेकिन अबकर की याद में कोई
कार्यक्रम नहीं किया जाता, जबकि अकबर देश के सबसे बड़े हास्य-व्यंग्य शायर
हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि अकबर इलाहाबादी के तमाम शेर
मुहावरों की तरह पत्रकारिता की दुनिया में इस्तेमाल किये जाते हैं, लेकिन
इलाहाबाद में ही साहित्यिक विरादरी उनकी उपेक्षा करती दिख रही है, उनके
पुण्य तिथि और जन्म दिन पर भी उन्हें ठीक ढंग से याद नहीं किया जाता है, यह
हमारे लिये अफसोस की बात है। पूर्व सभासद अखिलेश सिंह ने कहाकि नयी पीढ़ी
भारतीय तहज़ीब से दूर होती जा रही है, साहित्यि से बढ़ रही दूरी के कारण
यह बुराई पैदा होने लगी है, इसे दूर करने की आवश्यकता है। एहतराम इस्लाम,
रविनंनद सिंह और शाहनवाज आलम ने अबकर इलाहाबादी के व्यक्तित्व और कृतित्व
को रेखांकित करते हुए आलेख पढ़े। कार्यक्रम का संचालन गुफ्तगू के संस्थापक
इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में अखिल
भारतीय मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें सरवर लखनवी, शिवशरण बंधु, अहकम
गाजीपुरी, सौरभ पांडेय, वीनस केसरी, नरेश कुमार महरानी, अजय कुमार, स्नेहा
पांडेय, सागर होशियापुरी, शादमा जैदी शाद, अनुराग अनुभव, नीतिश,सुशील
द्विवेदी,अमनदीप सिंह, सनी सिंह,सतीश कुमार यादव,राना प्रताप सिंह,सलाह
ग़ाज़ीपुरी, विमल वर्मा,पीयूष मिश्र,मिसदाक आज़मी आदि ने कलाम पेश किया।
अंत में कार्यक्रम के संयोजक शिवपूजन सिंह ने सबके प्रति आभार व्यक्त किया। |
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