गुफ़्तगू के अक्तूबर-दिसंबर-2024 अंक मे
3..संपादकीय (अब बुद्धिजीवी वर्ग कवि सम्मेलन सुनने नहीं आता)
4-7. मीडिया हाउस-3 -1929 से निकली 'माया' पत्रिका देशभर में छा गई - डॉ. ग़ाज़ी
8-11. खास पेशकश - समाज का अक्स हैं प्रेमचंद के अफसाने - डॉ. अब्दुर्रहमान फ़ैसल
12-13. दास्तान-ए-अदीय-4- उमाकांत जी के घर में दलित महिला बनाती थी ....- डॉ. ग़ाज़ी
14-20. गज़लें (उदय प्रताप सिंह, यश मालवीय, पवन कुमार, अनुराग मिश्र गैरश्, ओम प्रकाश नदीम, मासूम रज़ा राशदी, अरविन्द श्असरश्, डॉ. के.के.मिश्र श्इश्कश् सुलतानपुरी, शमा ‘फिरोज़’, मनमोहन सिंह श्तन्हाश्, राज जौनपुरी, मधुकर वनमाली, सीमा सक्सेना ‘वर्णिका’)
21-27. कविताएं ( अमर राग, पुष्पिता अवस्थी, बृज राज किशोर श्राहगीरश्, डॉ. प्रमिला वर्मा,, अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’, डॉ. पीयूष मिश्र श्पीयूषश्, सिरोज आलम, मंजुला शरण, सीमा शिरोमणि, केशव प्रकाश सक्सेना, धीरज पाल ‘प्रीतो’, ज्योत्सना)
28-31. इंटरव्यू: साहित्य का मूल काम संवेदना को उभारना है - डॉ. मुश्ताक़ अली
32. लघु कथा (लुका-छिपी_ खलील जिब्रान, मेरा प्रेम- डॉ. प्रमिला वर्मा)
33-37. चौपाल (पत्रकारिता के लिए साहित्य कितना महत्वपूर्ण है?)
38-45. तव्सेरा
46-47. उर्दू अदब
48-49. गाजीपुर के वीर-28: हिन्दी नवगीत के सशक्त हस्ताक्षर उमाशंकर तिवारी
50-53. अदबी खबरें
54-85. परिशिष्ट-1ः शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
54. परिचय -शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी
55-56. सहयोगी की कविताओं में विसंगतियों, विडम्बनाओं ....- डॉ. आदित्य कुमार गुप्ता
57-60. कविताओं में समाज का सही चित्रण - जगदीश कुमार धुर्वे
61-62. शिवानन्द सिंह श्सहयोगीश् के नवगीत
63-85. शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी की कविताएं
86-115. परिशिष्ट-2
86.वसंत कुमार शर्मा (आई.आर.टी.एस.) - परिचय
87. बसंत शर्मा की ग़ज़लों में नये-नये क़ाफिये - डॉ. रामावतार सागर
88-89.. काव्य में लोकतंत्र की चिंता और चुनौतियां - डॉ. शहनाज जाफर बासमेह
90-91. अलग तरह के शायर हैं बसंत कुमार शर्मा - सोमनाथ शुक्ल
92-115. बसंत कुमार शर्मा की ग़ज़लें
116-144. परिशिष्ट-3
116. सुशील खरे ‘वैभव’ - परिचय
117-118.बसजग अनुभव की सरल अभिव्यक्ति - डॉं. पीयूष मिश्र ‘पीयूष’
119. महाकाव्य रचने वाले सुशील खरे वैभवश् - अरविन्द श्असरश्
120-121 सामाजिक चेतना के प्रश्न उठाती कविताएं -डॉ. शैलेष गुप्त श्वीरश्
122-144. सुशील खरे वैभवश् की कविताएं
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