सोमवार, 6 सितंबर 2021

‘बतख मियां के ज़रिए खुला इतिहास का सुनहरा पन्ना’

 विमोचन समारोह और मुशायरा में बोले यश मालवीय 



 ‘बतख मिया अंसारी की अनोखी कहानी’ का हुआ विमोचन 

प्रयागराज। छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी मोहम्मद वज़ीर अंसारी ने ‘बतख मियां असंारी की अनोखी कहानी’ प्रकाशित करके इतिहास का एक सुनहरा पन्ना खोल दिया है। जिस बतख मियां अंसारी की वजह से चम्पारण में गांधी जी जान बची थी, आज उसे इतिहास पन्नों से गायब कर दिया गया है, यह हमारे लिए बहुत ही दुख की बात है। लेकिन मोहम्मद वजीर अंसारी ने इस पुस्तक का संपादन करके दुनिया के सामने उनकी सच्चाई को लाने का बेहद सराहनीय प्रयास किया है। हम जब बतख मियां की कहानी पढ़ते हैं तो हमारा सीना गर्व से चैड़ा हो जाता है। यह बात मशहूर साहित्यकार यश मालवीय ने 05 september साहित्यिक संस्था ‘गुफ़्तगू’ की ओर से करैली स्थित इक़बाल एकेडेमी हाॅल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। यश मालवीय ने कहा कि गांधी जी की जान बचाने के एवज में बतख मियां को अंग्रेेज़ों की यातना का सामना करना पड़ा था, उनकी ज़मीन छीन ली गई थीं, उन्हें जेल में डाल दिया गया था।

गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि अगर बतख मियां ने गांधी जी की जान नहीं बचाई होती तो भारत का इतिहास ही बदल गया होता, न जाने कब हमें अंग्रेंजों से आजादी मिली होती। साहित्यकार रविनंदन सिंह ने कहा कि इस किताब का प्रकाशन एम.डब्ल्यू. अंसारी ही करा सकते थे, क्योंकि जेल से लेकर थाने तक से कागज़ात निकलवाना और उसे किताब में सुबूत के तौर पर शामिल करना किसी आम आदमी के बस की बात नहीं है, यह कोई आईपीएस अधिकारी ही कर सकता है। एम.डब्ल्यू. अंसारी ने यह काम करके एक उदाहरण पेश किया है। देश को आजाद कराने में जिन लोगों का हाथ है, उनमें एक मुख्य किरदार बतख मियां असंारी का भी हैं। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि चम्पारण में अंग्रेज़ों ने गांधी जी और डाॅ. राजेंद्र प्रसाद को दावत पर आमंत्रित किया था, बतख मियां अंसारी को खाना परोसना था। अंग्रेजों का आदेश था कि गांधी जी खाने के बाद दूध पीते हैं, दूध में जहर मिलाकर देना है, बतख मियां को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन बतख मियां असंारी ने अदम्य साहस का परिचय दिया, धीरे से डाॅ. राजेंद्र प्रसाद को बता दिया कि गांधी के दूध में ज़हर मिलाया गया है। जिसकी वजह से गांधी ने वह दूध नहीं पिया, वही दूध एक बिल्ली को दे दी गई, जिसे पीने के बाद तुरंत ही उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद बतख मियां को बहुत प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी। उनके इस साहस भरे कार्य को भूला दिया गया है, इस पर काम करने की आवश्यकता है। उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य क्लेम्स आफिसर शैलेंद्र कपिल ने कहा कि बतख मियां के काम को कभी भुलाया नहीं जा सकता, इनके बारे में लोगों बताने की आवश्यकता है।

पूर्व अपर महाधिवक्ता क़मरुल हसन सिंद्दीक़ी ने कहा कि बतख मियां अंसारी को किस तरह वजीर अंसारी ने खोज निकाला और सारी जानकारी एकत्र करके किताब का शक्ल दिया है, यह बहुत बड़ा काम है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि इस काम को आगे बढ़ाया जाए। इससे पहले एम.डब्ल्यू. अंसारी ने कहा कि जब बतख मियां अंसारी के बारे पता चला तो मैं बहुत हैरान था, कि इतना बड़ा काम करने वाले को भुला दिया गया है, इस पर काम होना चाहिए। इसी सोच के तहत जगह-जगह से सामग्री एकत्र करके किताब प्रकाशित किया है। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया।

दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। नरेश महरानी, शैलेंद्र जय, शिवाजी यादव, हकीम रेशादुल इस्लाम, अफसर जमाल, शिबली सना, शिवपूजन सिंह, प्रभाशंकर शर्मा,  अजय मालवीय, तलब जौनपुरी, डाॅ. वीरेंद्र तिवारी, श्रीराम तिवारी सहज, विजय लक्ष्मी विभा, अजीत शर्मा आकाश, फ़रमूद इलाहाबादी, असद ग़ाज़ीपुरी, बख़्तियार युसूफ, शाहिद इलाहाबादी आदि ने कलाम पेश किया। अंत में संयोजक क़मरुल हसन सिद्दीक़ी ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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