‘जमादार धीरज विशेषांक’ के विमोचन के अवसर पर बोलीं सुमय्या राना
प्रयागराज। इलाहाबाद साहित्य का गढ़ रहा है, यहां बड़े-बड़े शायर, कवि और अदीब पैदा हुए हैं। इसी सिलसिले के कवि रहे हैं जमादार धीरज। इन्होंने अपने गीत के माध्यम से समाज के सभी पहलुओं को उजागर किया है, जहां भी विडंबना देखी, उस पर कलम चलाया। लोगों के दुख-दर्द का समझा और सही राह चलने की सीख दी। ऐसे कवि पर विशेषांक निकाल कर गुफ़्तगू ने बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया है। यह बात 07 फरवरी को ‘गुफ़्तगू’ की ओर से राजरूपपुर स्थित डाॅ. अंबेडकर मार्ग पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान के सुमय्या राना ने कही। इस मौके पर गुफ़्तगू के ‘जमादार धीरज’ विशेषांक का विमोचन किया गया।
गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि जमादार धीरज की बेटी मधुबाला धीरज की पहल पर इस विशेषांक का प्रकाशन किया गया है। अब प्रत्येक वर्ष अक्तूबर के महीने में जमादार धीरज के जन्म दिन पर कार्यक्रम होगा, जिसमें पांच कवियों को ‘जमादार धीरज सम्मान’ का प्रदान किया जाएगा, इसी वर्ष से इसकी शुरूआत की जाएगी।
मधुबाला धीरज ने कहा कि पापा के देहांत के बाद हर किसी ने अपना दर्द बयान किया, जो भी उनके निधन की खबर सुनता उसी तरह दुखी हो जाता, जिस तरह कि हम हुए। उनके जैसा पिता होना मेरे लिए बड़े गर्व की बात है। ग़ाज़ीपुर से आए शायर मासूम रज़ा राशदी ने कहा कि जमादार धीजर ने गुलो-बुलबुल वाली शायरी कभी नहीं की, उन्होंने समाज के वंचित लोगों के दर्द को अपनी कविता में उकेरा, लोगों का सही मार्गदर्शन किया। आज ऐसी ही शायरी की आवश्यकता है। दूरदर्शन केंद्र के पूर्व निदेशक श्याम विद्यार्थी ने कहा कि जमादार धीरज बेहद जीवन्त इंसान और कवि थे, उनसे मिलने के बाद कभी भी निराशा नहीं हो सकती थी, उनके निधन से प्रयागराज ने एक महत्वपूर्ण कवि को खो दिया है। डाॅ. वीरेंद्र तिवारी, तलब जौनपुरी, सागर होशियारपुरी, डाॅ. सुरेश वंद्र द्विवेदी, अशोक कुमर धीरज, नीलम चंद्र धीरज, शीला सरन, उर्मिला सिंह, आर जी सिंह, सीमा मोहन, ब्रजेश मोहन, अंजनी कुमार, आसिफ उस्मानी, आदि ने भी विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता गोण्डा के कवि सतीश आर्या और संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया।
दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। मीठी मोहन, नरेश महरानी, अनिल मानव, शैलेंद्र जय, नीना मोहन श्रीवास्तव, डाॅ.नीलिमा मिश्रा, प्रभाशंकर शर्मा, संजय सक्सेना, रेशादुल इस्लाम, अना इलाहाबादी, केशव प्रसाद सक्सेना, अशोक कुमार स्नेही, रचना सक्सेना, सुजाता सिंह, शाहीन खुश्बू आदि ने कलाम पेश किया।
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