-मोहम्मद वज़ीर अंसारी
मोहम्मद वज़ीर अंसारी |
आरंभिक शिक्षा अपने घर से ही पूर्ण करने के बाद 17 वर्ष की आयु में ही 1902 में मौलाना मोहम्मद अली ज़ौहर के साथ आपका विवाह हुआ। अपने पारिवारिक दायित्वों के सफलतापूर्वक निर्वहन के साथ ही देश को आज़ाद कराने के मूल कर्तव्य का बखूबी निर्वहन करती रहीं। परिवार के लोगों का इन्हें पूरा सहयोग मिलता रहा, मोहम्मद अली जौहर की माता का भी समर्थन प्राप्त था। इन दोनों ने मिलकर समाज और देश सेवा हेतु खिलाफ़त आंदोलन के लिए 40 लाख रुपये दान दिया था।
अमजदी बेगम ने 1917 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की सभा में भाग लिया। सन 1920 में इन्हें अखिल भारतीय खिलाफ़त कमेटी का महिला विंग का सचिव नियुक्त किया गया। सन 1921 में अहमदाबाद में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस की कार्यकारिणी कमेटी में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। 1930में इन्होंने लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में अपने पति के साथ हिस्सा लिया। इन्हें आल इंडिया मुस्लिम लीग की वर्किंग कमेटी का सदस्य नामित किया गया औंर वर्ष 1938 में मुस्लिम लीग की महिला विंग का अध्यक्ष नामित किया गया। इनकी अध्यक्षता में हजारों महिलाओं ने मुस्लिम लीग ज्वाइन किया।
इन्होंने महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किया। महिला सशक्तीकरण की दिशा में उठाया गया सबसे महत्वूपर्ण कदम इलाहाबाद में हमीदा गल्र्स कालेज का स्थापना है, जो वर्तमान में हमीदिया गल्र्स कालेज के नाम से बालिका शिक्षा का पुनीत कार्य संपादित कर रहा है। महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए इन्होंने अलीगढ़ में खादी भंडार की स्थापना की, इनके इन्हीं सेवा संकल्पों और राष्टीय स्तर पर स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए गांधी जी ने अपनी पुस्तक ‘यंग इंडिया’ में अमजदी बेगम को ‘ए ब्रेव वूमन’ करके संबोधित किया है। अमजदी बेगम एक प्रखर वक्ता थीं, जिनके भाषण स्वतंत्रता सेनानियों और महिलाओं में नवीन उर्जा का संचार करती थीं। प्रखर वक्ता के होने के साथ ही लेखन में भी इनकी विशेष रुचि थी। इनके द्वारा दैनिक समाचार पत्र ‘रोजनामा हिन्द’ का प्रकाशन किया जाता था। जिसमें उच्च स्तरीय लेख प्रकाशित किए जाते थे और स्वतंत्रता सेनानियों के विचारों का संवहन करते हुए आज़ादी की लड़ाई को जन-जन तक पहंुचान में सहायता करते थे।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया कालेज के तत्कालीन प्रबंधक माजिद साहब की गिरफ्तारी के बाद अमजदी बेगम ने इस कालेज का दायित्व संभाल कर अपनी कुशलता कर परिचय दिया। कुल मिलाकर अमजदी बानो बेगम ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने पर्दाप्रथा से बाहर निकलकर समाज सेवा और देशभक्ति को अपना धर्म बनाया। इनके ये सराहानीय कार्य युग-युगांतर तक भुलाया नहीं जा सकता।
(गुफ़्तगू के जुलाई-सितम्बर 2017 अंक में प्रकाशित )
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