रविवार, 3 फ़रवरी 2019

पत्रकार और ज्योतिषविद् राम नरेश त्रिपाठी

राम नेरश त्रिपाठी
                                                               
                            -इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
पत्रकारिता और ज्योतिष की दुनिया में रामनरेश त्रिपाठी ने अपने काम के बदौलत एक अलग ही पहचान बनाई है। आज भी लेखन के प्रति सक्रिय हैं। आप जन्म 11 नवंबर 1948 को उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में हुआ। पिता श्री रामकुमार त्रिपाठी किसान थे। छह भाई और दो बहनों में दो भाई शिक्षक हैं, एक पुलिस विभाग में, एक लोकल फंड आफिस में और एक किसान हैं। रामनरेश जी की हाईस्कूल तक शिक्षा कृषि इंटर कालेज बांदा में हुई। 1963 में इंटरमीडिएट इन्होंने इलाहाबाद के जमुना किश्चियन इंटर कालेज से किया। इसके बाद स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के आचार्य रहे हैं। पत्रकारिता की शुरूआत 1971 में किया, जब दैनिक जागरण ग्रुप के अख़बार ‘दैनिक देशदूत’ निकलता था, इसी अख़बार से आपने पत्रकारिता से की। 1978 में इलाहाबाद दैनिक जागरण के व्यूरो चीफ़ हो गए। 1983 में कनाडा में ग्वेल्फ यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आपको आमंत्रित किया गया, जहां आपने ‘हिन्दू काॅन्सेप्ट आॅफ नेचर एण्ड इकोलाॅजिकल क्राइसेस’ पर शोधपत्र प्रस्तुत किया, वहीं ‘हिन्दी लिटरेरी सोसाइटी’ की स्थापना भी की।
 1983 में इलाहाबाद स्थित ‘नवभारत टाइम्स’ के ब्यूरो चीफ हो गए। 1994 में आपको फ्लोरिडा, अमेरिका में आयोजित ‘अमेरिका-कनाडा अंतरराष्टीय यूनिवर्सिटी’ सम्मेलन में आपको आमंत्रित किया गया। यहां आपने ‘भक्तिकालीन कवियों की समन्वयवादी विधारधारा’ पर पर्चा पढ़ा। 1997 से 2004 तक आपने ज्योतिष साप्ताहिक अख़बार ‘ज्योतिष प्रकाश’ का संपादन और प्रकाशन किया। वर्ष 2009 से ‘भारतीय विद्या भवन’ के निर्देश हैं, यहीं से आपने ने ‘ज्योतिष पत्रकारिता’ कोर्स की शुरूआत की है। वर्तमान समय में आप ‘हिन्दी यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा, अमेरिका’ के मानद प्रोफेसर भी हैं। अब तक आपकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें ‘प्रचीन भारतीय आर्थिक विचार’, ‘देवराहा ज्ञान गंगा’, ‘देवराहा अंतध्र्यान ज्ञान गंगा’, ‘जर्नी आॅफ योगी’, ‘हिम्मत और खोज की कहानी’, ‘हेमवंती नंदन बहुगुणा-एक व्यक्तित्व’, ‘यादों के झरोखे से ’ का संपादन और ‘शंकरावतरणम्’ आदि हैं। हाल ही एक नई पुस्तक आपकी प्रकाशित हुई है, जिसका नाम ‘कुंभ-महाकुंभ’ है। आपके पुत्र प्रशांत त्रिपाठी वर्तमान समय में इलाहाबाद के विश्वविद्याल के पत्रकारिता विभाग में अध्यापक हैं।
पत्रकारिता के बारे में आपका कहना है-‘पत्रकारिता के तीन पक्ष होते है- उच्चकोटि, निष्पक्ष और तथ्यपरक’। इनमें निष्पक्ष और तथ्यपरक पत्रकारिता का आज बहुत ही अभाव है। मापदंड पर पत्रकारिता खरी नहीं उतर रही है, आजकल मैनेजर के मुताबिक ख़बरें छपती है, संपादक के मुताबिक नही।’ ज्योतिष के बारें में आपका कहना है कि ‘जन्म से मृत्यु तक ज्योतिष हर इंसान से जुड़ी हुई है। ज्योतिष सुपर विज्ञान है। जब सूर्य दिखाई देता है तो ज्योतिष दिखाई देती है।’ ‘गुफ्तगू’ पत्रिका के बारें आपने बताया- ‘गुफ्तगू में साहित्य के उन विधाओं को भी शामिल किया जाता है जो लगभग लुप्त हो रही हैं। लेकिन एक कमी यह है कि कुछ उन कविताओं को भी प्रकाशित कर दिया जाता है, जिनमें व्याकरण संबंधी ग़लतियां होती हैं।’

(गुफ्तगू के अक्तूबर-दिसंबर: 2108 अंक में प्रकाशित )

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