दोहा दिवस समारोह में बोले फिल्म संवाद लेखक संजय मासूम
गुफ्तगू के दोहा विशेषांक और ‘मेरी माला’ का हुआ विमोचन
प्रयागराज। दोहों को शानदार तरीके से रेखांकित करने के लिए गुफ्तगू पत्रिका का ‘दोहा विशेषांक’ इतिहास में दर्ज हो गया है। इस तरह का उल्लेखनीय काम इलाहाबाद जैसे शहर से ही हो सकता है। इम्तियाज़ गा़ज़ी और उनकी गुफ्तगू टीम ने एक शानदार काम करके साहित्य में इलाहाबाद के नाम को और बेहतर तरीके से रौशन कर दिया है। यह बात फिल्म संवाद लेखक संजय मासूम ने ‘गुफ्तगू’ द्वारा 17 फरवरी को आयोजित ‘दोहा दिवस समारोह’ के दौरान कही। इस मौके पर गुफ्तगू के दोहा विशेषांक और डाॅ. राम लखन चैरसिया की पुस्तक ‘मेरी माला’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन रविवार की शाम सिविल लाइंस स्थित साधना सदन में किया गया, कार्यक्रम के दौरान पुलवामा शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। अपने संबोधन में संजय मासूम ने कहा कि साहित्य की जितनी शानदार शाम गुफ्तगू द्वारा इलाहाबाद में सजाई गई, इतनी शानदार शाम मुंबई में भी मुश्किल से ही कभी सजती होगी। इस तरह के आयोजन से साहित्य की प्रासंगिकता बढ़ती है, जिसकी आज के समय में सबसे अधिक आवश्यकता है।
गुफ््तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि हम बहुत दिनों से दोहा विशेषांक निकालना चाह रहे थे, लेकिन विभिन्न वजहों से मामला टलता रहा, आज गुफ्तगू प्रकाशन के 16वें वर्ष में यह सपना साकार हुआ है। हमने नये रचनाकारों के साथ ही पुराने लोगों के दोहों को शामिल किया है, कई उल्लेखनीय लेख भी प्रकाशित किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार यश मालवीय ने कहा कि दोहा विशेषांक जैसा शानदार काम इलाहाबाद शहर से ही हो सकता था, टीम गुफ्तगू ने यह कर दिखाया है। इस काम से एक बार फिर साबित हुआ है कि आज भी साहित्य का बैरोमीटर इलाहाबाद ही है, दिल्ली तो मंडी बनकर रह गई है। डाॅ. राम लखन चैरसिया की पुस्तक ‘मेरी माला’ के बारे में यश मालवीय ने कहा कि इस पुस्तक को कवि ने अपनी स्वर्गीय पत्नी को समर्पित करके एक नई कथा गढ़ी है और बताया कि साहित्य सिर्फ बाहरी चीज़े पर रची जाने वाली वस्तु नहीं है, घर के अंदर के पात्रों पर भी रचना की जानी चाहिए। जमादार धीरज, प्रभाशंकर शर्मा, सालेहा सिद्दीकी, डाॅ. राम लखन चैरसिया, रामचंद्र राजा, डाॅ. वीरेंद्र तिवारी और अखिलेश त्रिपाठी ने भी विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह ‘तन्हा ने किया।
दूसरे दौर में नरेश महरानी, शिवपूजन सिंह, अनिल मानव, शिवाजी यादव, आरसी राजा, प्रदीप बहराइच, सागर होशियारपुरी, रमेश नाचीज़, भोलानाथ कुशवाहा, शकील ग़ाज़ीपुरी, योगेंद्र मिश्र, डाॅ. नीलिमा मिश्रा, शिवशरण बंधु, डाॅ. वारिस अंसारी, रचना सक्सेना, सरस दरबारी, ललिता पाठक नारायणी, फ़रमूद इलाहाबादी, शांभवी, शिवम हथगामी, जीशान बरकाती, अनामिका पांडेय, गायत्री द्विवेदी ‘कोमल’, सत्येंद्र कुमार आदि ने दोहा पाठ किया। अंत शिवपूजन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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