रविवार, 13 जनवरी 2019

कैफी की शायरी में है नया अदबी शऊर


गुफ्तगू की ओर से ‘कैफी आजमी जन्मशताब्दी समारोह’

12 शायरों को ‘कैफी आजमी सम्मान’, ‘एहसास-ए-ग़ज़ल’ का हुआ विमोचन

प्रयागराज। कैफी आज़मी की शायरी दिलबहलावे या टाइस पास की शायरी नहीं है। उन्होंने अपनी शायरी से समाज को मैसेज देने का काम किया, समाज की विडंबनाओं के विरुद्ध आवाज उठाई। किसी भी इंसान के साथ अन्याय वो बर्दाश्त नहीं करते थे। यह बात बीएचयू के प्रो. एहसान हसन ने अपनी तकरीर में 06 जनवरी की शाम साहित्यिक संस्था ‘गुफ्तगू’ की ओर से हिन्दुस्तानी एकेडेमी में आयोजित ‘कैफी जन्म शताब्दी समारोह’ के दौरान कही। इस दौरान इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी की पुस्तक ‘एहसास-ए-ग़ज़ल’ का विमोचन किया, साथ ही देशभर के 12 लोगों को ‘कैफी आजमी सम्मान’ प्रदान किया गया। 
प्रो. एहसान ने कहा कि कैफी आजमगढ़ जिलेे के मेजवां गांव में पैदा हुए, दीनी तालीम दिलाने के लिए मदरसे में उनका दाखिला कराया गया था, लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा और मदरसा में शिक्षा हासिल नहीं किया। गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि कैफी आज़मी पुत्री शबाना आजमी के प्रयास से इस वर्ष पूरी दुनिया में कैफी आजमी जन्म शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है। उसकी कड़ी का हिस्सा है आज का आयोजन। कैफी ने अपनी शायरी में समाज के प्रति सजगता दिखाई और वामपंथी विचारधारा को रेखांकित करते हुए लोगों को मैसेज अपनी शायरी के माध्यम से दिया है। श्री गाजी ने कहा कि जब इलाहाबाद में प्रगतिशील लेखक संघ काफी कमजोर हुआ तो कैफी साहब इलाहाबाद आए थे, और उन्होंने नए सिरे से प्रलेस को खड़ा किया। मुख्य अतिथि बुद्धिसेन शर्मा ने कहा कैफी अपने जमाने में सबसे मक़बूल शायरों  में से एक थे, उनकी शायरी से आज के शायरों को सीखने की आवश्यकता है। उन्होंने समाज को एक मैसेज दिया। उनके दौर में शायरी का अच्छा माहौल भी था, लोग शायरों को गंभीरता से पढ़ते और सुनते भी थे। वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि ‘गुफ्तगू’ ने इलाहाबाद में सही मायने में साहित्य सेवा का काम किया है। विभिन्न अवसरों पर कार्यक्रम करना और शायरों को सम्मानित करना उनकी सक्रियता को साबित करता है। आज कैफी आजमी की याद में कार्यक्रम करना उसी की कड़ी का एक हिस्सा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इक़बाल दानिश ने कैफी के कई संस्मरण सुनाए और इलाहाबाद से जुड़ी कैफी आजमी यादों को साझा किया। नरेश महरानी और वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद ताहिर ने भी विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया।
दूसरे दौर में मुशायरे का आयोजन किया गया। डाॅ. राम लखन चैरसिया, प्रभाशंकर शर्मा, अनिल मानव, शिवपूजन सिंह, योगेंद्र कुमार मिश्रा, संजय सागर, इरफान कुरैशी, नरेश महरानी, शांभवी लाल, प्रकाश सिंह ‘अश्क’ शिवाजी यादव, फरमूद इलाहाबादी, तलब जौनपुरी, डाॅ. वीरेंद्र तिवारी, भोलानाथ कुशवाहा,  शैलेंद्र जय, वाकिफ़ अंसारी, सुनील दानिश, सेलाल इलाहाबादी, रचना सक्सेना, संपदा मिश्रा, संदीप राज आनंद, रजनीश पाठक, शाजली ग्यास खान, सत्यम श्रीवास्तव, केशव सक्सेना, अजय प्रकाश, रेसादुल इस्लाम, अजीत शर्मा ‘आकाश’, अतुल सिंह,  पन्ना लाल आदि ने कलाम पेश किया। 

इन्हें मिला कैफी आजमी सम्मान
नज़र कानपुरी (लखनऊ), हसनैन मस्तफ़ाबादी (इलाहाबाद), खुर्शीद भारती (मिर्ज़ापुर), रमोला रूथ लाल (इलाहाबाद), डाॅ. इम्तियाज़ समर (कुशीनगर), डाॅ. क़मर आब्दी (इलाहाबाद), डाॅ. नीलिमा मिश्रा (इलाहाबाद), इश्क़ सुल्तानपुरी(अमेठी), डाॅ. सादिक़ देवबंदी (देवबंद), सुमन ढींगरा दुग्गल (इलाहाबाद), प्रिया श्रीवास्तव ‘दिव्यम्’(जालौन) और मन्नत मिश्रा (लखनऊ)

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