मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

गुफ्तगू के महिला विशेषांक-2 (अप्रैल-जूनः 2017 अंक) में


03. संपादकीय (लेखन के प्रति सक्रियता सराहनीय)
04-05. डाक (आपके ख़त)
6-12. ग़ज़लें: कल्पना रामानी, वजीहा खुर्शीद, अना देहलवी, शारदा सिंह पायल, दीपशिखा सागर, रंजीता सिंह, कविता सिंह, अतिया नूर, अनीता मौर्य अनुश्री, फिरोज ज़बीं, अनु त्रिपाठी अनुजा, पूनम पांडेय, वीना श्रीवास्तव, अंजली मालवीय मौसम, सीमा शर्मा सरदह, प्रज्ञा सिंह परिहार, चित्रा भारद्वाज, कुमारी स्मृति, देवयानी, रमोला रूथ लाल, शिबली सना, सुनीता कंबोज, नीना सहर, कांति शुक्ला, अलका विजय, चारु अग्रवाल गुंजन, आरती पटेल
13-40. कविताएं: नीरजा मेहता, डाॅ. नीलम खरे, डाॅ. महाश्वेता चतुर्वेदी, कविता विकास, डाॅ. सरला सिंह, डाॅ. नुसरत नाहिद, रुचि श्रीवास्तव, शबीहा खातून, श्रुति जायसवाल, डाॅ. वंदना शर्मा, वंदना गुप्ता, सीमा अपराजिता, डाॅ. अनुराधा चंदेल ओस, प्रियंका प्रियदर्शिनी, स्नेहा पांडेय, वंदना भटनागर, शाहीन खुश्बू, अलका जैन सरर, फात्मा शाहीन, मीनाक्षी सुकुमारन, वंदना मोदी गोयल, नंदिनी आरती, तारा गुप्ता, मीरा अस्थाना, अर्चना नौटियाल, प्रीति समकित सुराना, रोचिका शर्मा, रजनी छाबड़ा, मनीषा जैन, प्रीति अज्ञात, मालिनी गौतम, डाॅ. पुष्पलता, सुषमा वर्मा, कुमारी शालिनी कौशिक, सपना मांगलिक, डाॅ. शिखा कौशिक नूतन, कल्पना पांडेय, शशि देवली, संध्या कुमारी, रश्मि शर्मा, किरण सिंह, डाली अग्रवाल, अनीता पुरवार, अर्चना पांडेय, भाग्यश्री सिंह, अमिता शर्मा, सत्या शर्मा कीर्ति, विशाखा विधु, कीर्ति श्रीवास्तव, सुधा आदेश, अन्नपूर्णा बाजपेयी अंजू, ममता देवी, माला सिंह खुश्बू, कंचन आरजू, सूफ़िया फ़ारूक़ी, स्वराक्षी स्वरा, शहनाज नबी
41-43. विशेष लेख: सुभद्रा कुमारी चैहान- देशभक्ति और नारी स्वाभिमान की प्रतीक- मीनाक्षी चैधरी
44-73ः लेख
लोकगीत में महिलाओं का योगदान: डाॅ. अन्नपूर्णा सिसोदिया
कुरतुल ऐन हैदर की महिला पात्र: डाॅ. नीलोफ़र फिरदौस
इस्मत चुगतई की क़मल: निदा मोईद
महादेवी वर्मा के काव्य में संवेदना: डीएम सावित्री
रशीद जहां: एक प्रगतिशील कहानीकार: डाॅ. फरहीन स्वालेहा
परवीन शाकिर: निसाई जज़्बात की आवाज़ः रशीद खातून
आधुनिक परिवेश में महिलाओं की स्थिति: शिखा श्रीवास्तव

74-75. तआरुफ़: कात्यायनी सिंह
85-88. कहानी: अंजली केसरवानी
89-95. लधु कथाः सविता वर्मा ग़ज़ल, मीना पांडेय, अंकिता कुलश्रेष्ठ, रोचिका शर्मा, शोभा रस्तोगी, शिवानी मिश्रा, मधु सहाय
95-100. तब्सेरा: मौन की बांसुरी, पिघलते हिमखंड, लड़कियां, नदी को सोचने दो, मुखरित संवदेनाएं, अंबेडकर आज भी, मातृछाया, अंधेरे का मध्य बिंदु, छठा पूत, काश पंडोरी न होता, जीवन संध्या में एकाकी क्यों, आंगन के फूल
101-105. संजू शब्दिता के सौ शेर
106. खिराजे अक़ीदत
107. अदबी ख़बरें
108-160. परिशिष्टः प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम् और कंचन शर्मा

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें