शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

‘मीडिया हूं मैं’ में कई अनछुए पहलू-रवीन्द्र कालिया


मीडिया की दो किताबों का विमोचन और सात लोगों का सम्मान
इलाहाबाद। जयप्रकाश त्रिपाठी की पुस्तक ‘मीडिया हू मैं’ में कई अनछुए पहलू हैं, जिसे पढ़कर बहुत सी जानकारियां हासिल हो जाती है। मीडिया जगत मेें हो रही गतिविधियां और क्रियाकलापों को जानने के लिए यह किताब हर किसी को पढ़ना चाहिए। यह बात प्रसिद्ध साहित्यकार रवींनद्र कालिया ने पुस्तक ‘मीडिया हूं मैं’ और ‘क्लास रिपोर्टर’ के विमोचन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कही। कार्यक्रम का आयोजन 08 फरवरी को सिविल लाइंस स्थित बाल भारती स्कूल में किया गया।  अध्यक्षता प्रो. अमर सिंह ने की। संचालन इम्तियाज अहमद गाजी ने किया।

अपने संबोधन में श्री कालिया ने कहा कि आज मीडिया का स्वरूप बहुत व्यापक हो गया है, इसे देखने और समझने की जरूरत हैं। ममता कालिया ने कहा कि पत्रकार के पास कलम, कागज और कैमरे के अलावा और कुछ नहीं रहता, बेहद असुरक्षा के माहौल में काम करता है, जबकि मामूली नेता भी तमाम तरह की सुरक्षा व्यवस्था के बीच चलता है। पुुस्तकों के लेखक जयप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि पिछले 34 वर्षों में मीडिया की जो दशा मैंने देखी है, उसे सही रूप से रेखांकित किया है, बहुत चीजें इसमें शामिल हैं, जिनका उल्लेख किया जाना जरूरी था। रविनंदन सिंह ने कहा कि यह संयोग है कि 9 फरवरी 1926 को ‘उदंड मार्तंदंड’ नामक सबसे पहले हिन्दी अखबार के प्रकाशन का काम शुरू हुआ था, और आज के दिन मीडिया की दो किताबों का विमोचन हुआ। धनंजय चोपड़ा ने कहा कि पत्रकारिता क्षेत्र में आने वाले नए लोगों को ये किताबें जरूर पढ़नी चाहिए। क्योंकि अब तक जो किताबें लिखी गई हैं वो अध्यापकों की ही हैं, जिसमें सैद्धांतिक बातें तो हैं लेकिन प्रायोगिक बातें नहीं हैं। लेकिन इन दोनों किताबों में प्रायोगिक सामग्रीा प्रचुर मात्रा में हैं। पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि मीडिया में रहते हुए इन बातों को रेखांकित करना बेहद खास हैं।बुद्धिसेन शर्मा ने कहा कि आज दौर गुफ्तगू पत्रिका जिस तरह से निकल रही है, वह अपने आपमें एक बड़ी बात है, वर्ना बड़े पूंजीपति घरानों की पत्रिकाएं बंद हो चुकी है। ऐसे में हमें इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी के इस कारनामे की प्रशंसा करनी पड़ेगी। प्रो. अमर सिंह, और अनिल शर्मा ने भी विचार व्यकत किया। शिवपूजन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस मौके पर नरेश कुमार महरानी, संजय सागर, प्रभाशंकर शर्मा, डॉ. शाहनवाज़ आलम, इश्क सुल्तानपुरी, अजय कुमार, अनुराग अनुभव, लोकेश श्रीवास्तव, रमेश नाचीज, अमिताभ त्रिपाठी, रोहित त्रिपाठी रागेश्वर, मोनिका मेहरो़त्रा, अखिल गुप्ता, शुभांगी गुप्ता, नरेंद्र सिंह, ज्ञानेंद्र विक्रम, सागर होशियारपुरी, अख़्तर अज़ीज़, तलब जौनपुरी, शाहिद इलाहाबादी, राजेश कुमार श्रीवास्तव आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।                                                                                                                                                          इलाहाबाद। अपनी गतिविधियों से साहित्यिक कार्यक्रमों को गति पहुंचाने वाले सात लोगों शान-ए-इलाहाबाद सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र,शाल और मेमेंटो भेंट किया गया। साहित्यकार रवींद्र कालिया ने कामरेड जियाउल हक, प्रो ओपी मालचीय, जफर बख्त, डॉ. देवराज सिंह, डॉ. राजीव सिंह, धर्मेंद्र श्रीवास्तव और प्रदीप  तिवारी को सम्मानित किया।
सम्मान समारोह के बाद गु्रप फोटो
रवींनद्र कालिया
इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी
अनिल शर्मा
धनंजय चोपड़ा
मुनेश्वर मिश्र
जय प्रकाश त्रिपाठी
ममता कालिया
शैलेंद्र कपिल
रविनंदन सिंह
प्रभाशंकर शर्मा
अजय कुमार
प्रदीप तिवारी
शिवपूजन सिंह
डॉ. शाहनवाज़ आलम
प्रो. अमर सिंह
कार्यक्रम के दौरान मौजूद लोग
प्रो. ओपी मालवीय का सम्मान रवींद्र कालिया से ग्रहण करते हुए वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र
रवींद्र कालिया से सम्मान ग्रहण करते हुए जफ़र बख़्त
रवींद्र कालिया से सम्मान ग्रहण करते हुए डॉ. देवराज सिंह
रवींद्र कालिया से सम्मान ग्रहण करते हुए प्रदीप तिवारी
रवींद्र कालिया से सम्मान ग्रहण करते हुए धर्मेंद्र श्रीवास्तव

1 टिप्पणियाँ:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (16-02-2015) को "बम भोले के गूँजे नाद" (चर्चा अंक-1891) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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